गाय-भैंस की उन्नत नस्ल की जानकारी देगी मार्कर चिप

करनाल/केसी आर्या

करनाल स्थित राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो ने स्वदेशी डीएनए मार्कर चिप बनाई है एक नया कीर्तिमान स्थापित किया, बता दें  अब मार्कर चिप गाय-भैंस की उन्नत नस्ल की जानकारी देगी, नया अनुसंधान पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने में भी कारगर साबित होगा।

राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो करनाल (एनबीएजीआर) ने स्वदेशी डीएनए मार्कर चिप ईजाद करके अनुसंधान जगत में नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए दुनिया को चौंका दिया है, इस चिप से गाय-भैंस के अधिक दूध देने की क्षमता वाले बच्चों का आनुवांशिक गुणों के आधार पर चयन संभव होगा, इसके लिए गाय और भैंस के लिए हाई डेंसिटी चिप और लो डेंसिटी चिप तैयार की गई हैं,अब तक देश में प्रचलित परंपरागत तरीके से आठ-नौ साल बाद किसी बैल की उच्च उत्पादकता का परिणाम मिलता रहा है, नई जांच विधि ईजाद होने से देश में उन्नत नस्लों के पशुओं की संख्या में बढ़ोतरी होगी और दुग्ध उत्पादन के साथ नस्ल सुधार को नए आयाम मिलेंगे, यह अनुसंधान पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने में भी कारगर साबित होगा।

वर्तमान में अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, आस्ट्रेलिया जैसे विकसित देश जिनोमिक सेलेक्शन पर काम करते हैं, भारत में उनकी डीएनए मार्कर आधारित तकनीक उपयोगी नहीं हुई वहीं अमेरिका भी भारत को यह चिप बहुत महंगी दे रहा था, इसी के चलते एनबीएजीआर के निदेशक डा. आरके विज ने वर्ष 2007-08 में नेशनल एग्रीकल्चरल इनोवेशन प्रोजेक्ट ऑफ वर्ल्ड बैंक के तहत इस अनुसंधान पर काम शुरू किया, शोध के तहत शुरूआत में 11 मेल भैंस चिह्नित किए गए, उत्तरप्रदेश के 52 जिलों में भी मवेशियों का रिकॉर्ड जुटाया गया, इस प्रोजेक्ट को 2014 में आईसीएआर-सीआरपी जिनोमिक्स के तहत आगे बढ़ाया और इस पर 2018 तक कार्य जारी रहा।

वहीं केंद्र सरकार के पशुपालन विभाग ने अक्टूबर 2018 में एनबीएजीआर में भारतीय देशी गायों की गुणवत्ता जांच के लिए नेशनल बोवाइन जिनोमिक्स सेंटर बनाया, डा. विज ने बताया कि भारतीय देशी गायों का डाटा बेस तैयार कर इस डीएनए चिप को तैयार किया गया है,  जिसके आधार पर देसी बैल की आनुवंशिक क्षमता का निर्धारण किया जा सके, अब तक गाय या भैंस की दुग्ध क्षमता और उसकी उन्नत जांच का जो प्रचलन है, उसके तहत कोई भी बैल पैदा होने के 3 साल बाद वह ब्रीडिंग के लिए तैयार होता है, उसके इस्तेमाल के एक साल बाद बछड़ी पैदा होगी वह बछड़ी भी 3 साल बाद ब्रीडिंग के लिए तैयार होगी, चौथे साल वह बच्चा देगी तब उसके दूध की रिकॉर्डिंग शुरू की जाएगी, इस तरह कुल नौ साल में पशु की उच्च गुणवत्ता और उत्पादकता का पता चलता है, लेकिन अब इस स्वदेशी चिप से जांच का महज दो हजार रुपये में पशु की उच्च गुणवत्ता और उत्पादकता की जानकारी मिल जाएगी।

Rajan.Agrawal@itvnetwork.com

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