गुरुग्राम/दीपक शर्मा
फरुखनगर में सरसों के किसानों की मौज हो रही है तो वहीं गेहूं के किसान परेशान है…. सरसों को किसान जहां खुले बाजार में पांच हजार से 5500 तक बेच रहे हैं, तो वहीं इस पर मुनाफा भी कमा रहे हैं.. लेकिन गेहूं के किसानों को फसल बिक्री के बाद भी रुपए नहीं मिले हैं… जहां सरसों के किसानों को निजी मंडियों में MSP से ज्यादा कीमत मिल रही है, तो वहीं गेहूं के किसान MSP पर बिकने वाली फसल के भुगतान के लिए भी परेशान हैं… गेहूं के किसानों की परेशानी को लेकर अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है ।
इंडिया न्यूज हरियाणा ने की मंडियों का पड़ताल
देशभर में जहां प्राइवेट मंडी और आढ़तियों की भूमिका को लेकर विरोध किया जा रहा है… वहीं सड़क पर डटे किसान सरकार के बनाये तीन कृषि कानूनों के साथ आढ़तियों की भूमिका और प्राइवेट मंडी को लेकर नीतियों को कटघरे में खड़ा करते आ रहे हैं…. ऐसे में इंडिया न्यूज हरियाणा ने पड़ताल करने की जिम्मेदारी उठाई.. सबसे पहले पड़ताल MSP को लेकर की गई… जिस पर किसानों और केंद्र सरकार के बीच न केवल विवाद चला आ रहा है बल्कि मामले में आंदोलन को लेकर बवाल भी मचा है…
सरसों के किसानों के आए अच्छे दिन !
MSP के मामले में सरसों के किसानों के अच्छे दिन आ गए हैं… फरुखनगर मंडी में 35 हजार क्विंटल सरसों की खरीद की जा चुकी है.. जिसका समर्थन मूल्य 4500 से 4700 रुपए के बीच रखा गया है… वहीं बात प्राइवेट मंडी में सरसों के रेट को लेकर की जाए तो 5000 से 5300 और 5500 के करीब भाव रहा… खास बात ये रही कि ‘आओ बेचो और पैसा ले जाओ’ स्कीम पर दक्षिण हरियाणा के ज्यादातर किसानों ने सरसो की फसल प्राइवेट मंडियों में बेच भी दी…
गेहूं के किसानों का छलका दर्द
वही अगर हम मंडी में गेहूं के किसानों की बात करें तो ज्यादातर किसानों का दर्द कैमरे के सामने ही छलक पड़ा.. कई गांवों से आए किसानों ने गेंहू की फसल को MSP यानी 1975 के रेट पर बेच तो दिया लेकिन उनके अकाउंट में भुगतान के रुपए पहुंचे ही नहीं.. वहीं मामले में फसल की खरीद का ये अमाउंट कब डिपॉजिट होगा इसको लेकर कोई माकूल जवाब आधिकारियों के पास नहीं है.