डिजिटल बागवानी पर अनुसंधान की पहल- एमएचयू- कोच्चि विश्वविद्यालय जापान मिलकर करेंगे काम : डाॅ. सुरेश मल्होत्रा
प्रवीण वालिया, India News Haryana (इंडिया न्यूज), Maharana Pratap Horticultural University : विश्व में जलवायु परिवर्तन के चलते खेती किसानी पर चुनौती से निपटने के लिए महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल ने डिजिटल बागवानी पर अनुसंधान की पहल की है। यह जानकारी देते हुए एमएचयू के कुलपति डॉ. सुरेश मल्होत्रा ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के समय में कृषि में कई आपदाएं जैसे सुखा, असमय ओलावृष्टि, अधिक वर्षा आदि से नुकसान की संभावना हर समय बनी रहती है। इसके अलावा हमारी जोत का आकार भी लगातार घट रहा है, जिससे छोटे व मंझोले किसानों के लिए कम क्षेत्र से अधिक उत्पादन व अधिक आय लेना एक बड़ी चुनौती है।
कुलपति डॉ. सुरेश मल्होत्रा ने बताया कि इन सभी बिंदुओं को केंद्र में रखकर महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल ग्रीन हाउस खेती में जापान की इंटरनेटस आफ प्लाटस (आईओपी) नामक तकनीक पर अनुसंधान करने के लिए एमएचयू कुलपति की अध्यक्षता में वैज्ञानिकों के दल ने जापान की कोच्चि विश्वविद्यालय का 13-17 जनवरी में भ्रमण किया और जापान के वैज्ञानिकों के साथ विस्तार से चर्चा की।
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इस तकनीक से ग्रीन हाउस के अंदर फल, सब्जियां, फूल व मसालों वाली फसलों पर सैंसर संवेदी तकनीक, जिससे ग्रीन हाउस में तापमान, आद्रर्ता, प्रकाश सश्लेषण, वार्ष्पोजन आदि के सिंद्धात पर विभिन्न फसलों के लिए इंटरनेटस आफ प्लाटस (आईओपी) मॉडयूल तैयार किए जाएंगे।
इस क्षेत्र में महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय ओर कोच्चि विश्वविद्यालय जापान मिलकर काम करेंगे ताकि हरियाणा राज्य के लिए इस प्रकार आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक बनाकर किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी। इससे बागवानी फसलों के उत्पादन, गुणवत्ता, अधिक आय की संभावनाएं बढ़ेंगी। इस संद्रर्भ में 21 फरवरी 2025 को जापान कोच्चि विश्वविद्यालय का 6 सदस्यीय वैज्ञानिकों का दल एमएचयू का भ्रमण करेगा ओर गहनता के साथ विचार विमर्श करेगा। महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल के साथ अनुसंधान एवं शिक्षा में सहभागिता के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर भी करेगा।
माननीय कुलपति डॉ. सुरेश मल्होत्रा ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के चलते खेती किसानी पर संकट लगातार गहरा रहा हैं, असमय बरसात, ओलावृष्टि, अत्याधिक गर्मी के कारण फसलों को नुकसान की संभावना हर समय बनी रहती है। ये एक ऐसा विषय है, जिस पर किसान भाई चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते।
इन सब संकटों को देखते हुए देश विदेश के वैज्ञानिक गंभीर समस्या के समाधान की दिशा में काम करने की दिशा में आगे बढ़ रहे है। जलवायु परिवर्तन से होने वाले विपरीत प्रभाव से किस प्रकार फसलों को बचाया जाए, जिससे फसलों की गुणवत्ता व उत्पादन पर कोई असर न पड़े। इसी को लेकर एमएचयू ओर जापान की कोच्चि यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक मिलकर काम करेंगे। जिसके सार्थक परिणाम निकलकर सामने आएंगे।
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