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Vacant Posts of Teachers : हरियाणा में कॉलेजों टीचर्स के खाली पड़े पद बने परेशानी का सबब, पढ़ाई हो रही बाधित

• LAST UPDATED : October 28, 2023
  • हरियाणा में स्वीकृत पदों में से 58% से ज्यादा पद खाली

  • पढ़ाई और शिक्षण संस्थानों का कार्य हो रहा प्रभावित

India News (इंडिया न्यूज), Vacant Posts of Teachers, चंडीगढ़ : हरियाणा में कॉलेजों में खाली पड़े शिक्षकों के पदों का मुद्दा लंबे समय से चर्चा में है। सदन के अंदर और बाहर लगातार यह मांग उठती रही है कि कॉलेज में खाली पड़े शिक्षकों के पदों को भरा जाए, ताकि स्टूडेंट की पढ़ाई निरंतर जारी रहे। प्रदेश के कॉलेजों में शिक्षकों के स्वीकृत पदों में से करीब 60% पद खाली हैं जो कि बेहद चिंता का विषय है।

शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन पदों को जल्द ही भरे जाने की उम्मीद है। हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन (एचपीएससी) के पास भी बड़े पैमाने पर टीचर्स की भर्ती लंबित है। काफी समय पहले पदों को भरने की रिकमेंडेशन विभाग द्वारा एचपीएससी को भेजी गई थी, लेकिन मामला वहीं का वहीं अटका हुआ है। बता दें कि आगामी शैक्षणिक सत्र 2023-2024 के लिए कार्यभार के आंकलन के आधार पर विभाग द्वारा विभिन्न विषयों में सहायक प्रोफेसर के सभी स्वीकृत रिक्त पदों की नई मांग एचपीएससी को भेजी जाएगी।

खाली पद बेहद गंभीर विषय : हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने लंबे समय से इतने अधिक पद रिक्त होने पर कड़ा रवैया अपनाते हुए कहा कि यह बेहद गंभीर विषय है और इस कार्य में देरी नहीं होनी चाहिए। ऐसे में अगली सुनवाई पर मुख्य सचिव हलफनामा दाखिल कर इन पदों को भरने के बारे में उठाए गए कदमों और योजना की विस्तृत जानकारी दें।

एचपीएससी के पास भी भर्ती अटकी

ये भी बता दें कि वर्तमान में हरियाणा राज्य के सरकारी कॉलेजों में विभिन्न विभागों में सहायक प्रोफेसरों के जो स्वीकृत पद विभाग में रिक्त पड़े हैं, उनमें से उच्च शिक्षा हरियाणा द्वारा विभिन्न विषयों में सहायक प्रोफेसर के 1535 पदों की मांग 2 सितंबर, 2022 के पत्र के माध्यम से भर्ती के लिए हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) को भेजी गई थी, लेकिन एचपीएससी के द्वारा भर्ती को होल्ड पर रखा गया है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले चुनाव से पहले इस भर्ती को पूरा किया जाएगा।

खाली पदों को लेकर कोर्ट में हलफनामा दिया गया

खाली पड़े पदों को लेकर हाईकोर्ट द्वारा भी फटकार लगाई जा चुकी है। कोर्ट ने कहा कि यह एक गंभीर स्थिति है कि इतनी बड़ी संख्या में टीचर्स के पद खाली पड़े हैं। कोर्ट ने सरकार को यह बताने का भी आदेश दिया है कि रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए सरकार क्या प्रबंध कर रही है। कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि संविदा नियुक्तियों में योग्यता महत्वहीन हो जाती है और ऐसे में नियमित नियुक्ति आवश्यक हैं। हालांकि, राज्य सरकार वर्तमान शैक्षणिक सत्र के आधार पर इन संस्थानों के कार्यभार पर विचार करने के बाद इन पदों को भरने की योजना बना रही है। निदेशक, उच्च शिक्षा हरियाणा द्वारा रिक्तियों की स्थिति के संबंध में हाईकोर्ट में इस बाबत जानकारी दी गई ।

182 कॉलेज, 119 को-एजुकेशन वाले

हरियाणा में कुल 182 कॉलेज हैं। इनमें अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट दोनों तरह के कॉलेज हैं। उपरोक्त में से 180 डिग्री कॉलेज हैं, जबकि 2 बीएड कॉलेज हैं। वहीं कुल कॉलेज में से 82 पीजी कॉलेज हैं और 63 महिला कॉलेज हैं। महिला और पुरुष संयुक्त पढ़ाई (को एजुकेशन) वाले 119 कॉलेज हैं। कुल खाली पोस्ट इन कॉलेजों में अलग-अलग केपेसिटी में खाली हैं। वहीं हरियाणा में कुल 105 सरकारी कॉलेज हैं।

8137 में से 3399 ही पद भरे, कॉन्ट्रैक्चुअल पदों से चल रहा काम

हरियाणा के कॉलेजों में कुल स्वीकृत पदों की संख्या 8137 है। इनमें से 3399 ही भरे हुए हैं। बाकी पद खाली पड़े हैं। हालांकि कॉन्ट्रैक्ट पर भी टीचर रखकर काम चलाया जा रहा है।। प्रदेश के कॉलेजों में 2194 टीचर कांट्रेक्चुअल आधार पर सेवाएं दे रहे हैं। टीचर एसोसिएशन भी लगातार नियमित भर्ती की मांग उठाती रही है और टीचर लगातार कह रहे हैं कि स्टाफ की कमी के चलते स्टूडेंट्स की पढ़ाई व अन्य काम प्रभावित हो रहे हैं।

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हर साल टीचर रिटायर भी हो रहे

शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि शिक्षकों की भर्ती नहीं होने के चलते जहां स्टाफ का लगातार टोटा है वहीं दूसरी तरफ हर साल बड़े पैमाने पर टीचर रिटायर भी हो रहे हैं। 1997-98 बैच की भर्ती हुए टीचर में से 50% तो रिटायर भी हो चुके हैं। इसके अलावा अनुमानित तौर पर 50 से 60 टीचर हर साल रिटायर हो रहे हैं, इसके चलते भी स्टाफ की कमी होती है।

एडेड कॉलेज में स्टाफ के समायोजन का मुद्दा बरकरार

वहीं एडेड कॉलेजों के टीचर्स और गैर शिक्षण स्टाफ का सरकारी कॉलेजों में समायोजन का मुद्दा भी लंबे समय से पेंडिंग है। टीचर एसोसिएशन का कहना है कि एडेड कॉलेजों में वेतन समय पर नहीं मिलता। 3 से 4 महीने सैलरी नहीं मिलती। सातवें वेतनमान के अनुसार एचआरए की फाइल पिछले 3 सालों से वित विभाग में लंबित है। एक्स ग्रेशिया भी एडेड कॉलेजों में कार्यरत स्टाफ को नहीं मिलता।

इसके साथ ही मेडिकल, एनपीएस स्टाफ की डेथ कम रिटायरमेंट ग्रेच्युटी, एलटीसी, सेवा एवम् अवकाश नियमों में बदलाव न होना, सीसीएल जैसे लाभ भी इन कॉलेजों में कार्यरत स्टाफ को नहीं मिलते। इन महाविद्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों को 95% अनुदान सरकार देती है, जबकि 5% प्रबंधन समितियों द्वारा दिया जाता है। फिर भी इन महाविद्यालयों में सरकार का सीधा कंट्रोल नहीं है। सरकार ने एडेड कॉलेजों में कार्यरत कर्मचारियों को टेकओवर करके सरकारी महाविद्यालयों में समायोजित करने का वादा किया था, जो अभी तक सरकार ने पूरा नहीं किया। टेकओवर करने के लि फाइल प्रोसेसिंग में है।

ये बोले कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव

कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉ. सुदीप का कहना है कि कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन पिछले कई वर्षों से एडेड कॉलेज के स्टाफ को सरकारी महाविद्यालय में समायोजित करने के लिए संघर्ष कर रही है। प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में 60% पद खाली पड़े हैं। एडेड कॉलेज स्टाफ को टेकओवर करने से स्टाफ की समस्याओं का भी समाधान होगा, साथ ही वित्तीय लाभ भी होगा। इसके अलावा सरकारी महाविद्यालय में स्टाफ की कमी भी पूरी होगी।

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