पवन शर्मा, India News (इंडिया न्यूज़), Opposition on Haryana Property ID, चंडीगढ़ : हरियाणा के 88 शहरों में 1 करोड़ से अधिक हरियाणवी अपनी प्रॉपर्टी आईडी सही कराने के लिए महीनों से दलालों के हाथों लुट-पिट रहे हैं। इन लोगों की जिंदगी बिचौलियों, दलालों और सरकारी अधिकारियों की रिश्वतखोरी की भेंट चढ़ गई है। नगर निगमों, नगर परिषदों व नगर पालिकाओं में लोगों से हो रही खुली लूट व भ्रष्टाचार का आलम यह है कि खुद शहरी स्थानीय निकाय विभाग भी बेतहाशा रिश्वतखोरी व लूट-खसूट की बात को अपने औपचारिक पत्राचार में स्वीकार चुका है।
हरियाणा की जनता आज भाजपा-जजपा सरकार को जमकर कोस रही है, धिक्कार रही है पर न कोई सुनने वाला है और न कोई राहत देने वाला। मनोहर लाल व दुष्यंत चौटाला अब रोम के शासक ‘‘नीरो की भूमिका’’ में हैं, जैसे कि ‘‘जब रोम जल रहा था तो नीरो बाँसुरी बजा रहा था। अंतर केवल इतना है कि आज के हरियाणा के नीरो की ये जोड़ी हैलीकॉप्टर की सवारी कर रही है और लोग सड़कों पर छाती पीट रहे हैं।
[I] प्रॉपर्टी आईडी की लूट-खसूट में भटकते लोगों की समस्याएं देखिएः
(i) दलालों व कर्मचारियों ने ‘वैध कॉलोनी’ को ‘अवैध कॉलोनी’ में डाल दिया और ‘अवैध कॉलोनी’ को ‘वैध कॉलोनी’ में।
(ii) अधिकतर प्रॉपर्टी की मल्कियत मालिक की बजाय किसी और के नाम चढ़ा दी। कई जगह किराएदारों को मालिक दिखा दिया।
(iii) कई-कई मकानों की एक प्रॉपर्टी आईडी बना दी। अब मकान मालिक आपस में उलझते घूम रहे हैं।
(iv) प्रॉपर्टी का एरिया व मकान का साईज, दोनों जानबूझकर गलत भर दिए। अब अधिकतर पुराने मकानों की रजिस्ट्री की मल्कियत उपलब्ध नहीं है, व लोग लूटपाट के शिकार हैं।
(v) एक ही प्लॉट की दो-दो प्रॉपर्टी आईडी बना दीं, या फिर मकान के अलग-अलग कमरों की अलग आईडी बना दी। अब लोग ठीक करवाने के लिए धक्के खा रहे हैं।
(vi) रिहायशी मकानों को जानबूझकर कमर्शियल दिखा दिया। कमर्शियल प्रॉपर्टी व दुकानों को रिहायशी दिखा दिया। अब लोगों को इसे दुरुस्त करवाने के लिए रिश्वतखोरी का शिकार बनना पड़ रहा है। सरकारी जमीन पर बनी झुग्गियों व ग्रीन बेल्ट तक की प्रॉपर्टी आईडी बना दी गई। नगर पालिका, सरकारी विभागों की जमीन पर नाजायज कब्जाधारियों की भी प्रॉपर्टी आईडी बन गई। अब वो प्रॉपर्टी आईडी के आधार पर हजारों करोड़ की सरकारी संपत्तियों को अपना बताने लगे हैं।
(vii) प्रॉपर्टी आईडी से जुड़े फोन नंबर बदलकर दूसरे जिलों के लोगों के फोन नंबर लगा दिए गए हैं। अब उन पर मैसेज आता ही नहीं, तथा दुरुस्ती के लिए हजारों की रिश्वत देनी पड़ रही है।
(viii) खट्टर सरकार ने कानून बदलकर शहरी प्रॉपर्टी की बिक्री, ट्रांसफर, गिफ्ट इत्यादि पर नो ड्यूज़ अनिवार्य कर दिया है।
(ix) नो ड्यूज़ सर्टिफिकेट पोर्टल के नाम पर भारी धांधली और भ्रष्टाचार खुलेआम चल रहा है।
भुगत रहे हैं लोग – (i) नतीजा यह है कि शहरों में प्रॉपर्टी की एनओसी नहीं मिल रही। (ii) मकानों का नक्शा पास नहीं हो रहा। (iii) प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री या लीज़ या किरायानामा नहीं हो रहा। (iv) प्रॉपर्टी की विरासत नहीं हो रही। (v) प्रॉपर्टी पर बैंकों द्वारा लोन पास नहीं हो रहे। (vi) बकाया प्रॉपर्टी टैक्स नहीं दिया जा रहा। (vii)बकाया प्रॉपर्टी टैक्स के ब्याज में 100 प्रतिशत छूट नहीं मिल रही। इसके अलावा भी लोगों की परेशानी के हजारों और कारण बने हैं।
[II] प्रॉपर्टी आईडी सर्वे पूरी तरह फेल, मुख्यमंत्री श्री खट्टर गले फैसले करें, और सारी पब्लिक दंड भरे!
प्रॉपर्टी आईडी सर्वे के लिए 13 अगस्त, 2019 को डायरेक्टर, लोकल बॉडी व याशी कंसल्टिंग सर्विसेज़ प्राईवेट लिमिटेड, जयपुर में लिखित एग्रीमेंट हुआ। एग्रीमेंट की कॉपी संलग्नक A1 है। एग्रीमेंट की क्लॉज़ 7.1 के मुताबिक यह काम 4 महीने, यानि 12 दिसंबर, 2019 तक पूरा करना था। ठेकेदार पर विशेष मेहरबान खट्टर सरकार ने दसियों एक्सटेंशन दे डाले, और तीन साल से ज्यादा बीत जाने के बाद भी अधिकतर काम गलत व बोगस निकला।
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