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KISAN PROTEST: गर्मियों के लिए तैयार है किसान !

• LAST UPDATED : April 2, 2021

सोनीपत/सन्नी मलिक

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लगभग 4 महीने से प्रदर्शन कर रहे किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. सर्दियों में तो जैसे तैसे कट गए दिन लेकिन गर्मियों की चिंता दुखदाई थी. लेकिन किसानों ने हार न मानते हुए गर्मियों के भी इंतजामात कर लिए हैं. और जो कमियां हैं वो भी आने वाले दिनों में पूरी कर ली जाएंगी. बता दें किसान ट्रॉलियों में ही फाइव स्टार की तरह कमरा बनाकर सिंघु बॉर्डर पर आंदोलनरत हैं।

आराम करते किसान

आंदोलन कारियों ने की फुुल ऑन व्यवस्था,नहीं लगेगी गर्मी

किसान पिछले 4 महीने से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे है, अब सिंघु बॉर्डर पर किसान अपनी ट्रॉलियों में ही कमरा बना कर सिंघु बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं. सिंघु बॉर्डर पर पहुंच रही सभी ट्रालियां किसी 5 स्टार से कम नहीं हैं. इनवर्टर, एलइडी वाईफाई, इंटरनेट यहां तक कि अलग अलग तरह की व्यवस्थाएं,  ट्रॉलियों में की गई है. ताकि बिजली की भी कोई कमी ना पड़े।

वहीं इन सब पर करीब डेढ़ से 2 लाख रुपये खर्चा आ रहा है. किसानों का कहना है कि वह लगातार पिछले 4 महीने से आंदोलन पर डटे हुए हैं. मुख्य स्टेज के पास उनका लंगर भी चल रहा है. और वह लगातार सेवा भी कर रहे हैं, किसानों का कहना है कि किसान लगातार शहीद हो रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी बात नहीं सुन रही.

4 ट्रॉलियां तैयार करवाई हैं आगे जरूरत के हिसाब से और मंगाई जाएंगी ट्रॉली

जगमगाती ट्रालियां

उन्होनें कहा कि सर्दी में तो कंबल और आग के सहारे आंदोलन चलाया और अब एक दो नहीं बल्कि 4 ट्रॉलियां तैयार करवाई हैं. जिसमें कोई भी आकर रह सकता है और आगे जरूरत पड़ी तो और भी ट्रॉलियां तैयार करवाएंगे।

शिव किसान मोर्चा ने कहा कि वे केएमपी को जाम करेंगे, वहीं दिल्ली भी कूच करेंगे. क्योंकि सरकार की आंखें नहीं खुल रही है, और वह किसानों की मांग पूरी नहीं कर रही है.  वहीं पंजाब के ही नहीं हरियाणा के किसान भी अब अपनी ट्राली तैयार करवाकर बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं।

किसानों का कहना है, कि दिल्ली के पास गर्मी बहुत ज्यादा होती है, और आंदोलन में रहना भी बहुत जरूरी है. इसीलिए ट्रालियों में एसी लगवा दी गई है ताकि उन्हें गर्मी ना लगे. वहीं ट्रालियों के अंदर ही एलइडी ,स्क्रीन ,इनवर्टर भी रखवा दिए गए हैं ताकि लाइट की भी कोई कमी ना रहे।

किसानों का कहना है कि फसल का समय है, लेकिन आंदोलन भी बहुत जरूरी है, फसल के समय को देखते हुए फसल काटने के लिए ड्यूटी लगा दी गई है, लेकिन वह अपने आंदोलन को खत्म नहीं होने देंगे और जब तक सरकार उनकी मांग पूरी नहीं करेगी आंदोलन में इसी तरह डटे रहेंगे।