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Sarvapitri Amavasya पर श्रद्धालु पिंडारा तीर्थ में लगाएंगे श्रद्धा की डुबकी

• LAST UPDATED : October 1, 2024
  • तीर्थ पर श्रद्धालु करेंगे पिंडदान, उमड़ेगी श्रद्धालुओं की भीड़
  • अमावस्या दिन श्राद्ध संपन्न कर सकते हैं : नवीन शास्त्री

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Sarvapitri Amavasya : वर्ष 2024 की सर्व पितृ अमावस्या बुधवार को है। वहीं अमावस्या पर सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि सर्वपितृ अमावस्या पर उन लोगों का श्राद्ध कर्म किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि परिवार के सदस्य भूल जाते हैं। मान्यता है कि अमावस्या के दिन पितरों के नाम पर दान करना बहुत भी फलदायी होता है। सर्व पितृ अमावस्या का मुहूर्त एक अक्टूबर को रात 9 बजकर 39 मिनट से शुरू हो जाएगा और तिथि का समापन तीन अक्टूबर की रात 12 बजकर 18 मिनट पर होगा।

Sarvapitri Amavasya : आज खत्म हो जाएगा श्राद्ध पक्ष

श्राद्ध पक्ष बुधवार को को खत्म हो रहे हैं। ऐसे में बुधवार को अमावस्या पर पितरों के तर्पण के लिए पिंडारा तीर्थ पर श्रद्धालु की भीड़ उमड़ेगी और श्रद्धालु अपने पितरों के तर्पण के लिए पिंडदान करेंगे। अमावस्या पर तीर्थ पर मेले का भी आयोजन होता है। ऐसे में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के प्रबंध करते हुए यहां पुलिसकर्मियों को ड्यूटी लगा दी है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पितरों के तर्पण के पांडवों ने भी पिंडारा तीर्थ में ही पिंडदान किए थे। हालांकि पांडव यहां 12 साल तक सोमवती अमावस्या के योग का इंतजार करते रहे, लेकिन यह योग नहीं बना। ऐसे में कलयुग में भी लोग यहां पिंडदान करते हैं।

अपने पितरों के उद्धार के लिए पिंडारा तीर्थ पर पिंडदान किया था

पिंडारा तीर्थ के महत्व के बारे में वीरेंद्र पिंडारा ने बताया कि पिंडारा तीर्थ को पिंड तारक सोमतीर्थ व पिंडार्क नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि जब पितामह भीष्म वाणों की शैया पर थे, तब धर्मराज युधिष्ठिर ने उनसे पितरों को मुक्ति के लिए पूछा था। इस पर भीष्म ने पिंडारा तीर्थ में स्नान कर पिंडदान करने के लिए कहा था।

शास्त्रों में बताया गया है कि मंकण ऋषि ने सूर्य के बताने पर अपने पितरों के उद्धार के लिए पिंडारा तीर्थ पर पिंडदान किया था। उन्होंने कहा कि शास्त्रों के अनुसार गया जी में दान का जो महत्व है वही पिंडारा में है। पांडवों ने पितरों के लिए पिंडरा में पिंडदान किया। इससे इसका नाम पांडू पिंडारा पड़ा है। यहां तीर्थ पर प्रदेश के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों से भी लोग पिंडदान करने आते हैं। शास्त्रों के अनुसार एक व्यक्ति अपनी तीन पीढिय़ों के लिए पिंडदान कर सकता है। इसमें पिता, दादा व परदादा शामिल हैं।

अमावस्या दिन श्राद्ध संपन्न कर सकते हैं : नवीन शास्त्री

जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि यदि आप किसी कारणवश श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध नहीं निकाल पाए तो भी आप सर्व पितृ अमावस्या दिन श्राद्ध संपन्न कर सकते हैं। इस दिन किसी सात्विक और विद्वान ब्राह्मण को घर पर निमंत्रित करें और उनसे भोजन करने और आशीर्वाद देने की प्रार्थना करें। स्नान करके शुद्ध मन से भोजन बनाएं लेकिन भोजन सात्विक होना चाहिए। सर्व पितृ अमावस्या के दिन अगर आपके घर कोई भी भिखारी आए, तो उसे दरवाजे से खाली हाथ न लौटाएं। सर्व पितृ अमावस्या के दिन मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए। वरना इससे पितृ आपसे नाराज हो सकते हैं।

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