किसान सभा ने प्रधानमंत्री को याद करवाए 2014 में किए गए वादे
भूमि अधिग्रहण को लेकर मुआवजे पर लें ठोस निर्णय
इंडिया न्यूज, शिमला।
27 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शिमला दौरे को लेकर हिमाचल किसान सभा के तेवर तीखे हो गए हैं। किसान सभा ने प्रधानमंत्री को 2014 से पहले हिमाचल दौरे के दौरान किए गए उनके वादे याद दिलाते हुए कहा कि उन्होंने हिमाचल के किसानों से वादा किया था कि केन्द्र में सरकार बनने पर हिमाचल को उनके उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाएगा, जिसमें दूध, ऊन, शहद, फल शामिल हैं। किसान सभा ने उम्मीद जताई कि इस दौरे में प्रधानमंत्री उन वायदों को पूरा करेंगे। हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि प्रधानमंत्री हमेशा हिमाचल से अपना नाता जोड़ते हैं और अपना दूसरा घर कहते हैं। उन्होंने कहा कि मंडी सहित हिमाचल के मक्की उत्पादक किसानों की उम्मीद है कि प्रधानमंत्री न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मक्की की खरीद को सुनिश्चित करवाने के लिए प्रदेश सरकार को उचित निर्देश देंगे। डॉ. तंवर ने कहा कि अभी किसानों की लगभग 7 लाख मीट्रिक टन मक्की बिक्री के लिए आती है, लेकिन 8 से 12 रुपए बमुश्किल बिक पाती है।
किसानसभा अध्यक्ष ने प्रदेश में भूमि के मुद्दे पर भी प्रधानमंत्री से कोई ठोस निर्णय लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की लगभग 47 लाख की आबादी कृषि पर निर्भर है, लेकिन प्रदेश की कुल भूमि का 10 प्रतिशत हिस्सा ही उनके पास खेती के लिए उपलब्ध है। विकास के नाम पर उनकी जमीन फोरलेन, राष्ट्रीय उच्च मार्ग, विभिन्न तरह के प्रोजेक्टों और अब मण्डी की सबसे उपजाऊ जमीन हवाई अड्डा बनाने के लिए जा रही है, लेकिन मुआवजे के नाम पर उनसे वादाखिलाफी हो रही है। प्रदेश भाजपा के घोषणापत्र में भूमि का चार गुणा मुआवजा देने का वायदा किया गया था, जो सरकार ने पूरा नहीं किया। किसान सभा प्रधानमंत्री से उम्मीद करती है कि 27 दिसम्बर के दौरे के दौरान वे किसानों को उनकी भूमि का उचित मुआवजा देने, भूमि अधिग्रहण से विस्थापित किसानों को पुनर्विस्थापित करने और उनके लिए वैकल्पिक रोजगार देने पर प्रदेश सरकार को स्पष्ट आदेश देंगे।
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