होम / …पर्यटन स्थल पर क्या कहा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जानिए

…पर्यटन स्थल पर क्या कहा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जानिए

• LAST UPDATED : August 1, 2021

ढोसी/ भालेंद्र यादव

नांगल चौधरी  के गांव कुलताजपुर में च्यवन ऋषि की तपोभूमि पर पर्यटन स्थल बनेगा। च्यवन ऋषि की तपोभूमि ढोसी की पहाड़ी दक्षिणी हरियाणा  और  उत्तरी राजस्थान की सीमाओं पर स्थित है। पहाड़ी का हरियाणा वाला भाग नारनौल में तो राजस्थान वाला भाग झुन्झुनू में स्थित है।

नांगल चौधरी से विधायक डॉ अभय सिंह यादव ने ढोसी की पहाड़ी पर पर्यटन स्थल बनाने की मांग मुख्यमंत्री के सामने रखी थी। 2 दिन पहले मुख्यमंत्री ने नारनौल दौरे पर पर्यटन स्थल बनाने की हरी झंडी दे दी थी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि जल्द ही पहाड़ी पर पर्यटन स्थल बनाया जाएगा।

 ढोसी की पहाड़ी के साथ जुड़ी है काफी पौराणिक कथाएं।

ढोसी की पहाड़ी का भारत की संस्कृति और इतिहास में विशेष स्थान है। इस पहाड़ी का जिक्र हमें हिन्दू पुराणों और महाभारत में मिलता है। महाभारत के अनुसार अज्ञात वास के दौरान पांडव यहां इसी पहाड़ी पर रुके थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार हिंदुओ के प्रमुख वेद भी इसी पहाड़ी पर लिखे गए थे और आयुर्वेद की सबसे बड़ी औषधि च्यवनप्राश की खोज भी नारनौल में ढोसी की पहाड़ी पर हुई थी।

पुराणों में है पहाड़ी की उत्पत्ति का भी जिक्र।

महाभारत महाकाव्य के अनुसार इस पहाड़ी की उत्पत्ति त्रेता युग में हुई थी। लगभग 5100 वर्ष पूर्व पांडव भी अपने अज्ञातवास के दौरान यहां आए थे।विश्व के सबसे पुराने धर्म यानी सनातन धर्म के शुरूआती विकास से लेकर आयुर्वेद की महत्वपूर्ण खोज च्यवनप्राश का नाता ढोसी पहाड़ी से है।

भूवैज्ञानिक नहीं मानते ज्वालामुखी संरचना।

एक सुप्त ज्वालामुखी की संरचना होते हुए भी भूगर्भशास्त्री इसे ज्वालामुखीय संरचना मानने से इंकार करते हैं। भूगर्भशास्त्रियों का कहना है कि पिछले 2 मिलियन सालों में अरावली पर्वत शृंखला में कोई ज्वालामुखी विस्फोट नहीं हुआ, इसलिए इसे ज्वालामुखी संरचना मानना सही नहीं है। पहाड़ी की तलहटी में गांव मौजूद है। इतिहास के जानकारों के अनुसार गांव में वैश्य और ब्राह्मण हैं, जो कि च्यवन और भृगु ऋषि के वंशज हैं।

इसके अलावा भी कई सारी कहानियां है ढोसी की पहाड़ी को लेकर ।

  •  ढोसी की पहाड़ी की ऊंचाई लगभग 470 मीटर है।

  • पहाड़ी पर गुफा, महर्षि च्यवन का आश्रम, एक जर्जर किला,एक कुआं और शिव मंदिर है।

  • पहाड़ी पर हर सोमवती अमावस को मेला लगता है और हजारों श्रद्धालु आसपास से कुंड में स्नान करने आते है।

  • पहाड़ी पर 8 किलोमीटर का परिकर्मा मार्ग भी है मगर लैंड स्लाइडिंग के चलते वो मार्ग भी जटिल हो चुका है, फिर भी कुछ श्रद्धालु उसे पूरा करते है।

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

Jind Accident : कार व ट्रैक्टर-ट्रॉली की टक्कर में कार सवार दो श्रद्धालुओं की मौत
Loharu Vidhan Sabha : कामयाब जनसमर्थन रैली के बाद आभार जताने कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे जेपी दलाल
Subhash Barala Taunts Congress : वोट के बदले नौकरी देना कांग्रेस का भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला एक सूत्रीय फार्मूला 
Jind Crime : अमेरिका भेजने का झांसा दे 27 लाख ठगे
Haryana Election 2024 : सिनेमाघर और केबल पर एमसीएमसी कमेटी की अनुमति से ही होगा विज्ञापनों का प्रसारण
Haryana Assembly Elections 2024 : अंतरराज्यीय हरियाणा-यूपी पुल पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
Vij Said On Congress’ Manifesto : कांग्रेस के घोषणापत्र पर बोले विज “यह घोषणा पत्र धोखे का पत्र, झूठ का पुलिंदा और इसे नदी में फेंक देना चाहिए”
ADVERTISEMENT
mail logo

Subscribe to receive the day's headlines from India News straight in your inbox