India News Haryana (इंडिया न्यूज), Jayant Chaudhary: हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर देश की निगाहें इस बार काफी चौंकाने वाली हैं। सभी राजनीतिक दल इस चुनावी रणभूमि में अपनी पूरी ताकत से उतरे हैं, लेकिन एक प्रमुख नेता, जो हमेशा से इस क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं, वो हैं राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के अध्यक्ष जयंत चौधरी। ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने हरियाणा में चुनावी मैदान से खुद को दूर कर लिया?
जयंत चौधरी का जम्मू-कश्मीर में चुनाव लड़ने का फैसला लोगों को हैरान कर गया, वहीं हरियाणा में एक भी सीट पर उम्मीदवार न उतारना एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। क्या ये निर्णय उनके सामने आई किसी बड़ी मजबूरी का नतीजा है, या फिर यह गठबंधन की रणनीति का हिस्सा है? इस बारे में कई अटकलें लगाई जा रही हैं।
आरएलडी के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी बीजेपी के साथ चुनावी गठबंधन में है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में बीजेपी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया, और आरएलडी ने इस निर्णय का समर्थन किया। इसके बजाय, आरएलडी जम्मू-कश्मीर में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है, जहाँ वे 12 सीटों पर अपनी ताकत झोंक रहे हैं।
आरएलडी के दूसरे महासचिव राजेंद्र शर्मा का कहना है कि जयंत चौधरी का यह फैसला सोच-समझकर लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सियासत में हर कदम का अपना महत्व होता है। बीजेपी के साथ गठबंधन के चलते, आरएलडी ने चुनावी रणनीति में अधिक फोकस किया है। वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र शर्मा ने कहा कि जयंत चौधरी अब बीजेपी के साथ सौदेबाजी की स्थिति में नहीं हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि किसान आंदोलन में उनकी सक्रियता की कमी से किसान और जाट समुदाय में नाराजगी है। ऐसे में जयंत ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहा जो उनकी भविष्य की राजनीति पर नकारात्मक प्रभाव डाल सके। यही कारण है कि जयंत चौधरी ने हरियाणा में चुनावी मैदान से दूरी बना ली है और हैंडपंप गाड़ने के बजाय, राजनीतिक गहमागहमी से बाहर रहना पसंद किया। इस चुनावी रणभूमि में उनकी अनुपस्थिति निश्चित ही चर्चा का विषय बनी हुई है।