इंडिया न्यूज, New Delhi (MP Kartik Sharma in Rajya Sabha) : सांसद कार्तिक शर्मा (MP Kartik Sharma) निरंतर राज्यसभा में आमजन और युवाओं से जुड़े मुद्दे उठा रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने सदन में सवाल पूछा कि पिछले 3 वर्षों में कितने इनक्यूबेशन सेंटर बनाए गए और जैव ईंधन बेचने वाले पेट्रोल पंपों की संख्या कितनी है। इनकी संख्या में कितना इजाफा हुआ या फिर बढ़ाने की प्लानिंग है। इंक्यूबेशन सेंटर संबंधी सवाल बारे सूक्ष्म, लघु और उधम राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने लिखित जवाब में कहा कि नीति आयोग अटल इन्क्यूबेशन सेंटर द्वारा मुहैया करवाई गई जानकारी के अनुसार केंद्रों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है।
साल 2018 से लेकर 2022 तक इनकी संख्या 13 से बढ़कर 69 हो गई है। इस लिहाज से 5 साल में इनकी संख्या में 5 गुणा बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके अलावा मंत्रालय नवीन विचारों को मूर्त रूप देने के लिए मार्च 2022 में शुरू की गई एमएसएमई चैंपियंस योजना के अंतर्गत एमएसएमई नव परिवर्तन योजना का क्रियान्वयन कर रहा है। स्कीम की शुरुआत से ही इनक्यूबेशन घटक के अंतर्गत व्यवसाय इनक्यूबेटर के रूप में कार्य करने के लिए 632 मेजबान संस्थानों को मान्यता दी गई है।
आगे लिखित जवाब में बताया गया कि पिछले 5 वर्षों में देशभर में 56 इनक्यूबेशन केंद्र और 14 अटल कम्युनिटी समुदाय नव परिवर्तन केंद्र स्थापित किए हैं। नियमानुसार प्रत्येक इनक्यूबेशन केंद्र को 5-6 टीम सदस्यों के साथ संचालन करना अनिवार्य है, ताकि स्टार्टअप को मार्गदर्शन देने के लिए क्षेत्रीय विशेषज्ञों की उपलब्धता के साथ-साथ उचित वास्तविक जनसंरचना के साथ स्टार्टअप की सहायता की जा सके। नीति आयोग द्वारा प्रदान की गई सूचना के अनुसार शुरुआत के बाद से ही 69 एआईसी द्वारा 3052 स्टार्टअप को इनक्यूबेट किया गया है। इनमें से 954 महिलाओं के नेतृत्व वाले हैं। स्टार्ट अप ने देशभर में 15506 नई नौकरियां सृजित की हैं।
इसके अलावा कार्तिक शर्मा ने एक और सवाल सदन में पूछा था कि हरियाणा में जैव ईंधन बेचने वाले पेट्रोल पंप की संख्या कितनी है और क्या भविष्य में इसमें इजाफा करने की कोई प्लानिंग है। इसके अलावा उन्होंने सवाल किया कि देश में जेट्रोफा फसल के वर्तमान की कुल मात्रा कितनी है और इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
सवाल के लिखित जवाब में पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने जानकारी दी कि जैव ईंधन नवीकरणीय संसाधनों से उत्पादित ईंधन हैं। इनका प्रयोग परिवहन, स्टेशनरी, पोर्टेबल व अन्य काम के लिए डीजल, पेट्रोल व अन्य जीवाश्म ईंधन के स्थान पर या फिर इन्हें मिश्रित कर किया जाता है। हरियाणा में वर्तमान में तीन खुदरा बिक्री केंद्र जैव ईंधन (संपीड़ित जैव गैस) की बिक्री करते हैं। देशभर में ऐसे केंद्रों को बढ़ावा देने के लिए सरकार 8 नवंबर, 2019 को परिवहन ईंधन के विपणनों के लिए प्राधिकार प्रदान करने संबंधी दिशा-निर्देशों को संशोधित किया है।
वहीं एक सवाल के लिखित जवाब में बताया गया कि सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के अनुमानों के अनुसार भारत वृक्ष जनित तिलहन जिसमें जेट्रोफा शामिल है, से जीव डीजल के विनिर्माण सहित औधोगिक उपयोगों के लिए 11,15 लाख टन गैर खाद्य तेल का उत्पादन करता है। वनस्पति तेलों, तिलहनों का उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाकर और जट्रोफा सहित तेल पाम और टीबीओज का क्षेत्र बढ़ाकर खाद्य तेलों का आयात कम करने के उद्देश्य से साल 2018-19 से सरकार द्वारा केंद्रीय स्तर प्रायोजित योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना मिशन-तिलहन और तेल पाम का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसके अलावा जेट्रोफा सहित गैर खाद्य तिलहनों के पौधारोपण हेतु बंजर भूमि का उपयोग करने के लिए ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहित किया गया है। साथ ही बताया गया कि जेट्रोफा को गैर खाद्य तिलहन के रूप में रखा गया है। यह जैव डीजल के उत्पादन के लिए संभावित घरेलू कच्चा माल है।
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