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Kurukshetra University एवं कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल के बीच हुआ एमओ

• LAST UPDATED : August 22, 2024

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यूप्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में शोध के स्थापित होंगे नए आयाम

India News Haryana (इंडिया न्यूज़), Kurukshetra University : प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में जहां शोध के नए आयाम स्थापित होंगे वहीं पर दूसरी ओर प्लास्टिक वेस्टेज को रीसाइक्लिंग करके सामाजिक समस्याओं को दूर किया जाएगा। आने वाले दिनों में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के शोधार्थी प्लास्टिक वेस्ट टू वेल्थ विषय पर शोध करेंगे। इसके साथ ही दोनों विश्वविद्यालयों के शिक्षक एवं शोधार्थी शोध के विषय में नई संभावनाओं के ज्ञान का आदान-प्रदान करेंगे।

विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि आज कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय परिसर में कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल (केयूएन) तथा कुवि के भौतिकी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय परियोजना के अंतर्गत वेस्ट टू वेल्थ रीसाइक्लिंग प्लास्टिक मैनेजमेंट के तहत एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।

Kurukshetra University : प्लास्टिक वेस्ट सबसे बड़ी सामाजिक समस्या

उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में प्लास्टिक वेस्ट सबसे बड़ी सामाजिक समस्या है। इस समस्या के समाधान के लिए एमओयू के माध्यम से नए रास्ते खुलेंगे। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक वेस्ट टू वेल्थ के माध्यम से शोध की नई संभावनाएं पैदा होंगी। इससे सिविल इंजीनियरिंग, ऊर्जा स्टोरेज, दवाइयां, जल शुद्धिकरण एवं सडक़ बनाने के लिए मैटेरियल की उपलब्धता भी हासिल होगी। इस एमओयू के तहत दोनों विश्वविद्यालयों में उपलब्ध शिक्षण, अकादमी, शोध, प्रयोगशालाओं की सुविधाओं का लाभ स्टाफ संकाय और छात्र साझा कर सकेंगे।

प्रशिक्षण एवं इंटर्नशिप सुविधाएं भी प्रदान की जा सकेंगी

उन्होंने कहा कि एमओयू के अनुसार दोनों विश्वविद्यालयों के नियमों अनुसार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के चयनित छात्रों को प्रशिक्षण एवं इंटर्नशिप सुविधाएं भी प्रदान की जा सकेंगी। उल्लेखनीय है कि नेशन मिशन ऑन हिमालयन स्टडीज मिनिस्ट्री ऑफ इनवार्यमेंट एंड फॉरेस्ट क्लाइमेट चेंज के तहत इस प्रोजेक्ट के लिए 1.9 करोड़ की ग्रांट प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय इस क्षेत्र में क्वायन सैल, पाउच सैल के माध्यम से बैटरियों में प्रयोग होने वाली मैटेरियल पर शोध करेगा।

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