India News (इंडिया न्यूज), Manohar Lal on SYL, चंडीगढ़ : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एसवाईएल मुद्दे पर दोहरा रुख अपनाने के लिए पंजाब सरकार तीखा हमला करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी को इस मामले पर अपना एक निश्चित रुख स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक ही पार्टी के नेता अलग-अलग बातें कहते हैं। इस मुद्दे पर आप पार्टी को चर्चा को केवल पंजाब भवन तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए बल्कि आपसी सहमति से विस्तृत चर्चा करनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि एसवाईएल के मुद्दे पर एक ही पार्टी द्वारा विरोधाभासी बयान दिए जा रहे हैं। एक ही सरकार के 2 चेहरे उजागर हो रहे हैं, दोमुंही सरकार है। पंजाब सरकार इस मुद्दे का सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने की बजाय घड़ियाली आंसू बहा रही है।
मनोहर लाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आदेश में कहा कि केंद्र सरकार जमीन, जो जमीन वापस कर दी है, उसे अधिग्रहित करके सुरक्षित करे। इसके लिए 3 माह का समय दिया है। उन्होंने केंद्र सरकार से सतलुज यमुना लिंक नहर का काम पूरा कराने के लिए पंजाब में सर्वे की प्रक्रिया शीघ्र शुरू करवाने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री ने एसवाईएल के शीघ्र निर्माण के संबंध में दिये गये निर्णय पर सर्वोच्च न्यायालय का आभार प्रकट किया है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सदैव आपसी बातचीत से समाधान निकालने के पक्ष में रहा है, लेकिन एसवाईएल के निर्माण और पानी के बंटवारे को लेकर पंजाब का रवैया हमेशा अड़ियल रहा है। पंजाब एसवाईएल निर्माण की बजाये हमेशा पानी के बंटवारे पर जोर देता रहा है, जबकि नहर के निर्माण और पानी के बंटवारे के संबंध में साल 2002 में सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा के पक्ष में डिक्री देते हुए यह स्पष्ट कर दिया था कि संसद अनुच्छेद 9.1 और 9.2 के तहत राज्यों के बीच के विवाद के मामलों को अंतर-राज्य जल विवाद अधिनियम के मुताबिक एक न्यायाधिकरण को सौंपेगी। साथ ही समझौते के पैरा 9.3 से एसवाईएल नहर के निर्माण के विवाद को नहीं जोड़ा गया है।
इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि एसवाईएल नहर के निर्माण का राज्यों के जल बंटवारे से कोई संबंध नहीं है और यह कोई जल विवाद नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब की तरफ से एसवाईएल नहर के निर्माण से हुई देरी से न केवल हरियाणा को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि रावी, सतलुज और व्यास का अतिरिक्त जल पाकिस्तान को जा रहा है। इससे देश अपनी जल संपदा का लाभ उठाने से वंचित हो रहा है। पिछले दस वर्षों में सतलुज जल का 1.68 एमएफए और रावी-ब्यास का 0.58 एमएफए पानी बह कर पाकिस्तान जा चुका है। इसलिए यह जरूरी है कि राष्ट्रीय स्तर पर हो रही जल संपदा की हानि को रोकने के लिए जल्द से जल्द एसवाईएल नहर का निर्माण पूरा किया जाए।
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