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Kumari Selja’s Statement On DAP : डीएपी खाद को लेकर या तो अधिकारी सरकार को या सरकार किसानों को कर रही गुमराह

• LAST UPDATED : November 19, 2024
  • कहा- खाद के लिए किसानों का लगना पड़ रहा है कतार में तो कई जगह किसान ब्लैक में खरीद रहे है खाद

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Kumari Selja’s Statement On DAP : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि हरियाणा सहित देश के कई राज्यों में इन दिनों डीएपी का संकट गहराया हुआ है, किसान इस वक्त गेहूं और सरसों की बुवाई में लगे हैं ऐसे में अगर समय रहते खाद नहीं मिलती है तो फसलों को नुकसान हो सकता है।

Kumari Selja’s Statement On DAP : डीएपी खाद उपलब्ध कराने की दिशा में उचित कदम उठाना चाहिए

डीएपी खाद की सबसे अधिक समस्या हरियाणा और मध्यप्रदेश में है। राजस्थान, यूपी, बिहार में बनी हुई है। हरियाणा में डीएपी खाद को लेकर या तो अधिकारी सरकार को गुमराह कर रहे है या सरकार किसानों को गुमराह करने में लगे हुए है। सरकार बयानबाजी से परे हटकर डीएपी खाद उपलब्ध कराने की दिशा में उचित कदम उठाना चाहिए, क्योंकि अगर गेहूं और सरसों की बिजाई का समय निकल गया तो इन फसलों का उत्पादन प्रभावित होगा।

कई जगह तो किसानों को ब्लैक में खाद खरीदनी पड़ रही

मीडिया को जाराी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि डीएपी खाद के लिए हरियाणा में किसान पूरे-पूरे दिन लाइन में खड़े रहते हैं उसके बावजूद खाद नहीं मिल पा रही। कई जगह तो किसानों को ब्लैक में खाद खरीदनी पड़ रही है। हरियाणा का किसान फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी) का अधिक प्रयोग करने लगा है। प्रदेश में बीते छह साल में कृषि योग्य भूमि तो लगभग उतनी ही रही लेकिन 90 हजार मीट्रिक टन (एमटी) से अधिक डीएपी की खपत बढ़ गई। वर्ष 2018-19 में 4.70 लाख एमटी डीएपी की खपत हुई थी, जो अब बढ़कर साढ़े पांच लाख एमटी से ज्यादा हो गई है।

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गेहूं-सरसों में डीएपी का अधिक प्रयोग

हरियाणा में हर साल करीब 05 लाख एमटी डीएपी की खपत होती है। सबसे अधिक डीएपी का प्रयोग रबी में होता है। खरीफ में औसतन 2.26 लाख एमटी और रबी में 2.43 लाख एमटी डीएपी की खपत होती है। इसका मतलब ये है कि धान की बजाय किसान गेहूं व सरसों की फसल में डीएपी का अधिक प्रयोग करते हैं। सरकार को जब पता है कि किसानों को कितनी डीएपी खाद चाहिए तो उसका उचित प्रबंध क्यों नहीं किया गया।

हरियाणा में 89 लाख एकड़ से अधिक कृषि भूमि है और 16 लाख से ज्यादा किसान परिवार हैं। औसतन हरियाणा में 25 लाख हेक्येटर (62 लाख एकड़) में गेहूं की बिजाई की जाती है और सात लाख हेक्टेयर में सरसों की बिजाई होती है। करीब 13 लाख हेक्टेयर में धान की बिजाई की जाती है। प्रदेश में 96,000 हेक्टेयर में गन्ने की खेती की जा रही है। देशभर में डीएपी की खपत में वार्षिक वृद्धि 10 प्रतिशत से अधिक हो रही है।

कई राज्यों में गहराया डीएपी खाद का संकट

हरियाणा पंजाब के साथ साथ देश में मध्य प्रदेश, यूपी, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल में डीएपी खाद का संकट गहराया हुआ है।  उनका कहना है कि केंद्र सरकार डीएपी खाद के आवंटन में भी राजनीति कर रही है। सरकार ने एनडीए और बीजेपी शासित चुनावी राज्यों में खाद की कमी न हो इसके लिए दूसरे राज्यों का हिस्सा भीं चुनावी राज्यों को उपलब्ध करा दिया।

अगर खाद की कोई कमी नहीं है तो हर जिला किसानों की लंबी लंबी लाइनें क्यों लगी?

इस कारण समस्या बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में मुख्यमंत्री नायब सिंह और कृषि मंत्री दावा कर रहे है कि प्रदेश में डीएपी खाद की कोई कमी नहीं है, विपक्ष अफवाह फैलाकर किसानों को गुमराह कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर खाद की कोई कमी नहीं है तो हर जिला किसानों की लंबी लंबी लाइनें क्यों लगी है। उन्होंने कहा कि डीएपी खाद को लेकर अधिकारी सरकार को या सरकार किसानों को गुमराह कर रही हैं।

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