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Olympian Neha Goyal ‘बचपन के प्यार’ के साथ रचाने जा रही हैं शादी, संघर्ष में बीता जीवन 

• LAST UPDATED : November 22, 2024

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Olympian Neha Goyal : सोनीपत के वेस्ट रामनगर की रहने वाली एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन कर भारतीय महिला हॉकी टीम को स्वर्ण पदक जिताने वाली ओलंपियन नेहा गोयल अब शादी के बंधन में बंधने जा रही हैं। बता दें कि नेहा 24 नवंबर को करनाल के राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी सुनील के साथ विवाह के बंधन में बंधने जा रही हैं।

Olympian Neha Goyal : एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में जीत के बाद शादी की खुशी दोगुनी

नेहा गोयल के घर पर पारंपरिक रस्में शुरू हो गई हैं। उनकी हल्दी की रस्म द्रोणाचार्य अवार्डी और उनकी कोच प्रीतम सिवाच के घर पर होगी। नेहा की शादी की तैयारियां जोरों पर हैं। नेहा की मेहंदी की रस्म 23 नवंबर को होगी और 24 नवंबर को सुनील बारात लेकर सोनीपत पहुंचेंगे। शादी को लेकर नेहा और उनके परिवार में खासा उत्साह है। नेहा ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में जीत के बाद शादी की खुशी दोगुनी हो गई है।

अंडर-17 नेशनल टूर्नामेंट के दौरान शुरू हुई दोनों की प्रेम कहानी

नेहा ने बताया कि उसकी और सुनील की प्रेम कहानी अंडर-17 नेशनल टूर्नामेंट के दौरान शुरू हुई थी, जो पहले दोस्ती और फिर एक दूसरे के प्रति लगाव ने उन्हें आठ साल के लंबे रिश्ते में बांध दिया। नेहा ने बताया कि सुनील को वह प्यार से “सुकड़” कहती थीं। सुनील का स्वभाव, सहयोग और उनकी मदद करने की प्रवृत्ति ने नेहा को उनके करीब ला दिया। वहीं ओलंपियन नेहा गोयल ने बताया कि बचपन से ही उनका सपना था कि उसकी शादी एक संयुक्त परिवार में हो, जैसा वे अपने चाचा-ताऊ के साथ रहती थीं। सुनील का परिवार भी संयुक्त परिवार है, जिससे नेहा का यह सपना पूरा हो गया है।

कठिन दौर में सुनील बना सहारा

नेहा ने बताया कि 2015 में उसे को गंभीर चोट लगी थी, और डॉक्टरों ने खेलने से मना कर दिया था। इस कठिन समय में सुनील ही नेहा का सहारा बने और उसका पूरा साथ दिया। इलाज और फिजियोथेरेपी के लिए उन्हें बार-बार दिल्ली ले जाना और ख्याल रखना, सुनील की यही देखभाल ने नेहा को फिर से भारतीय टीम में जगह दिलाने में मदद की। 2018 एशियाई खेलों के बाद नेहा ने अपनी कोच प्रीतम सिवाच को अपनी प्रेम कहानी के बारे में बताया। कोच ने नेहा को करियर पर फोकस करने और अपने खेल में सुधार लाने के लिए प्रेरित किया। इसके साथ ही नेहा ने अपने रिश्ते को भी जिंदा रखा।

पिता की मौत के बाद मां ने फैक्ट्री में काम कर की परवरिश

नेहा का बचपन बेहद संघर्षों से भरा रहा। तीन बहनों में सबसे छोटी नेहा ने छठी कक्षा में हॉकी की स्टिक पकड़ी थी, ताकि अच्छे जूते और कपड़े मिल सकें। उनके पिता की मौत के बाद उनकी मां ने फैक्ट्री में काम कर बेटियों की परवरिश की। नेहा ने अपने खेल के दम पर राष्ट्रीय हॉकी टीम में जगह बनाई और टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम का हिस्सा रहीं।

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