इशिका ठाकुर, India News Haryana (इंडिया न्यूज), Paris Paralympics : हरियाणा के खिलाड़ी किसी भी देश में चले जाएं, वह अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर लोहा मनवाने का दम रखते हैं। पेरिस में आयोजित ओलंपिक खेलों में करनाल करण स्टेडियम के कोच व हरियाणा के चरखी दादरी निवासी बैडमिंटन कोच नितेश ने पैरा ओलंपिक में ग्रेट ब्रिटेन के खिलाड़ी को मात देते हुए गोल्ड मेडल पर अपना कब्जा किया।
पैरा बैडमिंटन पेरिस पैरालंपिक के पुरुष एकल एसएल वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। फाइनल मुकाबले में उन्होंने ग्रेट ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को 21-14, 18-21, 23-21 के स्कोर से मात दी। इस जीत ने नितेश की कठिनाइयों और संघर्षों से भरी यात्रा को एक शानदार अंत दिया।
नितेश हाल ही में करनाल में वर्ष 2018 से खिलाड़ियों को कोचिंग दे रहे हैं और यहां पर कोचिंग देने देख के साथ-साथ जहां पर वह दूसरे खिलाड़ियों को इंटरनेशनल मुकाबले के लिए तैयार कर रहे हैं वहीं खुद भी उनके साथ प्रैक्टिस करते हैं और ऐसे में उन्होंने कोच होते हुए गोल्ड जीत कर देश का मान बढ़ाया है।
बता दें कि 2009 में जब नितेश केवल 15 साल के थे, विशाखापत्तनम में एक ट्रेन हादसे ने उनकी जिंदगी को हिलाकर रख दिया। इस हादसे में नितेश ने अपना एक पैर खो दिया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। यह वही समय था जब उन्होंने अपने सपनों को नया आकार देने का फैसला किया। महीनों तक बिस्तर पर रहने के बाद नितेश ने खेल को अपने जीवन का नया मकसद बना लिया और बैडमिंटन को अपनी शक्ति का स्रोत बनाया।
नितेश ने अपनी पढ़ाई आईआईटी मंडी से बीटेक में की, लेकिन उनकी असली पहचान बैडमिंटन में मिली। पढ़ाई के दौरान बैडमिंटन के प्रति उनकी रुचि बढ़ी और उन्होंने इसे ही अपने करियर का हिस्सा बना लिया। वर्तमान में, नितेश करनाल के कर्ण स्टेडियम में कोच के रूप में सेवा दे रहे हैं, जहां वह युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। नितेश परिजनों का मानना है कि खेल ने ही उसे जीवन में नई दिशा दी।
नितेश की खेल उपलब्धियों की सूची लंबी है। उन्होंने 2018 में एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीता, 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया और 2022 और 2024 की वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीते। पेरिस पैरालंपिक में स्वर्ण पदक उनकी अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है, जिसने उन्हें एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया है।
नितेश के पिता, जो पहले नौसेना में थे और अब राजस्थान में एक निजी कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। हमेशा से नितेश के प्रेरणा स्रोत रहे हैं। नितेश का सपना था कि वह भी अपने पिता की तरह वर्दी पहनें, लेकिन हादसे के बाद उन्होंने खेल को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। उनके कोच और परिवार ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
नितेश की इस ऐतिहासिक जीत के बाद उनके गांव नांदा में जश्न का माहौल है। गांव के लोग उनके परिवार के साथ मिलकर उनकी इस बड़ी उपलब्धि का जश्न मना रहे हैं। नितेश की यह जीत न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।
सीनियर कोच राकेश पांडे ने कहा कि नितेश काफी होनहार खिलाड़ी हैं। उन्होंने 2016 में खेलना शुरू किया था वह शुरू से अच्छा खेलते थे 2018 में उन्होंने हरियाणा खेल विभाग में सीनियर कोच के तौर पर करनाल में ज्वाइन किया था जहां पर वह खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने का काम कर रहे हैं और उसके साथ-साथ वह खुद भी अपने खेल की तैयारी कर रहे थे जिसका परिणाम यह रहा है कि उन्होंने पहली बार ही ओलंपिक में भाग लिया है और गोल्ड देश को दिलाने का काम किया है वह काफी अच्छे खिलाड़ी हैं और काफी लगन के साथ कई घंटे तक ग्राउंड पर प्रैक्टिस करते हैं।
वही कोच नितेश से ट्रेनिंग ले रहे खिलाड़ियों का कहना है कि वे जितने अच्छे खिलाड़ी है उतने बेहतर इंसान भी हैं हमेशा हमें और उत्साहित करते हैं और आज हमारे लिए बड़े ही गर्व की बात है कि हमारे कोच ने जिले के साथ-साथ पूरे देश का नाम रोशन किया है।
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