कैथल/
ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एंप्लाइज फेडरेशन के आह्वान पर सर्व कर्मचारी संघ के बैनर तले जिला कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर लघु सचिवालय में धरना प्रदर्शन किया, पत्रकारों से बात करते हुए कर्मचारी नेताओं ने कहा कि केन्द्र और प्रदेश की सरकार लंबे समय से लगातार कर्मचारियों और आम जनता की समस्याओं के समाधान के प्रति असंवेदनशील बनी हुई है।
कर्मचारियों की क्या-क्या हैं मांगें ?
केंद्र सरकार ने जिस असंवैधानिक तरीके पूंजीपतियों के हकों में श्रम कानूनों को खत्म कर चार लेबर कोड बना कर किसानों और मजदूरों पर जबरदस्त हमला किया है, केन्द्र सरकार आगामी मानसून सत्र में बिजली वितरण प्रणाली को निजीकरण करने के लिए बिजली संशोधन बिल 2021 को पारित कराने की जल्दबाजी में है।सरकार की नव उदारवादी आर्थिक नीतियों के कारण बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई ने मेहनतकश जनता की कमर को तोड़ कर रख दी है, महंगाई और बेरोजगारी कम करने के लिए ठोस कदम उठाने की बजाय आपदा को अवसर में बदलते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है।
वित्तमंत्री ने तो अपने बजटीय भाषण में ही पब्लिक सेक्टर को बेचकर एक लाख सत्तर हजार करोड़ रुपया जुटाने का लक्ष्य ही निर्धारित कर दिया है, कर्मचारियों का मांगपत्र इस प्रकार है, जनवरी, 2020 से रोके गए महंगाई भत्ते और एलटीसी (2016-2019) को बहाल कर बकाया का भुगतान किया जाए। महंगाई पर रोक लगाने के लिए कठोर कदम उठाए जाएं, ठेका प्रथा खत्म कर सभी प्रकार के कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए, पक्का होने तक समान काम समान वेतन लागू कर सेवा सुरक्षा प्रदान की जाए, एनपीएस को खत्म कर पुरानी पेंशन बहाल की जाए।
नौकरी से हटाए गए सभी नियमित और कच्चे कर्मचारियों को वापिस ड्यूटी पर लिया जाए, जबरी रिटायरमेंट के आदेशों को रद्द किया जाए, सबके लिए कोविड की फ्री वैक्सीन का प्रबंध जल्द किया जाए और स्वास्थ्य को मौलिक अधिकारों में शामिल किया जाए।स्वास्थ्य समेत सभी सार्वजनिक सेवाओं के निजीकरण पर रोक लगाई जाए और सभी जन सेवाओं का विस्तार कर युद्ध स्तर पर स्थाई भर्ती कर बेरोजगारों को रोजगार दिया जाए, विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता बहाल की जाए और कॉमन काडर बनाने के प्रयासों को वापस लिया जाना चाहिए।कोविड से अकाल मृत्यु का शिकार हुए कर्मचारियों को बिना किसी भेदभाव के 50 लाख रुपए आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को पक्की नौकरी दी जाए, एक्स ग्रेसिया रोजगार पालिसी को 1995 से लागू करते हुए सभी शर्तें हटाई जाए।
लिपिक का वेतन पे-मैट्रिक्स लेवल 6 में 35400 रुपए किया जाए, असंवैधानिक तीनों काले कृषि कानूनों और चारों लेबर कोड रद्द किए जाए, ईपीएफ, ईएसआई की सुविधा व वेतन का समय पर भुगतान किया जाए, ऑन लाइन ट्रांसफर में दूरदराज बदले गए कर्मचारियों का समायोजन और पॉलिसी की समीक्षा की जाए। लोकतांत्रिक और जनवादी अधिकारों को खत्म करने वाले सम्पत्ति क्षति वसूली कानून को रद्द किया जाए, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति और बिजली संशोधन बिल 2021 और रोड ट्रांसपोर्ट सेफ्टी बिल को वापस लिया जाए।