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New Parliament Building M Sand : संसद भवन में हरियाणा के इस जिले के रेत का इस्तेमाल, देश के पीएम ने भी की सराहना

पवन शर्मा, India News, इंडिया न्यूज, New Parliament Building M Sand, नई दिल्ली : देश के पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा कल यानि रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन किया गया। क्या आपको मालूम है इस नए भवन में जिस रेत का इस्तेमाल किया गया है वह कहां से लगाया गया था। इस रेत की तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी काफी सराहना की है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि इस भवन में रेत कहां से लाया गया। इस रेत को एम-रेत कहा जाता है। रेत की गुणवत्ता को लेकर मार्कीट में आने से पहले उच्च स्तर पर लैब में जांच होती है, तदोपरांत ही इस रेत की सप्लाई होती है।

यह एम रेत प्रदेश के जिला चरखी दादरी में होता है। यहां के पहाड़ी ज़ोन से पत्थरों को पहले पीसा जाता है और फिर इसकी वॉशिंग कर फनिशिंग की जाती है। इस रेत की बड़ी बात हैं कि इसकी डिमांड न केवल हरियाणा में अधिक रहती है, बल्कि देशभर में इस रेत को काफी सराहा जाता है। इसी रेत को दिल्ली में तैयार नए संसद भवन में प्रयोग करने के बाद चहुंओर इमारत की मजबूती के चर्चे हो रहे हैं।

एम रेत की लाइफ अन्य रेत से कहीं ज्यादा

चरखी दादरी के क्रशर जोन से एम-रेत को तैयार होता है। यहां पर दर्जनों प्लांट एम-रेत को तैयार करते हैं। इस क्षेत्र की पहाड़ियों में पत्थर की स्ट्रेंथ ज्यादा होने के चलते इससे तैयार एम-रेत की लाइफ काफी ज्यादा होती है। इसे पानी व कैमिकल से सफाई कर तैयार किया जाता है। एम-रेत को सप्लाई करने से पहले लैब में जांच करके ही आगे भेजा जाता है।

यह बोले इंजीनियर वजीर खान

इस रेत के बारे में जानकारी देते हुए इंजीनियर वज़ीर ख़ान ने कहा कि एम-रेत को तैयार करने के लिए पहाड़ों पर पहले पत्थरों की कटाई होती है। फिर इसे पीसा जाता है। इसको प्लांट में पानी से वॉशिंग कर केमिकल के माध्यम से तैयार किया जाता है। वाशिंग व कैमिकल से तैयार एम-रेत से की लाइफ अन्य कई रेत से अधिक होती है।

आपको अगर इस रेत के आकार के बारे में बताएं तो यह m बालू का घनाकार आकार में होता है। इसके आकार और खुरदरी बनावट के कारण यह कंक्रीट की कार्य क्षमता को प्रभावित करता है। यह रेत नदी की रेत की तुलना में कंक्रीट की ताकत अधिक रहती है। कंक्रीट में एम रेत का उपयोग करते समय वे गुणवत्ता संबंधी समस्याएं उत्पन्न नहीं होंगी।

माइनिंग व क्रशर मालिक योगेश सिंह का कहना

वहीं एक माइनिंग व क्रशर मालिक योगेश सिंह ने बताया कि वाशिंग व कैमिकल से तैयार एम-रेत की लाइफ अनलिमिटेड है। नई संसद भवन में दादरी क्षेत्र की पहाड़ियों से निकाले गए पत्थर को पीसकर तैयार एम-रेत को लगाया है। इस एक रेत की प्रदेश सहित देशभर में चर्चा हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि पहले इस रेत का प्रयोग मेट्रो के पिलरों को मज़बूती देने लिए भी किया गया है।

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Amit Sood

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