गौरतलब हो कि सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने लोकसभा में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री से पूछा था कि हरियाणा में कैंसर रोगियों की संख्या कितनी है। हरियाणा के विभिन्न जिलों में ऐसे रोगियों के उपचार के लिए किए गए विशेष कैंसर वार्ड का जिलावार ब्यौरा क्या है, हरियाणा में प्रवेश करने वाली घग्गर नदी का प्रदूषित पानी कैंसर फैलाने में किस हद तक जिम्मेदार है, क्या सरकार ने इस नदी को साफ करने के लिए कोई योजना बनाई है। क्या केंद्र सरकार देश में बीपीएल परिवारों के कैंसर रोगियों को कोई विशेष सहायता प्रदान करती है।
सांसद के इन सवालों के जवाब में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राज्यमंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि हरियाणा में 2019 में 1486, 2020 में 1536, 2021 में 1580, 2022 में 1630 और 2023 में 1678 कैंसर रोगी भारत चिकित्सा अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के तहत सामने आए। राज्यमंत्री ने कहा है कि हरियाणा में हिसार, करनाल, नूंह, सोनीपत और रोहतक के सरकारी मेडिकल कालेजों में कैंसर रोगियोंं की देखभाल की सुविधाएं उपलब्ध हैं, इसके साथ ही राष्ट्रीय कैंसर संस्थान भादसा झज्जर में कैंसर रोगियों की देखभाल की व्यापक सुविधाएं है।
इसके साथ ही प्रदेश के सभी 22 जिलों में राष्ट्रीय गैर संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम लागू किया गया है, एनपी-एनसीडी के तहत पंचकूला, अंबाला, फरीदाबाद, कुरुक्षेत्र और यमुनानगर में 22 जिला एनसीडी क्लीनिक 157 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में एनसरडी क्लीनिक और पांच जिलों में जिला कैंसर डे केयर सेंटर कार्यरत है।
जवाब में कहा गया है कि अध्ययन रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि घग्घर नदी के आसपास रहने वाले लोगों में कैंसर का अधिक खतरा है। घग्गर नदी के पानी में सीसा, लोहा और एल्यूमिनियम की मात्रा निर्धारित मात्रा से कहीं अधिक है जिसके चलते कैंसर रोग को बढ़ावा मिल रहा है। हरियाणा राज्य में इस नदी का पानी न तो पीने योग्य है और न ही नहाने योग्य है।
राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के तहत पंजाब में घग्गर नदी के जलग्रहण क्षेत्र में शहरों से निकलने वाले अपशिष्ट जल के उपचार के लिए कुल 291.7 एमएलडी क्षमता के 28 एसटीपी स्थापित है जबकि हरियाणा में 588 एमएलडी की सीवरेज उपचार क्षमता सृजित की गई है। राज्य मंत्री ने जवाब में कहा है कि सरकारी संस्थानों में कैंसर का इलाज या तो मुफ्त या सबसिडी वाला है, साथ ही गरीब रोगियों को उपचार के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत अस्पताल में भर्ती होने के लिए प्रति परिवार प्रति वर्ष 05 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा प्रदान करना है।
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