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Makar Sankranti 2025 : जानें मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व और आखिर क्यों मनाई जाती है प्रतिवर्ष

BY: • LAST UPDATED : January 14, 2025

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  • आज सूर्य मकर राशि में प्रवेश, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Makar Sankranti 2025 : मकर संक्रांति 14 जनवरी को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है और यही वह दिन है जब सूर्य देव सुबह मकर राशि में गोचर करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह दिन अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास समाप्त होगा और वसंत ऋतु के आगमन का संकेत मिलता है।

Makar Sankranti 2025 : मकर संक्रांति का संबंध महाभारत काल से भी

वहीं बता दें कि मकर संक्रांति का संबंध महाभारत काल से भी है। भीष्म पितामह ने 58 दिनों तक बाणों की शैया पर रहने के बाद सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया था। उनका मानना था कि उत्तरायण के दौरान प्राण त्यागने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी उत्तरायण का महत्व बताया है। उन्होंने कहा कि सूर्य के उत्तरायण होने पर शरीर त्यागने वाले व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता और वे सीधे ब्रह्मलोक को प्राप्त होते हैं।

पुण्यकाल और महापुण्यकाल के मुहूर्त

  • पुण्यकाल: सुबह 9:03 बजे से शाम 5:46 बजे तक।
  • महापुण्यकाल: सुबह 9:03 बजे से सुबह 10:48 बजे तक।

इस अवधि में गंगा स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। इस समय में किए गए धार्मिक कार्यों से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है।

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पर्व का ज्योतिषीय महत्व

सूर्य देव को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। मकर राशि में प्रवेश के साथ ही छह महीने का शुभ काल प्रारंभ हो जाता है। यह समय नए कार्य शुरू करने, धार्मिक अनुष्ठान और दान के लिए उत्तम माना जाता है। बताया गया है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान और तिल-गुड़ का दान करना शुभ होता है। व्रत रखने और सूर्य देव को अर्घ्य देने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न राज्यों में पतंग उड़ाने और लोकगीत-नृत्य के जरिए पर्व मनाया जाता है।

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