डॉ रविंद्र मलिक, चंडीगढ़:
National Health Mission Team Did Survey: प्रदेश भर में 21 हजार से ज्यादा आशा वर्कर हैं जिनके जिम्मे स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई तरह की जिम्मेदारी दी गई हैं। इनमें से एक काम है डिलीवरी के बाद जच्चा-बच्चा के घर विजिट करना और उनके स्वास्थ्य पर नजर बनाए रखना। कई बार ये भी सामने आता कि आशा वर्कर जरूरी होम विजिट नहीं करती है और जच्चा-बच्चा को ऐसी स्थिति में परेशानी हो सकती है।
इसी कड़ी में सामने आया है कि कुछ दिन नेशनल हेल्थ मिशन की टीम व अधिकारियों ने प्रदेश भर का दौरा किया और क्रॉस चेक किया गया कि आशा वर्कर जच्चा-बच्चा के घर विजिट कर रही हैं कि नहीं। ये भी सामने आया कि काम में लापरवाही बरतने वाली आशा वर्कर के खिलाफ कार्रवाई तय है। हालांकि ये बताना भी जरूरी है कि कोरोना लहर में आशा वर्कर में बेहतरीन काम किया जिसकी सबने तारीफ की। इसके अलावा कोरोना को लेकर ही सीरो सर्वे में डाटा कलेक्शन के काम में भी वो अग्रणी रही।
मिली जानकारी अनुसार हर आशा वर्कर को माता व नवजात की देखभाल के लिए उनकी ड्यूटी के संबंधित एरिया में औसतन 20 से 24 केस मिलते हैं। इसमें इम्युनाइजेशन कार्यक्रम भी शामिल हैं। उनको नवजात के स्वास्थ्य पर बराबर नजर रखनी होती है। कई बार बच्चों में कई तरह से दिक्कत होती है जिनको बर्थ डिफेक्ट होता है। इसमें होंठ में कट लगना, वजन कम होना या कई बार बुखार रहता है। कहने का तात्पर्य है कि बच्चे की ओवरआॅल हेल्थ का ध्यान रखना होता है।
एनएचएम की टीम ने प्रदेश भर में विजिट कर क्रॉस चेक किया कि आशा वर्कर ने जरुरी विजिट पूरी की हैं कि नहीं। सुपरवाइजर ने पूरा रिकॉर्ड चेक किया और आशा वर्करों के साथ रैंडमली किसी भी घर गए और जच्चा व परिजनों से पूछा कि फ्ला फ्ला आशा वर्कर ने कितनी बार आपके घर विजिट की। इसके बाद पूरा रिकॉर्ड इंपलाइज किया गया है जिसकी अब रिपोर्ट आनी है।
प्रत्येक आशा वर्कर पर डिलीवरी जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य का ख्याल रखने और उनके घर विजिट करने की एवज में एक निर्धारित राशि मिलती है। चूंकि अब रिपोर्ट आनी है और जिन आशा वर्कर ने काम ठीक से नहीं किया है, उनसे वो राशि अब वसूली जाएगी। बता दें कि करीब 500 रुपए इस काम के लिए उनको मिलते हैं।
संबंधित विभाग से मिली जानकारी के अनुसार एक आशा वर्कर को उसके संबंधित एरिया में जच्चा व बच्चा के घर 6 से 7 बार विजिट करनी है ताकि उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखा जा सके। इसके लिए नियमित अंतराल रखा गया है जिसमें उनको विजिट करनी जरूरी है। इसमें उनको डिलीवरी के तुरंत बाद जाना होता है। उनको कुल 0 से 42 दिन में ये सारी विजिट करनी होती हैं।
बता दें कि प्रदेश भर में 21 हजार से ज्यादा आशा वर्कर हैं। गांव में हर 1 हजार लोगों की जनसंख्या पर एक आशा वर्कर है तो वहीं शहरों में ये आंकड़ा दुगना है। यानी कि शहरी क्षेत्रों में हर 2 हजार लोगों पर एक आशा वर्कर की ड्यूटी है। चूंकि शहरों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हैं तो वहीं ज्यादा लोगों पर एक आशा वर्कर की डयूटी है।
एक अनुमान के मुताबिक हरियाणा में हर साल करीब 5 लाख बच्चे जन्म लेते हैं। इनमें से करीब 3.5 लाख बच्चों की डिलीवरी सरकारी अस्पताल में होती है तो बाकी बचे करीब 1.5 लाख की डिलीवरी प्राइवेट अस्पताल में होती है। इसके बाद जच्चा-बच्चा के घर आने के बाद आशा वर्कर की जिम्मेदारी होती है कि वो दोनों का ख्याल रखा है।
ये भी बताना जरूरी है कि प्रदेश में एनएचएम द्वारा करीब 20 से 25 स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों के लिए एनएचएम का बजट करीब 900 करोड़ है और पिछली बार बेहतर काम के लिए केंद्र द्वारा 20 से 25 फीसद अतिरिक्त राशि भी दी गई। इसमें वैक्सीनेशन, इम्यूनाइजेशन, मलेरिया व अन्य बीमारियों की वैक्सीन देना और जच्चा-बच्चा के लिए एंबुलेंस और अस्पतालों में समय पर इलाज मुहैया करवाना आदि प्रमुख रूप से शामिल है। इन सभी प्रोग्राम में आशा वर्कर की भूमिका अहम है वो लगातार बेहतर काम भी कर रही हैं।