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Animal Care in Monsoon Season : जानें ऐसे करें बरसात के मौसम में पशुओं की देखभाल

  • बरसात में अनेक बीमारियाें की चपेट में आज जाते हैं पशु

इशिका ठाकुर, India News Haryana (इंडिया न्यूज), Animal Care in Monsoon Season : हरियाणा सहित उत्तर भारत में मॉनसून दस्तक दे चुका है और ऐसे में बरसात के दिनों में पशु कई बीमारियाें की चपेट में आ जाते हैं, जिसके चलते उनके स्वास्थ्य सहित उनके दूध उत्पादन पर भी काफी प्रभाव पड़ता है, वहीं अगर बात करें हरियाणा की तो यहां बड़े स्तर पर पशुपालन किया जाता है। अगर समय रहते पशुपालक पशुओं में आने वाले बीमारियों के प्रति जागरूक नहीं होंगे तो उस कारण उनके दूध उत्पादन पर काफी गहरा प्रभाव पड़ेगा और उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब हो सकती है।

Animal Care in Monsoon Season : करनाल वेटरनरी सर्जन राणा का कहना

डॉक्टर तरसेम राणा वेटरनरी सर्जन करनाल ने बताया कि बरसात के दिनों में एंथ्रेक्स नामक बीमारी पशुओं में होती है। यह बीमारी विशेष तौर पर गाय, भैंस, बकरी और भेड़ में आती है। जैसे ही मौसम परिवर्तन होता है, उन दिनों के दौरान यह बीमारी ज्यादा देखने को मिलती है, क्योंकि इन दिनों में बरसात के कारण चारा व पानी दूषित हो जाता है।

वहीं बरसात के दिनों में मच्छर और मक्खियों का प्रकोप ज्यादा होता है, जिनके कारण भी यह बीमारी फैलती है। इसकी पहचान करने के लिए पशुपालकों को चाहिए कि वह अपने पशु का शरीर का तापमान चेक करते रहें, अगर पशु चारा कम खा रहा है या उसका गोबर पतला आ रहा है या उसमें से दुर्गंध आ रही है तो डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर की सलाह के अनुसार उसका उपचार करें। अगर समय रहते इसका उपचार न किया जाए तो पशुओं में 40 से 50% दूध उत्पादन कम हो जाता है।

गलघोटू बीमारी

पशु चिकित्सक ने बताया कि बरसात के दिनों में अक्सर पशुओं में गलघोटू बीमारी का प्रकोप भी देखने को मिलता है। यह एक काफी घातक व जल्दी से दूसरे पशुओं में फैलने वाली बीमारी है। यह ज्यादातर भैंसों में आती है, अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह बीमारी मौत का कारण भी बन सकती है। इस बीमारी का लक्षण है कि इसमें पशु को तेज बुखार आता है, गले पर सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है।

अगर किसी भी पशुपालक को ऐसे लक्षण दिखाई दें तो वह तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें। हालांकि इस प्रकार के रोग से छुटकारा पाने के लिए पशु विभाग के द्वारा समय-समय पर वैक्सीनेशन अभियान भी चलाया जाता है, लेकिन फिर भी बरसात के दिनों में यह रोग आ जाए तो पशुपालक को चिकित्सक से सलाह लेकर उसका इलाज करवाना चाहिए। अगर किसी भी पशु में इस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसको दूसरे पशुओं से अलग बांधें और उसका चारा और पानी भी अलग रखें। इस बीमारी के कारण भी पशुओं का दूध 50 से 60% कम हो जाता है।

मुंह खुर बीमारी

यह भी बता दें कि पशुओं में आने वाली मुंह खुर भी एक खतरनाक बीमारी है जो एक वायरस से पैदा होती है। इसको अन्य कई नाम से जाना जाता है जैसे मुंह पका खुर पका इत्यादि। यह भी एक पशु से दूसरे पशु में ज्यादा तेजी से फैलती है। यह ज्यादातर गाय, भैंस, भेड़ और सूअर में आती है। इस बीमारी का मुख्य लक्षण यह है कि इस बीमारी से पशु  काफी कमजोर हो जाता है और दूध उत्पादन भी कम हो जाता है।

इसमें मुंह और खुर के आसपास शरीर पक जाता है और मुंह से लार निकलती है। इस रोग में मुंह, जीव, मसूड़े के अंदर, खुरों के आसपास और कहीं बार थनों के आसपास भी छाले पड़ जाते हैं। इसमें पशु को बुखार भी ज्यादा होता है। जिससे दूध उत्पादन लगभग 50% कम हो जाता है। अगर किसी भी पशु में ऐसे रोग देखने को मिलते हैं तो पशु चिकित्सक से संपर्क करके उसका इलाज करें तो वहीं ऐसे पशु को अन्य दूसरे पशुओं से दूर रखें और उनके चारे का प्रबंध और पानी का प्रबंध भी अलग करें। इस रोग के लिए भी पशु चिकित्सा विभाग समय-समय पर वैक्सीनेशन अभियान चलाता है।

मच्छर व मक्खियों का प्रकोप

पशु चिकित्सक ने बताया कि बरसात के दिनों में मच्छर व मक्खियों का प्रकोप भी ज्यादा बढ़ जाता है, ऐसे में उनसे कई प्रकार की बीमारियां फैलती हैं, तो वहीं मच्छर काटने से भी पशु बीमार हो जाते हैं। ऐसे में उनके बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें या फिर स्वास्थ्य विभाग से संपर्क करके अपने पशुओं के बाड़े में मच्छरों पर नियंत्रण करने के लिए स्प्रे का प्रयोग करें। मच्छरों के कारण भी दूध उत्पादन पर काफी प्रभाव पड़ता है। इसलिए इसका प्रबंध करना अति आवश्यक है। अक्सर देखने में मिलता है कि बरसात के दिनों में मच्छरों के ज्यादा प्रकोप से पशुओं का दूध उत्पादन में 50% तक गिरा जाता है।

पशुओं के रहने का स्थान साफ-सुथरा रखें

बरसात के दिनों में पशुओं के रहने का स्थान साफ-सुथरा होना चाहिए, ताकि वहां पर मच्छर और मक्खी न आ पाएं, वहीं पशु के नीचे गीली मिट्टी या गिला फर्श बिल्कुल न होने दें। ऐसा होने से बीमारियां पनपती हैं। उनको हवादार कमरे में या बाड़े में रखें।

खाने का रखें विशेष ध्यान

बरसात के दिनों में पशुओं के खाने के लिए विशेष प्रबंध की आवश्यकता होती है, क्योंकि कई बार मच्छरों के ज्यादा प्रकोप के चलते पशुओं के चारे से ही कई प्रकार रोग उत्पन्न हो जाते हैं, ऐसे में पशुओं के लिए हरे चारे के साथ सूखा चारा मिलकर ताजा चारा डालें और पीने के पानी के लिए भी अच्छे से प्रबंध करें और ताजा पानी उनको पिलाएं, क्योंकि कई बार जहां पर पशु के पानी पीने का प्रबंध किया हुआ होता है वहां पर मच्छर अंडे दे देते हैं जिसके बाद पानी पीने के दौरान वह अंडे पशुओं के पेट में चले जाते हैं और पशु बीमार हो जाते हैं।

बरसात के दिनों में पशुओं को मिक्सर फीड दिन में हर पशु को 50-50 ग्राम दोनों टाइम दें और दुधारू पशुओं को उनके दूध के अनुसार फीड देते रहें। इस प्रकार से बरसात के दिनों में पशुपालक अपने पशुओं का विशेष ध्यान रख सकते हैं, ताकि उनके पशु का भी बचाव हो सके और दूध उत्पादन में भी गिरावट न आए।

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Amit Sood

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