India News (इंडिया न्यूज), Haryana Cabinet Meeting, चंडीगढ़ : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17 और 18 के तहत संपत्तियों के हस्तांतरण के दस्तावेजों के पंजीकरण के उद्देश्य से प्रत्येक उप-मंडल को एक उप-जिले के रूप में बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। प्रस्ताव में कहा गया कि जनता को व्यापक विकल्प प्रदान करने के लिए प्रत्येक उप-मंडल अधिकारी (नागरिक) के कार्यालय को उप-रजिस्ट्रार के कार्यालय के रूप में तथा प्रत्येक जिला राजस्व अधिकारी के कार्यालय को भी प्रत्येक संबंधित उप-जिला के संयुक्त उप-रजिस्ट्रार के कार्यालय के रूप में स्थापित करना उचित समझा गया है।
इसके अलावा प्रत्येक उपमंडल अधिकारी (नागरिक) को संबंधित उप-जिले के उप-पंजीयक, प्रत्येक जिला राजस्व अधिकारी, उसके तैनाती स्थान के उप-जिले के संयुक्त उप-पंजीयक के रूप में नामित करने का निर्णय लिया गया है। पंजीकरण अधिनियम, 1908 (1908 का केन्द्रीय अधिनियम 16) की धारा 17 और 18 के तहत संपत्तियों के हस्तांतरण के दस्तावेजों के पंजीकरण के प्रयोजनों के लिए प्रत्येक तहसीलदार और नायब-तहसीलदार संबंधित उप-जिले का संयुक्त उप-रजिस्ट्रार होगा , जैसे कि समय-समय पर संशोधन किए गए हैं। इसके परिणाम स्वरूप 30 जून 2023 को राज्य के सभी मंडलायुक्तों, उपायुक्तों-सह-जिला रजिस्ट्रारों, उपमंडल अधिकारियों (नागरिक), जिला राजस्व अधिकारियों, तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों आदि को आदेश जारी किए गए हैं।
इसके अलावा मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य सरकार के सभी विभागों, बोर्डों, निगमों, पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों के लिए राज्य में भूमि की बाजार दर निर्धारित करने की नीति में संशोधन किया गया है। जोकि पहले 25 नवंबर, 2021 को अधिसूचित की गई थी। इस नीति को राज्य में सरकार के सभी विभागों, बोर्डों, निगमों और पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों के लिए भूमि की बाजार दर निर्धारण नीति कहा जाएगा।
वर्तमान संशोधन का उद्देश्य ‘उच्च स्तरीय भूमि खरीद समिति’ शब्दों में लिपिकीय त्रुटि को ‘उच्च अधिकार प्राप्त भूमि खरीद समिति’ के रूप में सही नामकरण के रूप में प्रतिस्थापित करना है, जो कि 2017 की सरकार की विकास परियोजनाओं के लिए स्वैच्छिक रूप से प्रस्तावित भूमि की खरीद की नीति में पहले से ही गठित किया गया है। इसके अलावा, इस समिति की परिभाषा को उक्त नीति में बिल्कुल वैसा ही डाला गया है जैसा कि 2017 की नीति में उल्लिखित है, ताकि स्पष्टता और पारदर्शिता लाई जा सके।
इसके अलावा बैठक में हरियाणा सिविल सेवा (नियुक्ति की अनुकंपा वित्तीय सहायता), नियम, 2019 के तहत मृत पुलिस कर्मियों के 50 आश्रितों को क्लर्क के पद पर नियुक्ति प्रदान करने के संबंध में एक्स-पोस्ट-फैक्टो को मंजूरी प्रदान की। पुलिस विभाग में केवल 13 पद अनुग्रह कोटा (प्रत्यक्ष कोटा के 250 स्वीकृत पदों में से 5 प्रतिशत) के अंतर्गत आते हैं और सभी 13 पद हरियाणा सिविल सेवा (अनुकंपा वित्तीय सहायता या नियुक्ति) नियम, 2019 के तहत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार भरे हुए हैं।
अनुकंपा के आधार पर क्लर्क के पद पर नियुक्ति के लिए कोई रिक्ति नहीं है। अनुग्रह कोटा पदों की अनुपलब्धता के कारण मृत व्यक्तियों को वित्तीय पक्ष के अंतर्गत गंभीर कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। लिपिकों के अनुग्रह कोटे के पद उपलब्ध न होने के कारण मृत कर्मचारियों के आश्रितों को नियुक्तियां नहीं दी गईं। अत: क्लर्क के 50 रिक्त पदों (जो सीधे कोटे के अंतर्गत आते हैं) के नियमों में एक बार छूट की मंजूरी दी गई है, ताकि पुलिस विभाग में क्लर्क के सीधे कोटे के पदों पर 50 आश्रितों को नियुक्ति दी जा सके।
कैबिनेट ने उपरोक्त संशोधन को इसलिए मंजूरी दी क्योंकि मध्यम और कम क्षमता वाले शहर अधिकांश प्लॉट वाली कॉलोनियों को आकर्षित करते हैं। बैठक में मध्यम और कम क्षमता वाले शहरों का तेजी से विकसित करने के लिए दीन दयाल जन आवास योजना (डीडीजेएवाई) में किफायती प्लॉटेड हाउसिंग नीति 2016 के खंड 2 (1) में संशोधन को मंजूरी दी गई। मध्यम और निम्न क्षमता वाले शहरों में डीडीजेएवाई नीति उत्साहजनक है। मध्यम और निम्न क्षमता वाले शहर ग्रुप हाउसिंग कॉलोनियों की बजाय अधिकांश प्लॉट वाली कॉलोनियों को आकर्षित करते हैं। हालांकि, यह संज्ञान में आया है कि इन शहरों का सीमित विकास हुआ है। इसलिए यह संशोधन किया गया हैं।
संशोधन अनुसार मध्यम और निम्न क्षमता वाले शहरों के लिए यदि किसी शहर का डीडीजेएवाई लाइसेंस प्राप्त कुल क्षेत्र के आवासिय क्षेत्र (मौजूदा शहर क्षेत्र को छोडक़र) से 10 प्रतिशत से कम है तो फाईनल डिवलेपमेंट प्लान के संबंधित शहर प्रत्येक सेक्टर में डीडीजेएवाई लाइसेंस की अनुमति के लिए नेट नियोजित क्षेत्र की 60 प्रतिशत की सीमा होगी जब तक प्रत्येक सेक्टर में यह 5 प्रतिशत तक नहीं पहुंच जाती तब तक उस पर 50 प्रतिशत की एनपीए सीमा नहीं होगी, जब तक यह 10 प्रतिशत तक नहीं पहुंच जाती। संबंधित शहरों के फाईनल डिवलेप प्लान के आवासीय क्षेत्र के 10 प्रतिशत क्षेत्र की उपर्युक्त सीमा का जब भी उल्लंघन होता है ओर किसी सेक्टर के आवासीय क्षेत्र में 40 प्रतिशत की सीमा में नेट नियोजित क्षेत्र पहुंच जाता है तो उस पर डीडीजेएवाई लाइसेंस नीति तुरंत प्रभाव लागू हो जाएगी।
वहीं मीडिया कर्मियों के हित में भी एक और अहम निर्णय लिया गया। इस संबंध में हरियाणा के 60 वर्ष से अधिक आयु के मान्यता प्राप्त मीडियाकर्मियों के लिए पेंशन योजना में संशोधन से संबंधित एक प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इस निर्णय के बाद राज्य सरकार द्वारा पहले से चलाई जा रही पत्रकार पेंशन योजना के तहत मान्यता प्राप्त मीडिया कर्मियों की पेंशन 10,000 रुपए से बढ़ाकर 15,000 रुपए प्रतिमाह दी जाएगी। हरियाणा राज्य में वेतन/पारिश्रमिक के आधार पर पत्रकारिता के क्षेत्र में कम से कम 20 वर्षों का अनुभव रखने वाले 60 वर्ष से अधिक आयु के मीडियाकर्मी इस योजना के तहत मासिक पेंशन के हकदार हैं। मीडियाकर्मी को कम से कम पांच वर्षों के लिए सूचना, जनसंपर्क भाषा एवं सांस्कृतिक विभाग, हरियाणा से मान्यता प्राप्त होना चाहिए।
हरियाणा में आवासीय भूखंडों को वाणिज्यिक उपयोग में बदलने की अनुमति देने और नियमित करने के लिए नई नीति की घोषणा करते हुए सीएम ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, व्यवस्थित शहरी विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए नगर निगम क्षेत्रों में मॉडल टाउन योजनाएं, पुनर्वास योजनाएं, टाउन प्लानिंग योजनाएं और सुधार ट्रस्ट योजनाओं सहित विभिन्न योजनाबद्ध योजनाएं लागू की गई हैं। बाद में इन योजनाओं को प्रबंधन और रखरखाव के लिए संबंधित नगर पालिकाओं को सौंप दिया गया। हालाँकि, बदलती परिस्थितियों ने भूखंड मालिकों को आवासीय भूखंडों को गैर-आवासीय उद्देश्यों के लिए परिवर्तित करने के लिए प्रेरित किया है, जिनकी मूल रूप से अनुमति नहीं थी।
इसी के फलस्वरूप मानदंडों और प्रक्रियाओं की स्थापना करके ऐसे रूपांतरणों को विनियमित करने की आवश्यकता उत्पन्न हुई।यह नीति हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी), हाउसिंग बोर्ड (हरियाणा), हरियाणा राज्य औद्योगिक बुनियादी ढांचा विकास निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा शासित क्षेत्रों को छोडक़र नगरपालिका सीमा के मुख्य क्षेत्रों के भीतर नियोजित योजनाओं पर लागू होगी। यह अन्य सरकारी नीतियों/नियमों के तहत उप-विभाजन की अनुमति वाले भूखंडों पर भी लागू होगी। फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर), ग्राउंड कवरेज और प्लॉट की ऊंचाई जैसे पैरामीटर मूल आवासीय योजना के अनुरूप रहेंगे। मूल योजना की बिल्डिंग लाइन का भी रखरखाव किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रूपांतरण के लिए आवेदन हेतु संपत्ति मालिकों को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की अधिसूचना के अनुसार रूपांतरण शुल्क के रूप में 10 रुपये प्रति वर्ग मीटर जांच-शुल्क का भुगतान और वाणिज्यिक कलेक्टर दर का 5त्न विकास शुल्क देना होगा। परिवर्तित क्षेत्र पर उन्हें 160 रूपये प्रति वर्ग मीटर का कंपोजीशन शुल्क भी देना होगा।
बैठक में ही अनधिकृत निर्माणों को नियमित करने और नगरपालिका सीमा के भीतर नगर पालिकाओं या नगर सुधार ट्रस्टों द्वारा आवंटित एकल स्तरीय बूथ, दुकानों और सर्विस बूथों पर पहली मंजिल या बेसमेंट या दोनों के निर्माण के लिए नई अनुमति देने के उद्देश्य से एक व्यापक नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि यह नीति हरियाणा राज्य की सभी नगर पालिकाओं तक अपनी पहुंच बढ़ाती है। यह विशेष रूप से नगर पालिकाओं या नगर सुधार ट्रस्टों द्वारा आवंटित एकल-स्तरीय बूथों, दुकानों और सेवा बूथों पर लागू होता है। यह नीति बेसमेंट और पहली मंजिलों सहित मौजूदा अनधिकृत निर्माणों के नियमितीकरण की सुविधा प्रदान करती है और ऐसे निर्माणों के लिए नई अनुमति प्रदान करती है। बूथ पर पहली मंजिल या बेसमेंट या दोनों के मौजूदा अनधिकृत निर्माण के नियमितीकरण के लिए यह नीति 31 मार्च, 2024 तक प्राप्त आवेदनों के लिए प्रभावी रहेगी। पहली मंजिल या बेसमेंट या बूथ के निर्माण के लिए नई अनुमति किसी भी समय सीमा से बंधी नहीं है।
मंत्रिमंडल की बैठक ने हरियाणा डिजिटल मीडिया विज्ञापन नीति, 2023 को मंजूरी दी गई। यह नीति सरकारी विकासात्मक नीतियों और कार्यक्रमों को उजागर करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया समाचार चैनलों और सोशल मीडिया इन्फलूएंस को शामिल करने के उद्देश्य से लाई जा रही है। वर्ष 2007 और 2020 की मौजूदा नीति केवल प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और वेबसाइटों तक ही सीमित थी। सोशल मीडिया समाचार चैनल और सोशल मीडिया इन्फलूएंसरस को शामिल करने का निर्णय ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब आदि जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। वर्तमान दौर में इंटरनेट-सक्षम उपकरणों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को व्यापक रूप से अपनाने के साथ, डिजिटल मीडिया लोगों के दैनिक जीवन में सर्वव्यापी उपस्थिति बन गया है।
सोशल मीडिया समाचार चैनलों, वेबसाइटों और प्रतिष्ठित सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर विज्ञापन जारी करने का प्राथमिक उद्देश्य सरकार की कल्याणकारी नीतियों एवं योजनाओं का व्यापक संभव कवरेज प्राप्त करना है। नीति के तहत, सोशल मीडिया समाचार चैनलों को उनके ग्राहकों, अनुयायियों और सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट की संख्या को ध्यान में रखते हुए पैनल में शामिल करने के लिए पांच श्रेणियां बनाई गई हैं। डीआईपीआर हरियाणा द्वारा इन श्रेणियों के अनुसार सोशल मीडिया समाचार चैनलों को सूचीबद्ध किया जाएगा। नीति के तहत, आवश्यकता पड़ने पर पैनल सलाहकार समिति प्रत्येक श्रेणी, विज्ञापन प्रारूप और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए समय-समय पर दरें तय, बढ़ाएगी या संशोधित करेगी। जब भी वह उचित समझे, वह सोशल मीडिया समाचार चैनलों से अन्य प्रासंगिक विज्ञापन प्रारूपों के लिए दरें साझा करने के लिए कह सकता है।
एक बार विज्ञापन देने के बाद सोशल मीडिया न्यूज चैनलों को विज्ञापन की तारीख से एक महीने तक विज्ञापन रखना होगा। प्रत्येक श्रेणी के तहत पैनल सलाहकार समिति (धारा 7) द्वारा निर्धारित न्यूनतम आधार दर उस श्रेणी में आने वाले आवेदक सोशल मीडिया चैनल को प्रदान की जाएगी। यदि विज्ञापित/प्रायोजित सोशल मीडिया सामग्री 5 प्रतिशत ग्राहका/अनुयायियों तक पहुंचने में विफल रहती है तो विज्ञापन दरों में प्रासंगिक कटौती की जाएगी। प्रायोजित सामग्री सरकारी योजनाओं, सेवाओं, उपलब्धियों और अन्य नीतिगत पहलों पर आधारित होगी।
बैठक में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके आस-पास लगते क्षेत्रों में पराली जलाने के मामलों में कमी लाने, टिकाऊ ऊर्जा के लिए धान की पराली का उपयोग करने और 2027 तक फसल अवशेष जलाने को खत्म करने के लिए पराली एक्स-सीटू प्रबंधन नीति हरियाणा 2023 को मंजूरी दी गई। हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ पॉलिसी 2023 बेहरतरीन नीति है। यह नीति धान के भूसे-आधारित परियोजनाओं में निजी निवेश बढाने, किसानों को प्रोत्साहित कर जिम्मेदारी के साथ पराली का उपयोग सुनिश्चित करने और किसानों और उद्योगों के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित करने पर ध्यान केन्द्रित करेगी। इस नीति के कार्यान्वयन से पराली जलाने में कमी होने के साथ ही वायु गुणवत्ता और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होगा और हरियाणा में पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसके अतिरिक्त यह नीति धान के भूसे के क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर प्रदान करेगी। इस नीति से धान के भूसे के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भी एमएसएमई के तहत वित्तीय कई प्रकार के प्रोत्साहन मिलेंगे।
इस नीति का मुख्य ध्येय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके आस-पास के लगते क्षेत्रों में पराली जलाने के मामलों को कम करना है। क्योंकि हरियाणा में हर वर्ष लगभग 30 लाख टन धान की पराली उपलब्ध होती है। धान की पराली से बिजली, बायोगैस, बायो सीएनजी, जैव-खाद, जैव-ईंधन, इथेनॉल उत्पन्न किए जा सकते हैं। किसानों को खेत में पराली काटने, गठ्ठे बनाने और भंडारण करने में भी उपयोगी होगी।
बिजली संयंत्र में उपयोग किए जाने वाले पैलेट बनाने के लिए भी यह नीति कारगर होगी। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा हरियाणा जैव-ऊर्जा नीति 2018 बनाई जा चुकी है। इसमें बायोमास आधारित बिजली परियोजनाएं, कम्प्रेसड बायोगैस संयंत्र, इथेनॉल उत्पादन और प्राथमिक चारा सामग्री के रूप में धान के भूसे का उपयोग करने व अन्य जैव-ईंधन को प्रमुख सामग्री के रूप में शत प्रतिशत धान के भूसे का उपयोग करने वाली परियोजनाओं को सावधि ऋण पर ब्याज व सब्सिडी प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। इस नीति में धान के भूसे को काटने, एकत्र करने, बेलने, भंडारण करने और भूसे-आधारित उद्योगों और संयंत्रों तक परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले कृषि उपकरणों और मशीनरी पर किसान और संबंधित संगठन सब्सिडी के लिए भी पात्र होंगे।
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