इंडिया न्यूज, हिसार (Monthly Animal Husbandry): आज दिनांक 03.1.2023 को लुवास के कुलपति प्रोफेसर डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने कुलपति सचिवालय से मासिक पशुपालन निर्देशिका को जारी किया। इस दौरान प्रोफेसर डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने बताया कि हमारा देश की अर्थ व्यवस्था में पशुधन का महत्वपूर्ण योगदान है। पशुपालन क्षेत्र (डेयरी/पोल्ट्री/बकरी/सुकर पालन) को व्यवसाय का रूप देते हुए, ग्रामीण युवा उद्यमी बन रहे है।
इस व्यवसाय में युवाओं की भूमिका अहम है युवाओं में सोशल मीडिया के उपयोग से हम सभी भलीभांति परिचित है। पशुपालन क्षेत्र में युवा उद्यमियों तक पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी पहुचानें हेतु सोशल मीडिया बहुत उपयोगी है लुवास इस दिशा में अहम भूमिका निभा रहा है और विस्तार शिक्षा निदेशालय के वैज्ञानिक पशुपालन से संबन्धित नवीनतम जानकारी एवं तकनीक पशुपालकों तक पहुचाने के लिए निरंतर कार्यरत है।
पशुपालन में युवा उद्यमियों व सोशल मीडिया के सकारात्मक प्रभाव हेतु मासिक पशुपालन निर्देशिका की शुरूआत की जा रही है। उन्होंने इसके लिए विस्तार शिक्षा निदेशालय व सम्बन्धित वैज्ञानिकों को बधाई एवं शुभकामनायें दी। विस्तार शिक्षा निदेशक एवं स्नातकोत्तर अधिष्ठाता डॉ. मनोज रोज ने बताया कि विस्तार शिक्षा निदेशालय द्वारा हर माह लुवास के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से किसानों एवं पशुपालकों के लिए इस मासिक पशुपालन निर्देशिका को उपलब्ध कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि जनवरी माह इस निर्देशिका में बताया गया है कि जनवरी मास में पशुपालक अपने पशुओं को ठंड से बचाव हेतु सीधी ठंडी हवा ना लगने दे, छोटे विशेषकर नर पशुओं में पेशाब रुकने की समस्या पर ध्यान दें, पेशाब रुकने की समस्या में जल्द से जल्द पशु चिकित्सक से संपर्क करें, पशु आहार में अधिक उर्जा व प्रोटीन (अनाज, खल इत्यादि दें) उन्होंने आगे इस बदलते मौसम में पशुओं की देखभाल के टिप्स भी बताए।
उन्होंने बताया कि पशुओं को एकदम से सुबह ओस गिरा हरा चारा न दें, इससे पशुओं में आफरा आ सकता है, सुविधा अनुसार पहले दाना बाद में सुखा या हरा चारा दे सकते है, पशुओं के छोटे बच्चों को बोरी, कम्बल आदि से ढकें, बिछावन को गोबर व पेशाब से गिला न रहने दे, सर्दियों में पशुओं को अधिक प्रोटीन वाली खल (मूंगफली खल, सरसों खल आदि) दें उर्जा (400- 500 ग्राम अतिरिक्त दाना मिश्रण) व खनिज मिश्रण भी जरुर दें, पशुओं की खोर में देसी नमक का टुकड़ा रखे व नमक की उपलब्धता सदैव रखें, ज्यादा ठण्ड के कारण, तनाव की वजह से दूध उत्पादन की कमी रोकने व सही पाचन प्रक्रिया के लिए गुनगना/ ताजा साफ पीने योग्य पानी, दिन में कम से कम 2-3 बार अवश्य दें।
इस अवसर पर अनुसंधान निदेशक डॉ. नरेश जिंदल, रजिस्ट्रार एवं डीन कॉलेज आॅफ वेटरनरी साइंस डॉ. गुलशन नारंग, छात्र कल्याण निदेशक एवं एस्टेट ऑफिसर डी. एस. दलाल, मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. एस. एस. ढाका, आई.पी.वी.एस. निदेशक डॉ. सतपाल दहिया, लेखा नियंत्रक श्री सुरेन्द्र कुमार, जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. अशोक मलिक, निदेशक महेन्द्रगढ़ डॉ. रमेश, डी.ई.एस. रोहतक डॉ. राजेन्द्र, डॉ. आर.एस. श्योकंद, डॉ. के. के. यादव, एक्स्टेंशन स्पेसिलिस्ट डॉ. रेखा दहिया, डॉ. देवेन्द्र यादव, डॉ. सुजोय खन्ना, डॉ. ज्योति, डॉ. सरिता खत्री, डॉ. योगेंदर सिंह यादव एवं डॉ. महावीर उपस्थित रहे।
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