India News Haryana (इंडिया न्यूज), Chaudhary Charan Singh : हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में 23 दिसम्बर को देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह की 122वीं जयंती के उपलक्ष्य में किसान दिवस मनाया गया। समारोह के मुख्य अतिथि प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण, पशुपालन एवं डेयरी मत्स्य पालन मंत्री श्याम सिंह राणा ने किसानों को सम्मानित किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज कार्यक्रम की अध्यक्षता की। मंत्री श्याम सिंह राणा ने विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
इस प्रोग्राम के दौरान कृषि और उससे संबंधित विभिन्न व्यवसायों व अन्य उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रदेश के 40 (महिला और पुरुष) प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया गया है। सम्मानित किए जाने वाले इन किसानों में अम्बाला जिला के गांव धुराला से दिलप्रीत सिंह, अम्बाला शहर के दुर्गा नगर से राजविंदर कौर, रेवाडी के बहरामपुर से सुनील कुमार, जखाला से रानी यादव, भिवानी के बडाला से गजानंद, हरिपुर से शर्मिला, नूह के छपेरा से रविंदर व पूनम, फऱीदाबाद के नचौली से सुभाष नागर, भोपानी से ममता के किसान सम्मानित किए गए।
फतेहाबाद के हसंगा से सूरजभान, गोरखपुर से दर्शना, झज्जर के वजीरपुर से अजय कुमार, झामरी से सीमा, जीन्द के अहिरकां से दले राम, निदाना से कमलेश, कैथल के बट्टा से प्रदीप कुमार, लैंडरपीरज़ादा से रुपिंदर कौर, करनाल के अमुपुर से अरुण कुमार, चिराव से राजवंती, कुरूक्षेत्र के ज्योतिसर से नन्द लाल, दबखेड़ी से सत्या देवी, महेंद्रगढ़ के खैरा से योगेन्द्र, बचीनी से मंजू, पलवल के गांव मंढनाका से सतवीर सिंह, सरोली से श्रीमती ईश्वर, पंचकुला के टाबर से हरभजन सिंह, पंचकुला के सेक्टर-14 से गुरूमीत कौर।
पानीपत के हथवाला से संदीप कुमार, सिठाना से सुजाता, रोहतक के लाखनमाजरा से जय प्रकाश, मैना से रेखा कुमारी, हिसार के चूली खुर्द से संदीप कुमार, बालसमंद से मोनिका, सिरसा के गिगोरानी से वीरेंद्र साहू, खाजाखेड़ा से गीता, सोनीपत के रोहट से जय सिंह, सोनीपत से सोनिया दहिया, यमुनानगर के दोहली से वागीश कंबोज, रतनगढ से प्रवेश कुमारी शामिल है।
पत्रकारों से बातचीत में कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि चौधरी चरण सिंह किसान व कमेरा वर्ग के सच्चे हितैषी थे। स्वयं एक किसान व ग्रामीण परिवेश से होने के नाते वे किसानों की समस्याओं को अच्छी तरह से समझते थे। वे मानते थे कि देश के विकास का रास्ता खेत-खलिहानों से होकर गुज़रता है इसलिए उन्होंने ताउम्र किसानों और गरीबों के उत्थान के लिए संघर्ष किया। उन्होंने देश में किसानों के जीवन और स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियां बनाई।
उन्होंने विभिन्न राजनीतिक पदों पर रहते हुए देश में जमींदारी प्रथा समाप्त कराना, भूमि सुधार अधिनियम लागू कराना, ऋण निमोचन विधेयक पारित कराना और केंद्र में ग्रामीण पुनरुत्थान मंत्रालय स्थापित करना जैसे अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए। किसानों के लिए उनके अतुलनीय योगदान के दृष्टिगत साल 2001 से 23 दिसंबर को उनकी जयंती को राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है।