इफको द्वारा नैनो तरल यूरिया की 500 एमएल बोतल की गई तैयार
किसानों को अब यूरिया का 45 किलोग्राम का बैग उठाने की नहीं पड़ेगी जरूरत – डा. बनवारी लाल
इंडिया न्यूज, चंडीगढ़।
Nano Urea Liquid हरियाणा के सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने कहा कि इफको द्वारा किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए एक उत्तम प्रकार के उर्वरक तैयार किया गया है जो फसलों के लिए यूरिया का अच्छा विकल्प है। उन्होंने कहा कि नैनो तरल यूरिया पारंपरिक रूप से उपयोग किए जा रहे दानेदार यूरिया से सस्ता है तथा पर्यावरण के अनुकूल है। सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल रेवाड़ी के गांव गुमीना में सहकारी संस्था इफको की ओर से नैनो तरल यूरिया का शुष्क खेती में महत्व विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी एवं नि:शुल्क कंबल वितरण कार्यक्रम में ग्रामीणों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जिले के प्रत्येक किसान को नैनो यूरिया बारे जानकारी देकर जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि किसानों को अब खेत में 45 किलोग्राम का बैग ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी इसके लिए नैनो यूरिया तरल की 500 एमएल बोतल ही काफी रहेगी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण व गुणवत्ता के लिहाज से यह अच्छी है। उन्होंने कहा कि यूरिया का अधिक प्रयोग करने से फसल की गुणवत्ता में कमी आती है तथा मृदा स्वास्थ्य को नुकसान भी पहुंचता है। नैनो यूरिया तरल फसलों को मजबूत व स्वस्थ्य बनाता है तथा सस्ता भी है, इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि अधिक रसायनिक खादों के प्रयोग के कारण मृदा स्वास्थ्य पर काफी असर दिख रहा है और किसानों को अभी से सजग करते हुए कहा कि जैव उर्वरक सागरिका एवं नैनो यूरिया का प्रयोग करते हुए रसायनिक खादों की 50 प्रतिशत मात्रा कम की जा सकती है जिसके कारण मृदा स्वास्थ्य में वृद्धि खर्च में कमी तथा उत्पादन में वृद्धि होगी। उत्पादित अनाज की भी गुणवत्ता में सुधार होगा साथ ही ड्रोन के माध्यम से कृषि आदानों का स्प्रे बेहतर विकल्प है इससे श्रम व लागत में कमी होगी। सहकारिता मंत्री ने जरूरतमंद लोगों को नि:शुल्क कंबल का वितरण भी किया।
विचार गोष्ठी में डा. पुष्पेंद्र वर्मा, राज्य विपणन प्रबंधक, इफको हरियाणा ने किसानों को इफको के विशिष्ट उर्वरक उपयोग करने की सलाह दी। साथ ही कृषि में ड्रोन का महत्व समझाते हुए किसानों को यह बताया कि इफको के उत्पादों का इस्तेमाल करके वह अपनी खेती में लागत को कम कर सकते हैं। साथ ही पैदावार को बढ़ा सकते हैं। जैव उर्वरक को एक बेहतर विकल्प बताते हुए उन्होंने किसानों से इसका इस्तेमाल करने की सिफारिश की।
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