फरीदाबाद के भारत कॉलोनी की रहने वाली 35 वर्षीय दिव्यांग ममता देवी अपने पति के मौत के बाद ई रिक्शा चलाकर अपने बच्चों का पालन पोषण कर रही है। ममता उन महिलाओं के लिए एक उदाहरण बन कर सामने आई है। जो अपने आप को परेशानियों के सामने अकेला पाकर अपनी जीवन के सामने घुटने टेक देती है।
अगर आपको लगता है कि आपकी परेशानियां आपकी बहुत बड़ी है और उनको दूर करना आपके लिए संभव नहीं है तो एक बार दिव्यांग ममता के बारे में जानकारी जरूर हासिल कर लें। मूल रूप से बिहार के छपरा जिले की रहने वाली ममता करीब 12 साल पहले अपने पति के साथ फरीदाबाद आई थी। कोरोना काल में साल 2021 में उन्होंने अपने पति को खो दिया। जिसके बाद दुखों का पहाड़ दिव्यांग ममता के ऊपर टूट पड़ा। आर्थिक हालात तो पहले से ही खराब थे। पति के चले जाने के बाद स्थिति और भी गंभीर हो गई। जिस कंपनी में ममता नौकरी करती थी वहां से ममता को निकाल दिया गया। ऐसे में उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती खड़ी हो गई कि वह अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करें। लेकिन ममता ने इन परेशानियों से भागने को बजाय इनका मुकाबला करना उचित समझा।
उन्होंने अपने पति के खरीदे हुए ई रिक्शा को अपनी आजीविका के लिए इस्तेमाल करना शुरु किया। लेकिन उनको ई रिक्शा चलाना नहीं आता था। जिसके बाद पड़ोसी ई रिक्शा चालक ने कई महीने उसे ई रिक्शा चलाने का अभ्यास कराया और उसके बाद ममता ई रिक्शा लेकर फरीदाबाद की सड़कों पर उतर गई। शुरुआत में महिला के रिक्शा चलाने पर दूसरे चालको ने उनको तंज कसना शुरू किया। लेकिन ममता ने हार नहीं मानी और फरीदाबाद की सड़कों पर रिक्शा चलाना जारी रखा। ममता खेड़ी पुल से लेकर बड़खल चौक से होते हुए ई रिक्शा चलाती है। सवारियों को लाने ले जाने का काम करती हैं। ममता का कहना है कि जिंदगी में मुसीबत ही बहुत आती है लेकिन उन मुसीबतों से हार मानने की जगह उनका सामना करने में ही असली जिंदगी जीने का मजा है। क्योंकि मुसीबत हमेशा नहीं रहेंगी। अगर आप हिम्मत हार जाओगे तो मुसीबत आपके सामने हमेशा खड़ी रहेगी। पति के मरने के बाद में पूरी तरह से टूट गई आर्थिक और मानसिक रूप से परेशानियों के बाद भी उसने अपने आप को घर चलाने के काबिल बनाया।