India News (इंडिया न्यूज़), MDU Rohatak, चंडीगढ़ : कैंसर रोग और इससे पीड़ितों के लिए राहत भरी खबर है, क्योंकि कैंसर की पहचान के लिए अब चीरफाड़ कर बायोप्सी टेस्ट के लिए सैंपल की किसी भी तरह की जरूरत नहीं होगी। जी हां इस संबंध में एमडीयू मेडिकल बायोटेक्नोलॉजी विभाग में शोध अंतिम चरण में बढ़ चुका है।
आपको जानकारी दे दें कि एमडीयू में असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. रश्मि भारद्वाज पिछले 4 वर्षों से उक्त मामले पर शोध कर रही हैं। पिछले कुछ समय से शोध अपने मध्यम स्तर पर अटका था। अब इसके कुछ सकारात्मक परिणाम आने से यह शोध अपने अंतिम चरण की ओर बढ़ चला है। शोध के लिए पीजीआईएमएस से मुंह के कैंसर व फेफड़े के कैंसर पीड़ितों के सैंपल लिए गए हैं।
अब तक कैंसर की पहचान करने के लिए चीरफाड़ व दर्द के अलावा खर्चीली तकनीक है। इसमें मरीज को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है लेकिन अब एमडीयू में द्रव्य पदार्थ से कैंसर की पहचान पर कार्य चल रहा है। इसके तहत मुंह के कैंसर पीड़ितों से स्लाइवा लेकर उसकी नैनो पार्टिकल के जरिए जेनेटिक जानकारी प्राप्त की जाती है
वहीं फेफड़े के कैंसर की पहचान के लिए मरीज की सांस नली में भरी जाती है। इस ट्यूब के जरिए एक्सोजोम यानी जेनेटिक बदलाव का अध्ययन किया जाता है। यह शोध लैब में काफी हद तक सफल रहा है।
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