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Selja’s Statement On Mid Day Meal : मानदेय बढ़ाने की बजाए मिड डे मील स्कीम का नाम बदलने में अधिक दिलचस्पी : सैलजा 

• LAST UPDATED : July 14, 2024
  • छह-सात महीने से रुका अधिकतर मिड डे मील वर्करों का मानदेय

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Selja’s Statement On Mid Day Meal : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा से लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार कांग्रेस सरकारों द्वारा संचालित की जा रही योजनाओं का नाम बदलने में पूरी दिलचस्पी ले रही है, लेकिन इन स्कीमों को चालू रखने के लिए जरूरी बजट जारी करने में नकारा साबित हो रही है।

Selja’s Statement On Mid Day Meal : मिड डे मील वर्करों को कोई भी भुगतान नहीं किया जा रहा

सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए चलाई जा रही मिड डे मील स्कीम का नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण शक्ति स्कीम कर दिया, जबकि छह-सात महीने से खाना तैयार करने वाली अधिकतर मिड डे मील वर्करों को कोई भी भुगतान नहीं किया जा रहा है। इससे उनके परिवारों के सामने घर के चूल्हे ठंडे पड़ने लगे हैं।

केंद्र सरकार ने गुपचुप तरीके से इस स्कीम का नाम ही बदल दिया

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए व पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के लिए कांग्रेस पार्टी की केंद्र सरकार ने साल 1995 में मिड डे मील स्कीम को शुरू किया था। इस स्कीम के देशभर से अच्छे परिणाम भी सामने आए। लेकिन, भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने गुपचुप तरीके से इस स्कीम का नाम ही बदल दिया।

सबसे अहम योगदान खाना तैयार करने वाली मिड डे मील वर्कर का होता

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस स्कीम का नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना कर दिया गया है। लेकिन, नाम बदलने वाली सरकार यह भूल गई कि इस स्कीम को सुचारू चलाने के लिए सबसे अहम योगदान खाना तैयार करने वाली मिड डे मील वर्कर का होता है। सरकार ने पिछले 6-7 महीने से अब तक कई जिलों में इन्हें एक बार भी मानदेय जारी नहीं किया है।

पहले भी धरने-प्रदर्शन के बाद इनका मानदेय जारी हुआ था

कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश में 30 हजार मिड डे मील वर्कर हैं। राज्य सरकार इन्हें साल में 12 की बजाए 10 महीने का ही मानदेय जारी करती है। छुट्टियों के नाम पर दो महीने का मानदेय देने से इंकार कर देती है। इसके बावजूद लगातार 6-7 महीने जब किसी को मानदेय नहीं मिले तो उसके घर की हालत कैसे हो जाती है, यह सरकार समझ नहीं पा रही है। पहले भी धरने-प्रदर्शन के बाद इनका मानदेय जारी हुआ था।

श्रेय लेने के चक्कर में केंद्र सरकार ने इनका नाम ही बदल दिया

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है, जब किसी योजना का नाम बदला गया हो और फिर उससे भी हाथ खींचने का प्रयास भाजपा ने किया हो। इससे पहले केंद्र सरकार 23 से अधिक सरकारी स्कीमों के नाम बदल चुकी है। ये वह स्कीम थी, जो कांग्रेस ने देश की जनता के लिए शुरू की थी और खासी लोकप्रिय भी हुई। बाद में इनका श्रेय लेने के चक्कर में केंद्र सरकार ने इनका नाम ही बदल दिया, ताकि लोगों को लगे कि इन्हें भाजपा ने ही शुरू किया है।

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