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Kumari Selja : आसान नहीं पर्सनल लोन का भुगतान, ब्याज के अलावा और भी देने पड़ते है चार्जेज, सैलजा ने लगाए केंद्र सरकार पर लगाए कई गंभीर आरोप  

BY: • LAST UPDATED : January 11, 2025
  • सैलजा का आरोप केंद्र सरकार ने प्राइवेट बैंकों को ग्राहकों को लूटने की दे रखी है छूट
  • मध्यम वर्ग के ग्राहकों का सबसे ज्यादा होता है आर्थिक-मानसिक शोषण

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Kumari Selja : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि केंद्र सरकार ने प्राइवेट बैंकों को ग्राहकों को लूटने की छूट दे रखी है, मध्यम वर्ग के ग्राहकों का सबसे ज्यादा  आर्थिक-मानसिक शोषण किया जाता है। पहले तो ये बैंक प्रलोभन देकर ग्राहकों को आकर्षित करते है बाद में शोषण-उत्पीड़न शुरू हो जाता है। पर्सनल लोन का भुगतान आसान नहीं होता, इन बैंकों में ब्याज के अलावा और चार्जेज भी देने पड़ते है जिसके बारे में ग्राहकों को पहले नहीं बताया जाता। सरकार को इस दिशा में जनहित में कदम उठाते हुए ग्राहकों को लूटने पर अंकुश लगाना चाहिए।

Kumari Selja : सालाना ब्याज के साथ साथ प्रोसेसिंग फीस, जीएसटी भी देनी पड़ती

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि जब भी किसी व्यक्ति खासकर मध्यमवर्गीय को पैसों की जरूरत पड़ती है तो वह सबसे पहले पर्सनल लोन के बारे में सोचता हे। बैंक की ओर से पर्सनल लोन एक निश्चित ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाता है, पर ब्याज दर के अलावा भी कई ऐसे चार्जेज होते हैं जो पर्सनल लोन लेते समय देने पड़ते हैं। बैंकों की पर्सनल लोन पर सालाना ब्याज के साथ-साथ प्रोसेसिंग फीस, जीएसटी भी देनी पड़ती है।

लोन कैंसिल भी हो जाता है तो इसका रिफंड नहीं मिलेगा

कुमारी सैलजा ने कहा कि ज्यादातर बैंकों में पर्सनल लोन पर ब्याज दर के अलावा 05 प्रतिशत प्रोसेसिंग फीस, 05 रिपेमेंट चार्ज लिया जाता है। प्रोसेसिंग फीस नॉन रिफंडेबल होती है, यानि अगर लोन कैंसिल भी हो जाता है तो इसका रिफंड नहीं मिलेगा यह प्रोसेसिंग फीस लोन अमाउंट और 18 फीसदी जीएसटी के साथ होता है। वहीं ग्राहक लॉक इन पीरियड से पहले लोन अमाउंट रिपेमेंट करते हैं तो आउटस्टैंडिंग बैलेंस के साथ 18 फीसदी जीएसटी का और 05 फीसदी तक प्री-पेमेंट चार्ज भी लिया जाता है।

बैंक इसके लिए चार्ज वसूल करता

कुमारी सैलजा ने कहा कि जब कोई व्यक्ति पर्सनल लोन के लिए अप्लाई करता हैं और वह अप्रूव हो जाता है या डिस्बर्सल हो जाता है और व्यक्ति बाद में उसे कैंसिल कर देता हैं तो इसके लिए भी चार्ज वसूल किया जाता है।  इसके लिए कई बैंक तीन हजार रुपये के साथ 18 फीसदी जीएसटी का चार्ज लगाते हैं। पर्सनल लोन लेने के बाद अगर आप उसकी री-पेमेंट को स्वैपिंग कराते हैं तो बैंक इसके लिए चार्ज वसूल करता हैं। जब भी व्यक्ति  लोन री-पेमेंट की स्वैपिंग कराता हैं तो हर बार उससे 500 रुपये के साथ 18 फीसदी जीएसटी रीपेमेंट मोड स्वैपिंग चार्ज के तौर पर लिया जाता है।

बैंक ग्राहक का जमकर आर्थिक शोषण करता

यानि बैंक ग्राहक का जमकर आर्थिक शोषण करता है। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं पर्सनल लोन से जुड़े डुप्लीकेट डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ने पर लोन के स्टेटमेंट्स, एनओसी , क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों को रि-इश्यू करने आदि के लिए भी 50 रुपये से लेकर 500 रुपये तक के चार्जेज देने पड़ते हैं साथ ही जीएसटी भी अलग से देना पड़ता है। इस प्रकार के चार्जेज एजुकेशन लोन पर भी देने पडते है। कुमारी सैलजा ने कहा कि केंद्र सरकार को बैंकों हितों के बारे में सोचने से पहले लोगों खासकर मध्यमवर्ग के बारे में ज्यादा सोचना होगा क्योंकि यही वर्ग सबसे ज्यादा शोषित है, पीड़ित है।

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