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Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर भड़के साधू संत, चरखी दादरी में निकाला गया मार्च

• LAST UPDATED : December 11, 2024

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में जिस तरह से हिन्दुओं को निशाना बनाया जा रहा है वो ना काबिल-ए-बर्दाश्त है। लगातार हिन्दुओं पर अत्याचार किए जा रहे हैं और वहां की सरकार हाथ पर हाथ धरकर बैठी है। बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थति देखते हुए दुनियाभर में अत्याचार का विरोध बढ़ता जा रहा है। भारत में विभिन्न संगठनों की तरफ से बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। हाल ही में हरियाणा में भी इसका जबरदस्त विरोध हुआ।

दरअसल, मंगलवार को विभिन्न हिंदूवादी संगठनों ने चरखी दादरी के रोज गार्डन में एकजुटता दिखाई। और रोज गार्डन से प्रदर्शनकारियों ने सचिवालय तक मार्च निकालने का फैसला लिया। वहीं प्रदर्शनकारियों में अलग ही आक्रोश देखने को मिला और बे-तहशा नारेबाजी भी हुई।

  • प्रदर्शन में साधू-संत हुए शामिल
  • प्रदर्शनकारियों ने दी प्रतिक्रिया

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प्रदर्शन में साधू-संत हुए शामिल

आपको बता दें ये प्रदर्शन इसलिए बड़ा माना जा रहा है क्यूंकि बांग्लादेश की घटना के खिलाफ प्रदर्शन में साधु-संत और महिलाओं समेत अलग-अलग संगठन शामिल हुए। केवल इतना ही नहीं बल्कि कार्यकर्ताओं ने DDPO रविंद्र दलाल को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और बांग्लादेश दूतावास के नाम ज्ञापन सौंपा। वहीं उन्होंने पड़ोसी देश बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को असामाजिक तत्वों और कट्‌टरपंथियों ने सत्ता से बेदखल कर दिया। जिसके कारण शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ भारत में शरण लेनी पड़ी।

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प्रदर्शनकारियों ने दी प्रतिक्रिया

इस दौरान बांग्लादेश के हालातों को लेकर प्रदर्शनकारियों ने प्रतिक्रिया दी और कहा कि बांग्लादेश में आरक्षण के नाम पर शुरू हुआ आंदोलन कट्टरपंथियों के हाथों में चला गया। धर्म के नाम पर दंगे भड़काये गए। अल्पसंख्यक बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई, हिंदुओं के खिलाफ हिंसात्मक कार्रवाई हुई। केवल इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमला धार्मिक स्वतंत्रता और मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने कहा कि बांग्लादेश की घटना मानवीय त्रासदी बन गई है। दंगों में खासकर हिंदुओं को निशाना बनाया गया। कार्यवाहक सरकार अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने में नाकाम साबित हुई है।

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