- अवार्ड मिलने पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी बधाई
- वे अंतिम सांस तक मां बोली हरियाणवीं की दिलो जान से सेवा करते रहेंगे: पद्मश्री महावीर गुड्डू
- पदमश्री पुरस्कार हरियाणा व हरियाणवियों को समर्पित करता हूं: महावीर गुड्डू
India News (इंडिया न्यूज), Mahavir Guddu Honored With Padmashree Award : पूरे विश्व में हरियाणवीं संस्कृति की अमिट छाप छोड़ने वाले सफीदों निवासी प्रसिद्ध लोक कलाकार महावीर गुड्डू को देश की राष्ट्रपति महामहिम द्रोपदी मुर्मु ने उन्हे पदमश्री पुरस्कार प्रदान किया। उनको यह पुरस्कार मिलने पर सफीदों क्षेत्र निवासियों व हरियाणवीं कला प्रेमियों में खुशी की लहर है। पदमश्री अवार्ड लेकर जैसे ही महावीर गुड्डू सफीदों स्थित निवास पहुंचे तो उनके यहां बधाई देने वालों का तांता लग गया।
Mahavir Guddu Honored With Padmashree Award : अपनी खुशी का शब्दों में बयां नहीं कर सकते
इस मौके पर हमारे संवाददाता से बातचीत में महावीर गुड्डू ने कहा कि यह अवार्ड उन्हे शंकर भगवान व मां सरस्वती की कृपा, परिवार व बुजुर्गों के आशीर्वाद, हरियाणवी संस्कृति से प्रेम करने वाले लोगों के प्यार की बदौलत प्राप्त हुआ है। यह पुरस्कार पाकर वे बेहद खुश है और उनकी 53 साल की कला के क्षेत्र में यात्रा का परिणाम है। वे अपनी खुशी का शब्दों में बयां नहीं कर सकते। वे यह पुरस्कार समस्त हरियाणा व हरियाणवियों को समर्पित करते हैं। इस पुरस्कार के लिए वे देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रदेश की तत्कालीन मनोहर लाल सरकार व पुरस्कार चयन समिति का दिल से आभार प्रकट करते हैं। उन्होंने बताया कि इस पुरस्कार को प्राप्त करते वक्त उन्हें एक विशेष अनुभूति महसूस हुई। जितने भी अवार्ड प्राप्त करने वाले लोग थे, वे सभी कहीं ना कहीं अपने-अपने क्षेत्र में विशेष स्थान को प्राप्त थे और चयन समिति ने सभी को उनकी योग्यता को ध्यान में रखकर ही सहीं रूप से अवार्ड के लिए नामित किया था।
पीएम मोदी ने भी खड़े होकर बधाई दी और उनकी पीठ थपथपाई
उन्होंने बताया कि पुरस्कार प्रदान करते वक्त राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने उन्हे बधाई तो दी ही साथ ही साथ जब वे पुरस्कार लेकर लौट रहे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खड़े होकर बधाई दी और उनकी पीठ थपथपाई। महावीर गुड्डू कहते है कि पदम श्री पुरस्कार ने उन्हे जमीन से हाथी पर बैठा दिया है। वे उपमंडल सफीदों के गांव गांगोली में एक सामान्य परिवार में जन्मे और शिक्षा-दीक्षा के बाद वे शिक्षा विभाग में प्राध्यापक बने। 1972 से उन्होंने हरियाणवीं कला के क्षेत्र में अपना पहला कदम रखा था। हालांकि उनका परिवार कला व संस्कृति के क्षेत्र में नहीं रहा है लेकिन उन्होंने हरियाणवीं संस्कृति को अंगीकार करते हुए कलां के क्षेत्र में कदम रखा। धोती-कुर्ते, चिमटे, बीन, बांसुरी और शंख ने उन्हे एक विशेष पहचान प्रदान की।
इन सम्मान से भी नवाज़े जा चुके है गुड्डू
बता दें कि महावीर गुड्डू पंडित लखमी चंद राज्य पुरस्कार, हरियाणा कला रत्न अवार्ड, पंडित लखमी चंद शिक्षा एवं संस्कृति पुरस्कार और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा वे लंदन इंडियन हाई कमीशन, हाउस ऑफ लार्ड, अमेरिका व नार्वें में भी पुरस्कृत हो चुके है। कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी ने उन्हें पीएचडी की मानद उपाधि से नवाजा था। पदमश्री महावीर गुड्डू कहते हैं कि बेशक उन्हे पदमश्री अवार्ड प्राप्त हो चुका है लेकिन कला के क्षेत्र की यात्रा निरंतर जारी रखेंगे। वे अंतिम सांस तक मां बोली हरियाणवीं की दिलो जान से सेवा करते रहेंगे। गौरतलब है कि महावीर गुड्ड की हरियाणा राज्य ही नहीं देश व विश्व में भी बड़ी फैन फोलोईंग है। मां बोली हरियाणवीं को निरंतर आगे बढ़ाने में उनका विशेष योगदान है।