प्रदेश की बड़ी खबरें

‘Chalo Theatre’ Festival 2024 : ‘माई री मैं का से कहूं…लुगाई की अपनी मर्जी होती ही कहां है’, नारी अस्तित्व पर आधारित नाटक ने किया भावुक

  • पाइट में पहले दिन ‘चलो थियेटर’ उत्सव के पहले दिन नारी अस्तित्व पर आधारित नाटक ने भावुक किया
  • मेढ़ी से मसान तक है नारी का आसमान

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Chalo Theatre’ Festival 2024 : नारी का कितना बड़ा आसमान है। इस सवाल का जवाब आया, मेढ़ी से मसान तक। जब तक मसान न पहुंचे तब तक मेढ़ी पर। मेढ़ी के बाद उसके हिस्‍से मसान ही आता है। पानीपत इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (पाइट) में सात दिवसीय चलो थियेटर उत्‍सव के पहले दिन नारी अस्तित्‍व पर केंद्रित माई री मैं का से कहूं, नाटक का मंचन किया गया। अंत होते-होते नाटक देख रहे दर्शकों की आंखें नम हो उठीं।

‘Chalo Theatre’ Festival 2024 : नारी का व्यक्तित्व दो मर्यादित चौखटों तक सीमित

इस नाटक में दिखाया कि नारी का समूचा व्यक्तित्व, समूचा अस्तित्व कब से दो हिस्सों बंटा हुआ है। जन्म से लेकर विवाह तक उसके सारे अधिकार उसके मां-बाप के पास होते हैं। विवाह के बाद पति और बच्चों के पास। स्त्री की भावनाएं, उसकी इच्छाएं, उसकी सारी स्वतंत्रता, उसकी सारी संभावनाएं समाज की बनाई दो मर्यादित चौखटों तक आज भी सीमित हैं। लुगाई की अपनी मर्जी होती ही कहां है। मसान न पहुंचे तब तक मेढ़ी ,और मेढ़ी से सीधी मसान। नेशनल स्‍कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) से जुड़े अजय कुमार ने इस नाटक का निर्देशन किया है।

 नसीरुद्दीन जैसे अभिनेताओं के साथ कर चुके काम

वह नसीरुद्दीन जैसे अभिनेताओं के साथ काम कर चुके हैं। रंगमंच संगीत के क्षेत्र में उनकी उल्लेखनीय प्रतिभा के लिए उन्हें वर्ष 2008 के लिए संगीत नाटक अकादमी उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस अवसर पर सचिव सुरेश तायल, बोर्ड सदस्य शुभम तायल, डीन डॉ.बीबी शर्मा भी मौजूद रहे। एनएसडी, रास कला मंच की टीम का यह 14वां उत्‍सव है। संस्कृति मंत्रालय, हरियाणा कला परिषद का महत्वपूर्ण सहयोग रहा है।

विजयदान देथा ने लिखी है कहानी

राजस्थान के विख्यात लेखक और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित स्‍व. विजयदान देथा बिज्‍जी ने यह कहानी लिखी है। उनके पिता सबलदान देथा और दादा जुगतिदान देथा भी राजस्थान के जाने-माने कवियों में से थे। अपनी मातृभाषा राजस्थानी के समादर के लिए ‘बिज्जी’ ने कभी अन्य किसी भाषा में नहीं लिखा। उनका अधिकतर कार्य उनके एक पुत्र कैलाश कबीर ने हिंदी में अनुवादित किया।

राष्‍ट्रीय रास रंग सम्‍मान से नवाजा

रास कला मंच के निदेशक रवि मोहन ने बताया कि राष्‍ट्रीय रास रंग सम्‍मान का भी आयोजन किया गया। शमीम आजाद को हबीब तनवीर रंग सम्‍मान, प्रेम सिंह देहाती को सूर्यकवि पंडित लख्‍मी चंद रंग सम्‍मान, सतीश दवे को स्‍वदेश दीपक रंग लेखन सम्‍मान, राजेश सिंह को निर्मल पांडेय रंग सम्‍मान, विनय सिंघल को पृथ्‍वी राज कपूर रंग सम्‍मान, जयंत शंकर देशमुख को पंडित सत्‍यदेव दुबे रंग सम्‍मान, जगसीर सिंह को राममेहर मलिक रंग सम्‍मान दिया गया।

Good News For Women Employees : पसंदीदा जिलों में मिलेगी नौकरी, राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में पेश की सरकार की बेहतरीन नीतियां 

Meri Fasal Mera Byora Portal को लेकर सैलजा ने कही ये बड़ी बात, कहा – फिर भी खाद और कीटनाशक का बंदोबस्त नहीं !!

Anurekha Lambra

Recent Posts