India News (इंडिया न्यूज़), Panchkula Sugarfed Appointment Controversy, चंडीगढ़ : शाहाबाद शुगर मिल में असिस्टेंट इंजिनियर रहे और वर्तमान में पंचकूला शुगरफेड में महत्वपूर्ण पद पर टेक्निकल एडवाइजर के तौर पर कार्यरत एक अधिकारी को जांच में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने का दोषी पाया गया है। शिकायत मिलने के बाद की गई जांच पूरी होने के बावजूद अधिकारी के खिलाफ अभी तक काई कार्रवाई नहीं की गई है जिससे पूरे विभाग की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं। खास बात यह है कि जांच भी एक रिटायर्ड जज के द्वारा की गई है। रिटायर्ड जिला और सत्र न्यायाधीश का नाम हरियाणा सरकार के इनक्वारी ऑफिसर के पैनल पर है ।
शाहाबाद शुगर मिल के एमडी को सौंपी गई रिपोर्ट में यशवीर सिंह के खिलाफ हुई जांच में उनकी नियुक्ति से लेकर पदोन्नतियों को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। जांच अधिकारी के अनुसार, उनके प्रारंभिक नियुक्ति में जाली दस्तावेजों का प्रयोग हुआ था, और पदोन्नतियाँ भी अवैध दिखाई देती हैं। इतना ही नहीं सभी उम्मीदवारों की मेरिट को दरकिनार करके इसको लगाया गया था। जांच अधिकारी के मुताबिक नियुक्ति के समय जमा कराए गए दस्तावेज जाली थे, और उनकी पदोन्नति भी अवैध थीं। यशवीर सिंह के खिलाफ कईं शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं और इस समय वे शुगरफेड पंचकूला के टेक्निकल एडवाइजर के रूप में काम कर रहे हैं।
टेक्निकल एडवाइजर का पद बहुत अहम होता है वो हरियाणा की सभी मिलो को तकनीकी सलाह देता है कि कौन सी कंपनी से काम करवाना है और कैसे करवाना है। बजट पास करवाने में भी अहम भूमिका होती है। इसलिए इस पद पर हमेशा बहुत सीनियर चीफ इंजीनियर को ही इस पद पर रखा जाता है मगर इस बार सभी नियमों को दर किनार संदेहास्पद अधिकारी को पोस्ट पर लगा रखा है।
शिकायतकर्ता संदीप सिंह ने लिखित शिकायत में बताया कि यशवीर ने नौकरी प्राप्त करने के लिए जाली अनुभव प्रमाण पत्र जमा करके शुगर मिल में नौकरी प्राप्त की थी। संदीप सिंह ने यह भी दावा किया कि नौकरी के लिए जो विज्ञापन जारी किया गया था उसकी शर्तों के अनुसार उनकी योग्यता यशवीर से बेहतर थी। उनके पास मास्टर डिग्री थी, जबकि यशवीर के पास केवल बी टेक था।
मामले को लेकर जांच अधिकारी रिटायर्ड जिला और सत्र न्यायाधीश आरपी भसीन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यशवीर सिंह के प्रारंभिक नियुक्ति में जाली दस्तावेजों का आधार था। ऐसे में उनके द्वारा हासिल की गई नियुक्ति और बाद की पदोन्नति भी अवैध हो जाती हैं।