इंडिया न्यूज, Haryana News: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा कोविड-19 के दौरान 2 साल पहले आरम्भ की गई मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के परिणाम जमीनी स्तर पर आने आरंभ हो गये है। आज मुख्यमंत्री ने पंचकूला से 7500 सूक्ष्म सिंचाई प्रदर्शनी योजनाओं का लोकार्पण किया।
सूक्ष्म सिंचाई और नहरी विकास प्राधिकरण द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सूक्ष्म सिंचाई के पांच मोबाईल वैनो को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और इसके साथ-साथ सभी जिलों से दो-दो वाहनों को आज रवानगी भी की, ताकि आम जनता को जल संरक्षण व जल सर्वद्धन का संदेश दिया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल ही जीवन है और हमें भावी पीढ़ी के लिये जल बचाकर रखना होगा। यह आज चुनौती बन गया है। उन्होंने कहा कि तीसरा विश्वयुद्ध शायद जलयुद्ध ही होगा। इसलिये हमें पानी के हर बूंद का उपयोग करना होगा। इसी को ध्यान रखते हुये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन ड्रोप मोर क्रोप का आह्वान किया था और मुझे खुशी है कि हरियाणा ने प्रधानमंत्री के इस विजन को आगे बढ़ाया है।
उन्होंने कहा कि आज तकनीक के युग में सिंचाई विधि में नये नये उपयोग शुरू हो गये। सूक्ष्म सिंचाई में टपका, फव्वारा ऐसी व्यवस्था है, जिससे हम अधिक से अधिक पानी को बचा सकते है और साथ ही अच्छी पैदावार ले सकते हैं। पानी के दो पक्ष हैं एक पीने का पानी और दूसरा सिंचाई के लिये पानी। पीने के पानी की तो हम बचत नहीं कर सकते। कई बार डाॅक्टर भी हमें अधिक पानी पीने के लिये सलाह देते है परंतु सिंचाई में अधिक पानी लगता है इसलिये हमें इसका उपयोग सूक्ष्म सिंचाई जैसी योजना से करना होगा। धान, कपास व गन्ना में अधिक पानी लगता है। कृषि विज्ञानी कहते हैं कि एक किलो चावल तैयार होने में 3 हजार से अधिक लीटर पानी की जरूरत होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सर्वविदित है कि पानी से कीमती कोई चीज नहीं है। भावी पीढी को अगर हम जमीन के साथ साथ पानी की विरासत भी देकर जायें तो इससे बड़ा कोई पुण्य का काम नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग 200 जल शोधन संयंत्र संचालित हैं और 50 प्रतिशत से अधिक शोधित पानी का दुबारा प्रयोग सिंचाई व अन्य कार्यों में कर रहे हैं।
प्राकृतिक जल स्त्रोतो को भी बचाना होगा, इसके लिये हमें वृक्षारोपण, बांध इत्यादि बनाने होंगे परंतु पानी को हम पैदा नहीं कर सकते है। जो पानी उपलब्ध है, उसी का प्रयोग हमें सावधानीपूर्वक करना होगा। मुख्यमंत्री ने इजाराईल का उदाहरण देते हुये कहा कि इजाराईल विश्व का ऐसा देश है, जहां पानी की बहुत किल्लत है और पूरी खेती टपका सिंचाई से की जाती है। हरियाणा सरकार ने भी इजराईल के साथ साथ जल संरक्षण एवं फल एवं सब्जी उत्कृष्ट केंद्र के कई समझौते किये हैं । उन्होंने कहा कि जल संरक्षण में हमें इजराईल देश का अनुसरण करना चाहिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जल संरक्षण हमारे लिये चुनौति बन गया है। देश के प्रधानमंत्री इस बारे चिंतित है और सभी राज्यों में जल संरक्षण को क्रियान्वित करने की योजनायें बनाई जा रही है। 85 प्रतिशत पानी का उपयोग हम खुली सिंचाई में करते है और उसी को हमें कम करना है।
सिंचाई एवं जल साधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह ने अपने स्वगतीय संबोधन में कहा कि मुख्यमंत्री की सोच के अनुरूप विभाग जल संरक्षण की योजनाओं पर कार्य कर रहा हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा के बारे में लोग कहते थे कि हवा और पानी यहां खुला मिलता है पर अब हमें सोच बदलने की आवश्यकता हैं। प्रदेश के 142 ब्लाॅक में से 85 ब्लॉक डार्क जोन में चले गए है, जहां पर पानी 100 मीटर से भी नीचे चला गया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मिकाडा के पोर्टल को भी लांच किया।
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