डॉ रविन्द्र मलिक, India News Haryana (इंडिया न्यूज़), Vacant Rajya Sabha Seat By-Election : हरियाणा से पिछले दो माह से रिक्त राज्यसभा की एक सीट के उपचुनाव के लिए भारतीय चुनाव आयोग ने निर्धारित कार्यक्रम घोषित कर दिया है। आगामी 14 से 21 अगस्त तक नामांकन भरे जायेंगे जबकि 22 को उनकी जांच होगी, 27 अगस्त तक इच्छुक व्यक्तियों द्वारा उम्मीदवारी वापिस ली जा सकेगी एवं अगर आवश्यकता हुई तो 3 सितम्बर को मतदान करवाया जाएगा और उसी दिन वोटिंग के पश्चात मतगणना होगी।
हरियाणा विधानसभा में राजनीतिक दलों के मौजूदा संख्या बल के आधार पर ऐसी संभावना बेहद कम या कहा जाए तो न के बराबर है कि आगामी राज्यसभा चुनाव में वोटिंग कराने की नौबत आए। वर्तमान में 28 विधायकों ( किरण चौधरी के कांग्रेस छोड़ने से पहले 29) वाली प्रमुख विपक्षी कांग्रेस पार्टी या अगर सभी विपक्षी दल मिलकर उक्त राज्यसभा सीट के उपचुनाव लिए बेशक संयुक्त उम्मीदवार भी खड़ा करते हैं परन्तु उस प्रत्याशी को कांग्रेस के सभी 28, जजपा के सभी 10, इनेलो के एक और सभी 4 निर्दलीय विधायकों के वोट मिलने के बावजूद वह एक वोट से भाजपा के प्रत्याशी से पीछे ही रहेगा।
राज्यसभा जाने के लिए किरण चौधरी एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं। लेकिन भाजपा में किरण चौधरी के अलावा भी कई दिग्गज नेता राज्यसभा जाने के कड़े दावेदार है। दो वर्ष पूर्व अगस्त, 2022 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए कुलदीप बिश्नोई भी राज्यसभा में जाने के लिए जोर लगा रहे हैं। कुलदीप वर्ष 2004 और 2011 में लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए थे। गत लोक सभा चुनाव में भाजपा ने कुलदीप बिश्नोई को हिसार से टिकट नहीं दी जिसके चलते कुलदीप और उनके समर्थकों को कड़ा धक्का लगा।
ऐसे में कुलदीप की कोशिश की किसी भी हाल में राज्यसभा पहुंचा जाए। कुलदीप के अलावा पिछले कुछ समय से पार्टी में हाशिए पर चल रहे भाजपा दिग्गज कैप्टन अभिमन्यु भी राज्यसभा जाने के कड़े दावेदार बताए जा रहे हैं।। वह भी गलत लोकसभा चुनाव में हिसार से टिकट के दावेदार थे लेकिन पार्टी ने उनको भी टिकट नहीं दी। ऐसे में अब कुलदीप और कैप्टन अभिमन्यु भी किरण चौधरी के अलावा भाजपा की तरफ से राज्यसभा टिकट के कड़े दावेदार हैं।
किरण चौधरी के विधायक रहते हुए पाला बदलकर भाजपा खेमे में जाने से सदन में नायब सैनी सरकार को मौजूदा 87 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा सदन में समर्थन कर रहे विधायकों की संख्या वर्तमान में 44 है जिसमें भाजपा के स्वयं के 41 विधायक हैं जबकि किरण के अलावा एक निर्दलीय नयन पाल रावत और हलोपा के गोपाल कांडा सरकार उसका समर्थन कर रहे हैं। चूँकि राज्यसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपने विधायकों को वोटिंग के संबंध में निर्देश देने के लिए व्हिप नहीं जारी किया जा सकता है। इसलिए कांग्रेस और जजपा के विधायकों द्वारा मतदान, अगर हुआ, तो उसमें क्रॉस-वोटिंग से इनकार नहीं किया जा सकता है।
हरियाणा से राज्यसभा की उक्त सीट के लिए निर्वाचित होने वाले सांसद का कार्यकाल करीब डेढ़ वर्ष अर्थात अप्रैल, 2026 तक ही होगा क्योंकि रोहतक लोकसभा सीट से दो माह पूर्व निर्वाचित हुए लोकसभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा, जिनके लोकसभा सांसद बनने से उपरोक्त राज्यसभा सीट रिक्त हुई है, उनका राज्यसभा कार्यकाल 9 अप्रैल 2026 तक ही था, इसलिए उनकी शेष अवधि के लिए ही उक्त राज्यसभा उपचुनाव कराया जा रहा है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा संभवतः वर्तमान में भिवानी जिले की तोशाम सीट से विधायक किरण चौधरी या उनकी सुपुत्री और पूर्व लोकसभा सांसद श्रुति चौधरी, जो दोनों गत जून में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गयी थी, इनमें से किसी एक को राज्यसभा में पार्टी उम्मीदवार बना सकती है।
20 वर्ष पूर्व जून, 2004 में जब हरियाणा में ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व में इनेलो सरकार सत्तासीन थी, तब प्रदेश में 2 राज्यसभा सीटों के लिए हुए द्विवार्षिक चुनाव में किरण चौधरी, जिन्हें उस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया था, वह उसमें निर्वाचित होने से चूक गई थीं चूँकि मतदान से तीन दिन पूर्व हरियाणा विधानसभा के तत्कालीन स्पीकर सतबीर सिंह कादियान, जो इनेलो से ही विधायक थे, द्वारा किरण चौधरी का समर्थन कर रहे 6 विधायकों जगजीत सांगवान, करण सिंह दलाल, भीम सेन मेहता, जय प्रकाश गुप्ता, राजिंदर बिसला और देव राज दीवान को दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत हरियाणा विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था।
ऐसे में किरण चौधरी अब पुरानी कसक को कहीं ना कहीं पूरा करने की कोशिश करेंगी। उस वक्त किरण द्वारा स्पीकर के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने के बावजूद उक्त अयोग्य घोषित 6 विधायकों को राज्यसभा चुनाव के मतदान में वोटिंग का अधिकार नहीं मिला जिसका परिणाम यह हुआ कि इनेलो के समर्थन से निर्दलीय तौर चुनाव लड़ रहे सरदार त्रिलोचन सिंह चुनाव जीत गए जबकि किरण चुनाव हार गईं।
वहीं राज्यसभा की दूसरी सीट से ओपी चौटाला के बड़े पुत्र और पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पिता अजय चौटाला निर्वाचित हुए थे। 20 वर्षो के बाद अब किरण चौधरी के पास भाजपा के टिकट पर हरियाणा से राज्यसभा जाने का एक और अवसर है बशर्ते उन्हें पार्टी उम्मीदवार बनाया जाता है।
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट एवं राजनीतिक विश्लेषक हेमंत कुमार ने बताया कि कांग्रेस पार्टी के दो विधायकों द्वारा किरण चौधरी के कांग्रेस विधायक रहते हुए स्वैच्छिक तौर पर पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल होने के विरूद्ध दल बदल विरोधी कानून के अंतर्गत उन्हें विधानसभा सदस्यता से अयोग्य कराने के लिए विधानसभा स्पीकर के समक्ष दायर याचिका लंबित है। इससे उनकी राज्यसभा उम्मीदवारी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वैसे भी वह स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता, जो स्वयं पंचकूला से भाजपा विधायक हैं, के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है कि वह उक्त मामले में कितने समय में निर्णय सुनाते हैं।
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