India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana New Government : हरियाणा विधानसभा में लगातार तीसरी बार ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद अब भाजपा में नई सरकार और मंत्रिमंडल गठन की कवायद तेज हो गई है। इसको लेकर अब नए और दोबारा चुनकर आए विधायक मंत्री पद पाने के लिए लाबिंग में जुट गए हैं। इसी कड़ी में पार्टी के विधायकों को चुनाव के अगले दिन 9 अक्टूबर को दिल्ली भी बुलाया गया था। अब इसी कड़ी में माना जा रहा है कि शनिवार यानि दशहरा के दिन मुख्यमंत्री और उनके कैबिनेट मंत्रियों का शपथ ग्रहण कार्यक्रम होगा।
इससे पहले भाजपा विधायक दल की बैठक में नए नेता का चुनाव किया जाएगा और इसको लेकर पार्टी हाईकमान से बुधवार को नायब सिंह सैनी की मुलाकात भी हो चुकी है। ये भी बता दें कि नायब सिंह सैनी ने 9 अक्टूबर को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की। वैसे तो चुनाव से पहले ही भाजपा पार्टी हाईकमान की ओर से नायब सिंह सैनी को ही मुख्यमंत्री कैंडिडेट घोषित किया जा चुका है और सीएम की कुर्सी पर उनकी ताजपोशी को लेकर औपचारिक चयन प्रक्रिया को भी निभाया जाना है।
हरियाणा में सीेएम समेत कुल 14 मंत्री बनाए जा सकते हैं। बता दें कि अबकी बार भाजपा के 48 विधायकों से मंत्रिमंडल में शामिल नायब सिंह सैनी समेत महिपाल ढांडा और मूलचंद चंद शामिल भी जीत दर्ज करने में सफल रहे। पूर्व होम मिनिस्टर अनिल विज, मूलचंद शर्मा और महिला ढांडा का मंत्री बनाया जाना भी तय है। चूंकि अबकी बार 9 मंत्री चुनाव हार चुके हैं तो नए विधायकों को स्थान मिलना तय है लेकिन बाकी बचे मंत्री पदों के लिए पार्टी विधायकों में जमकर कंपीटिशन देखने को मिलेगा।
चुनाव के नतीजे आने के बाद केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के दिल्ली निवास पर कई नेताओं का जमावड़ा लग गया है। भाजपा के हरियाणा चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और सह प्रभारी बिप्लव देब ने मनोहर लाल के साथ बैठकर रणनीति तैयार की है। टिकट वितरण की तरह मंत्रिमंडल के गठन में जातीय और क्षेत्रीय तौर पर जींद से डॉ. कृष्ण मिड्डा, गोहाना से डॉ. अरविंद शर्मा, कालका से शक्ति रानी शर्मा, फरीदाबाद से विपुल गोयल, भिवानी से घनश्याम सर्राफ, बादशाहपुर से राव नरबीर, इसराना से कृष्ण लाल पंवार, नरवाना से कृष्ण कुमार बेदी, घरौंडा से विधायक हरविंदर कल्याण, राई से कृष्णा गहलावत, पूर्व डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा और यमुनानगर से घनश्याम अरोड़ा का नाम मंत्री के तगड़े दावेदारों में बताया जा रहा है। ये भी बता दें कि स्पीकर और डिप्टी स्पीकर भी नियुक्त किए जाने हैं।
इस बार भाजपा की महिला उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधायक बनी हैं जिनमें कालका से शक्ति रानी शर्मा, अटेली से आरती राव, तोशाम से श्रुति चौधरी, पटौदी से बिमला चौधरी और राई से कृष्णा गहलावत शामिल हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उपरोक्त सभी भाजपा महिला विधायकों में से शक्ति रानी शर्मा सबसे तगड़ी दावेदार हैं। इनमें उनके पक्ष में महिला चेहरा होने के अलावा उनका ब्राह्मण समुदाय और प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक घराने से आना भी उनकी दावेदारी को पुख्ता करता है।
चुनाव से पहले कांग्रेस के दिग्गज भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस की सरकार आने पर कई दफा चार डिप्टी सीएम बनाने का वादा किया था, अब ये भी चर्चा है कि भाजपा भी जातीय समीकरणों के लिहाज से दो डिप्टी सीएम के मॉडल के साथ हरियाणा में नई परिपाटी की शुरुआत कर सकती है। हालांकि इस पर संशय भी बरकरार है, इसके दो कारण हैं- पहला भाजपा ने चुनाव से पहले दो डिप्टी सीएम बनाने का कोई चुनाव वादा नहीं किया था तो दूसरा है पार्टी के 48 विधायक चुनकर आए हैं यानी कि स्पष्ट बहुमत है और कई विधायकों द्वारा भाजपा को समर्थन दिया जाना तय है।
ऐसी स्थिति में भाजपा पर विधायकों का कोई दबाव भी नहीं है जिसके चलते मंत्री नहीं बनाए जाने पर कोई विधायक बगावती तेवर दिखा सके। साथ में ये भी संभावना है कि सीनियर नेताओं, खासकर अनिल विज को साधने के लिए डिप्टी सीएम पद का विकल्प अस्तित्व में लाया जा सकता है। वरिष्ठता के आधार पर पूर्व गृह मंत्री अनिल विज और एक ब्राह्मण विधायक को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। पार्टी का मानना है कि जिस तरह से प्रदेश की जनता ने भाजपा को स्पष्ट जनादेश है, उसमें कई नेताओं को सरकार में समायोजित किया जाएगा।
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वहीं ये भी बता दें कि विधानसभा चुनाव में भाजपा के कई दिग्गजों व हैवीवेट मिनिस्टर को भी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा के 9 मंत्रियों जिनमें संजय सिंह, कमल गुप्ता, ज्ञानचंद गुप्ता, सुभाष सुधा, रणजीत सिंह चौटाला, जेपी दलाल, अभय सिंह यादव, जय प्रकाश दलाल और कंवरपाल गुर्जर शामिल हैं, को हार का सामना करना पड़ा। पुराने कैबिनेट में नायब सिंह सैनी के अलावा महिपाल ढांडा और मूलचंद शर्मा ही चुनाव जीत पाए।
वहीं ये भी बता दें कि पूर्व सीएम मनोहर लाल के नेतृत्व में साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के 7 मंत्रियों और तत्कालीन प्रदेश सुभाष बराला को हार का सामना करना पड़ा था। इनमें पार्टी के कई हैवीवेट मंत्री शामिल थे जिनमें बादली से ओमप्रकाश धनखड़ बादली, नारनौंद से वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, महेंद्रगढ़ से रामविलास शर्मा, करण देव कांबोज और सोनीपत से कविता जैन को भी सोनीपत से हार का मुंह देखना पड़ा था।
भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले टिकट वितरण में जातीय समीकरणों को अहम भूमिका थी। भाजपा ने सबसे ज्यादा 23 सीटें पिछड़ी जाति के उम्मीदवारों को दी थी तो हीं 16 जाट कैंडिडेट को भी चुनाव में उतारा था। पिछड़ी जाति के 23 उम्मीदवारों में दो मेव-मुस्लिम शामिल हैं। इसके अलावा 2 बिश्नोई, 5 वैश्य, 11 ब्राह्मण, 11 पंजाबी, 3 राजपुत और अनुसूचित जाति से 17 उम्मीदवार शामिल रहे।
वहीं हार का सामने करने वाली कांग्रेस ने जाट समुदाय के 25 और जट सिख समुदाय के 4 नेताओं को टिकट दिया और ओबीसी वर्ग से 24 उम्मीदवार उतारे हैं, जिसमें तीन मेव-मुस्लिम शामिल रहे। इसके अलावा ब्राह्मण समुदाय से छह, मुस्लिम समुदाय से 5 नेताओं पर भरोसा जताया तो वहीं पंजाबी और सिखों को कांग्रेस ने 11 टिकट दिए हैं, जबकि वैश्यों को दो, राजपूत, बिश्नोई और रोड समुदाय को एक- एक टिकट मिला।
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