होम / Stubble Burning : प्रदेश के 3 जिलों में पराली जलाने के 50% से ज्यादा मामले, फतेहाबाद सबसे आगे

Stubble Burning : प्रदेश के 3 जिलों में पराली जलाने के 50% से ज्यादा मामले, फतेहाबाद सबसे आगे

• LAST UPDATED : November 16, 2023
  • पराली जलाने में फतेहाबाद, जींद, कैथल और करनाल आगे 

  • पिछले साल की तुलना में अब तक 2 गुना से ज्यादा कमी पराली जलाने के मामलों में

India News (इंडिया न्यूज), Stubble Burning, चंडीगढ़ : इन दिनों बदलते मौसम के कारण वायु प्रदूषण चरम पर है। एनवायरमेंटल कंडीशंस के अलावा भी कई अन्य फैक्टर बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। बढ़ते पॉल्यूशन के लिए पराली जलाने को भी काफी हद तक उत्तरदायी माना जाता है। दिल्ली में पॉल्यूशन रोकने को लेकर पंजाब और हरियाणा में उठाए गए कदमों की प्रभावशीलता पर बहस अक्सर ही रहती है।

दिल्ली की वायु गुणवत्ता बिगड़ने के लिए भी पंजाब एवं हरियाणा को सीधे तौर पर जिम्मेदार माना जाता है, लेकिन हरियाणा ने पिछले कुछ वर्षों में पराली की घटनाओं पर अंकुश लगाने में काफी सफलता अर्जित की है। तीन वर्षों अवधि में हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं  में दो से ढाई गुना तक की कमी दर्ज की गई है। इसी कड़ी में यह बता दे कि प्रदेश के तीन जिलों में प्रणाली की कुल घटनाओं में से 50 फीसद यहां रिपोर्ट हुई हैं । इसके अलावा गत रोड बेल्ट पर पड़ने वाले जिलों में भी काफी हद तक नए मामले रिपोर्ट हुए हैं। इसके अलावा यह भी बता दे की सरकार ने परली चलने वाले किसानों के खिलाफ जमाने का प्रावधान भी किया है और उन पर एफआईआर भी दर्ज की जा रही हैं।

अब तक पराली जलाने की जितनी भी घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं, उनमें से  20 फीसद से ज्यादा अकेले पंजाब से सटे फतेहाबाद जिले में रिपोर्ट हुई हैं l हरियाणा में अब तक पराली जलाने की कुल 1940 घटनाएं सामने आई हैं जिनमें से फतेहाबाद में 461 मामले रिपोर्ट हुए हैं। इसके बाद इस मामले जींद दूसरे स्थान पर है जहां 290 मामले सामने आए हैं। वहीं कैथल में 260 मामले कन्फर्म हुए हैं।

इसके बाद सबसे ज्यादा मामले जीटी रोड बेल्ट में आने वाले जिलों में सामने आए हैं। अंबाला में 185, करनाल में 113 और  कुरुक्षेत्र में 151 मामले रिपोर्ट हुए। इनके अलावा हिसार में 89, यमुनानगर में 87, सोनीपत में 66 और  पलवल में 57 मामले रिपोर्ट हुए। वहीं पांच जिले ऐसे रहे जहां पराली जलाने का कोई मामला रिपोर्ट नहीं हुआ। रेवाड़ी, चरखी दादरी, नूह, गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ में कोई भी पराली जलाने का मामला सामने नहीं आया। वहीं हर एक जिले में 50 से नीचे मामले रिपोर्ट हुए। आंकड़ों से साफ है दिल्ली से सारे जिलों में पराली जलाने के मामले बेहद कम हैं।  कम मामले आने के पीछे कहीं कहीं सरकार के भी प्रयास हैं।

हरियाणा में दो गुना से ज्यादा कम हुए केस, पंजाब में कई गुना बढ़े

हरियाणा में पिछले 3 साल में सामने आया है कि पराली जलाने के केस ढाई गुना तक काम हुए हैं वहीं पड़ोसी पंजाब में स्थिति बेहद चिंताजनक है। वहां पिछले 3 साल में कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। आंकड़ों के अनुसार साल 2021 में हरियाणा में 4216 पराली जलाने के केस रिपोर्ट हुए थे। इसके बाद अगले साल 2576 पराली जलाने के केस रिपीट हुए थे। इस लिहाज से एक साल में 16 सौ से ज्यादा केस काम हुए। वहीं 2023 में अब तक 1940 केस रिपोर्ट हुए हैं। पिछले साल की तुलना में 6 सौ से ज्यादा केस कम हुए हैं। वहीं पड़ोसी पंजाब में हालात इसके उलट हैं और वहां निरंतर पराली जलाने के मामलों में इजाफा हुआ है।

मशीनों की खरीद पर 65 प्रतिशत तक सब्सिडी, फिर भी पराली जलाना और राजनीति जारी

पराली को जलाने से रोकने और इसके उचित प्रबंधन के लिए करीब 80 हजार मशीनें काम कर रही हैं। साथ ही सरकार द्वारा इन मशीनों की  खरीद पर 65 फीसदी तक की सब्सिडी दी जा रही है। लेकिन इसके बावजूद भी पराली जलाने की घटनाएं रिपोर्ट हो रही हैं। इन पर पूरी तरह से रोक नहीं लग पा रही है। गौरतलब है कि उपरोक्त के अलावा पराली की गांठे बनाने पर किसानों को 50 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि मिलते है।

अगर किसान पराली की गांठे करनाल और पानीपत के इथेनाल प्लांट में ले जाता है तो उसे 2000 रुपये प्रति एकड़ का से प्रोत्साहन और  अगर कोई किसान पराली को गोशालाओं में ले जाता है तो उसे 1500 रुपये की राशि  बतौर प्रोत्साहन दी जाती है।  यह भी बता दें कि दिल्ली में पॉल्यूशन और पराली जलाने के मामलों को लेकर सियासत भी निरंतर तूफान पर है। दिल्ली व पंजाब में आम आदमी  पार्टी की सरकार और हरियाणा की भाजपा सरकार मामले को लेकर आमने-सामने हैं।

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए बड़ा बजट हो रहा खर्च

प्राप्त जानकारी में सामने आया है कि अलग-अलग हेड में सरकार पराली प्रबंधन पर अब तक 600 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। पराली नहीं जलाने वाले किसानी को 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही ह। इसके अलावा  जीरी की जगह कोई अन्य फसल उगाने के लिए की प्रति एकड़ 7000 रुपये की सब्सिडी के तहत 786 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। बता दें कि कुल 14500 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।

इसमें मेरा पानी मेरी विरासत विरासत योजना के तहत फसल विविधीकरण के लिए दिए जाने वाले  7000 रुपये प्रति एकड़ तथा बीज हो धान की बुआई के लिए 4000 रूप रुपये प्रति एकड़ शामिल है। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 30 नवंबर तक हरियाणा के की एनसीआर क्षेत्रों में बीएस-3 पेट्रोल उस और बीएस-4 डीजल वाहनों पर बैन रहेगा।

यह भी पढ़ें : Haryana Roadways Strike Ends : 3 दौर की बैठक के बाद हरियाणा रोडवेज की हड़ताल खत्म, सरकार और यूनियन में बनी सहमति

यह भी पढ़ें : Accidents in Karnal : सड़क हादसों में बच्ची सहित 3 की मौत

यह भी पढ़ें : Etawah Train Fire Accident : वैशाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस में एस-6 कोच में आग, 19 यात्री झुलसे

Tags: