Kaithal News : मनोज मलिक: लोगों को फायर सेफ्टी के नियमों का पाठ पढ़ाने वाला कैथल जिला प्रशासन नियमों के प्रति खुद इस तरह से बेपरवाह है कि दो साल पहले हुई बड़े हादसे के बाद भी नहीं जाग रहा..। जी हां, हम बात कर रहे हैं कैथल के जिला लघु सचिवालय में लगे अग्निशमन यंत्रों की जहां पर आप देख सकते हैं कि जो फायर सेफ्टी नियमों का पाठ आम लोगों को पढ़ाया जाता है, वहीं उसको लेकर जिला प्रशासन खुद कितना सजग दिखाई देता है, इसकी सच्चाई यह तस्वीरें ही अपने आप में बयां कर रही हैं।
बताते चलें कि फायर सेफ्टी नियम के अनुसार किसी भी सरकारी व गैर सरकारी इमारत में अग्निशमन विभाग की एनओसी लेनी जरूरी होती है, जिसके लिए अग्निशमन विभाग द्वारा बिल्डिंग में लगे अग्निशमन यंत्रों को भली-भांति चेक करके नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट दिया जाता है, परंतु अगर बात कैथल के सचिवालय की की जाए तो अधिकारियों की आंखों के नीचे ही फायर सेफ्टी के उपकरण है, वह टूटे पड़े हैं…
बड़ा सवाल खड़ा होता है कि यदि भविष्य में कोई हादसा होता है तो क्या ये उपकरण चल पाएंगे.. ऐसे में किस अधिकारी की जिम्मदारी बनेगी.. आखिर कब तक जिला प्रशासन ऐसे ही आंखें मूंदकर कुंभकरण की नींद सोता रहेगा। जिला सचिवालय में पड़े सरकारी व आम पब्लिक के कीमती दस्तावेजों की सुरक्षा आखिर कौन करेगा..?
ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि मात्र 2 साल पहले ही कैथल के जिला लघु सचिवालय में फायर सेफ्टी उपकरण न चलके कारण कृषि विभाग के कार्यालय में आगजनी हुई थी, जिस बीच विभाग के कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जल गए थे जिसमें कुल मिलाकर विभाग का 8 लाख तक का नुकसान हुआ था।
लगता है जिला प्रशासन ने उस हादसे से भी सबक अभी तक नहीं लिया, इसलिए वह फायर सेफ्टी उपकरण की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा जो अपने आप में एक बड़ी गंभीर चूक है… बात यहीं पर खत्म नहीं होती फायर सेफ्टी उपकरण की हालात तो छोड़िए जनाब यहां तो फायर सेफ्टी उपकरण को चलाने के लिए ही आपरेटर नहीं रखेंगे यह हम नहीं बल्कि सरकारी आंकड़े कह रहे हैं।
जिला अग्निशमन अधिकारी गुरमेल सिंह का कहना है कि जिला सचिवालय में डेढ़ लाख क्षमता के लिए तीन पंप लगे हुए हैं और चारों तरफ वाटर रिंग लगाई हुई है, मगर उनके संज्ञान में आया है कि जिला सचिवालय में फायर सेफ्टी के उपकरण टूटे पाए गए हैं।
इस संबंध में जिस विभाग को हमने एनओसी जारी की है, उसको तथा डीसी कैथल को पत्र लिख दिया है कि जल्द ही इनको ठीक करवा दिया जाएगा.. इसके साथ ही फायर आॅफिसर ने कहा कि जो सामान वहां नहीं है मुझे लगता है वह शायद चोरी हो गया था.. इस संबंध में पीडब्ल्यूडी विभाग को पत्र लिखा गया है, उसी को जल्दी से जल्दी ठीक करवा दें..।
ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है कि लोगों को नसीहत देने वाले अधिकारियों की आंखों के नीचे से ही चोर फायर सेफ्टी के उपकारों का सामान चुराकर ले गए.. जिस बीच जिला सचिवालय में रखे सरकारी दस्तावेजों की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.. यही नहीं, जिला प्रशासन ने शर्म के मारे आज तक भी चोरी का मामला तक दर्ज नहीं करवाया।
टूटे हुए फायर सेफ्टी के उपकरण किसी बड़े हादसे को न्योता दे रहे हैं, परंतु जिला प्रशासन के कान के नीचे जू तक नहीं रिंग रही… जिस कारण यहां काम करने वाले सैकड़ों अधिकारी व कर्मचारी तथा आमजन की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी होगी।
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