India News Haryana (इंडिया न्यूज), Hisar : हरियाणा ने जहां दूध-दही का खाना इसी कहावत को सिद्ध करके दिखाया है वहीं हरियाणा की दादी मनोहरी देवी जो भिवानी के तहसील सिवानी के गांव लीलस की रहने वाली है। उनकी आयु 100 वर्ष हो चुकी है जो कि गांव की सबसे बुर्जुग उम्रदराज महिला है। इनका 100वां जन्मदिन बड़े धूमधाम से मनाया गया है।
गांव की सबसे बुर्जुग महिला मनोहरी देवी की पांच पीढ़ियों के परिजनों ने मिलकर जन्मदिन मनाया। इस दौरान सभी ने इनके जन्म दिवस पर एक हुए केक काट कर खुशियां मनाई। दादी मनोहरी संदेश देती है सभी को परिवार में मिल जुलकर रहना चाहिए और युवाओं महिलाओं से कहती रहती है फास्ट फूड का सेवन नही करना चाहिए फलों व हरि सबिज्यों का सेवन घर में करना चाहिए।
मोहन बिश्नोई ने अपनी दादी के बारे में बताया कि उनकी खासियत यह कि उनकी दादी के दांत आज भी सही खाना अच्छे ढंग से खा लेती हैं। खाने में मजबूत चीजें भी खा लेती हैं, उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है। आंखों की रोशनी आज भी बरकरार है। आंखों की रोशनी अभी इतनी तेज ही है कि सुई में आज भी सौ साल की आयु में ढाल लेती है घर में घूम फिर लेती है, उनका स्वास्थ्य काफी अच्छा है। उम्र के इस पड़ाव में भी किसी प्रकार का कोई रोग नहीं है।
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सौ साल की मनोहरी देवी के छह पुत्र और छह पुत्रियां और कुल 73 लोगों का परिवार है। मनोहरी देवी लीलस गांव की सबसे बुर्जुग महिला है, उनका पूरा परिवार है। मनोहरी के परिवार में उनके पति स्व. बुध राम खिचड थे जो भारतीय सेना में थे। इनके छह पुत्र मनफूल खिचड़, रामसस्वरुप, ओमप्रकाश, रामकुमार, संतलाल और सतबीर जबकि छह पुत्रियां सरस्वती, मैनावती, बीमरा देवी, शारदा देवी, जैटल व सुखी देवी है। उनके साथ 19 पौत्र-पौत्रियां हैं और उनका 5 पीढ़ी में 21 पड़पोते और पड़पोतियां हैं।
उपमंडल सिवानी के समीप गांव लीलस के मोहन बिश्नोई ने अपनी दादी मनोहरी देवी के बारे में बताया कि उनका जीवन हमेशा सीधा-साधा रहा है। मनोहर देवी ने आज तक फास्ट फूड का सेवन नहीं किया। हमेशा घर में दूध-दही से बने व्यंजनों का इस्तेमाल किया। बाजारी खाने-पीने के वस्तुओं से वह हमेशा दूर रहीं।
मनोहर देवी आज भी 100 साल होने के बाद अपने घर में चल-फिर लेती हैं। अब भी रोटी, दूध, दलिया, खीर हलवा, दाल, रोटी, घी, बाजरे एवं गेहू की रोटी का सेवन करती हैं, उन्हें आज इतनी आयु में आज भी आँखों साफ दिखाई देता है। हमेशा बड़े बच्चों को सही संदेश देती रही हैं। वे हमेशा बच्चों से कहती हैं कि बाजारी पैकेट नहीं खाने चाहिएं।