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Parmatmanand Maharaj: ‘घटोगे तो कटोगे’, अब धर्मनगरी कुरुक्षेत्र से संतों ने दिया नया नारा, जानें क्यों बोली यह बात

• LAST UPDATED : December 11, 2024

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Parmatmanand Maharaj: अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के तहत आयोजित अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन में देशभर से आए संतों ने सनातन धर्म और संस्कृति की रक्षा को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। इस सम्मेलन में विशेष रूप से युवाओं को प्राचीन संस्कृति से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया गया। संतों ने कहा कि यदि समय रहते इस दिशा में कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में हिंदू समाज में भारी गिरावट आ सकती है, और वर्ष 2050 तक हिंदू समाज अल्पसंख्यक हो सकता है।

घटोगे तो कटोगे’ का संदेश

संतों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक रहोगे तो सेफ रहोगे’ और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘बटोगे तो कटोगे’ जैसे नारों से प्रेरित होकर एक नया नारा दिया – ‘‘घटोगे तो कटोगे।’’ इस नारे का मतलब था कि अगर हम अपनी संस्कृति और धर्म को धीरे-धीरे घटित होने देंगे, तो उसका अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। संतों ने कहा कि मंदिरों और तीर्थों का सही तरीके से संरक्षण, उनका विकास और सफाई व्यवस्था पर ध्यान देना जरूरी है ताकि युवा पीढ़ी को सही दिशा मिल सके और वे अपने धर्म और संस्कृति से जुड़ सकें।

संस्कृति की रक्षा के लिए सरकार से अपील

हिंदू आचार्य महासभा के महासचिव परमात्मानंद महाराज ने बताया कि भारत में प्राचीन काल से मंदिरों में कला, साहित्य और संस्कृति का संरक्षण होता था, लेकिन विदेशी आक्रमणों और गुलामी के दौरान इन मंदिरों और परंपराओं को बहुत नुकसान पहुंचा। अब समय आ गया है कि मंदिरों के महत्व को फिर से समझा जाए और उनका विकास किया जाए। संतों ने सरकार से आग्रह किया कि वह इस दिशा में ठोस कदम उठाए और मंदिरों की स्थिति में सुधार लाए।

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बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा की चिंता

इस सम्मेलन में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही घटनाओं पर भी चर्चा हुई। स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं और उनके मंदिरों की सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण है। इसके लिए केवल शस्त्रों का इस्तेमाल नहीं, बल्कि एक सामूहिक प्रयास की जरूरत है। संतों ने कहा कि हर मंदिर और तीर्थ स्थल से हिंदू समुदाय के लोगों को प्रार्थना करनी चाहिए, ताकि वहां के हिंदू समाज को सुरक्षा का एहसास हो सके।

युवाओं को जागरूक करना जरूरी

संतों का कहना था कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए युवाओं को इस मार्ग पर लाना जरूरी है। उनका मानना था कि मंदिरों में युवा पीढ़ी की रुचि बढ़ानी होगी और उन्हें प्राचीन संस्कृति और संस्कारों से जोड़ना होगा। अगर यह पहल नहीं की जाती, तो आने वाले समय में सनातन धर्म की धारा कमजोर हो सकती है।
अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन ने इस बात को बताया किया कि केवल मंदिरों के पुनर्निर्माण से नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करने और युवा पीढ़ी को सही दिशा देने से ही सनातन धर्म और संस्कृति की रक्षा की जा सकती है।

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