इशिका ठाकुर, Haryana News (Ratnavali Festival): युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा आयोजित रत्नावली महोत्सव में देर सायं आडिटोरियम हॉल में हास्य कवियों ने अपने हास्य कविताओं के माध्यम से दर्शकों को खूब गुदगुदाया। इससे पहले कार्यक्रम के मुख्यातिथि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा व कुवि कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा ने हास्य कवि दिनेश रघुवंशी, महेंद्र शर्मा, वीएम बेचैन, मास्टर महेन्द्र तथा अशोक बत्तरा को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
दिल्ली से आए हास्य कवि महेंद्र शर्मा ने रत्नावली का हिस्सा बनने के लिए कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा का आभार प्रकट किया। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कलाकार हुनरबाज को क्या चाहिए, कि न जाने किसलिए ऐसा यहां हर बार होता है उन्हें कांटे मिले जिनको गुलों से प्यार होता है, विरासत में नहीं मिलता किसी को भी हुनर प्यारो जो दिल के खून से लिखे वहीं फनकार होता है। चांद न मिले तो सितारों का मजा ले-, बाहर निकल के बाहर की बहारों का मजा ले, अगर चाहता है कि आंखों की रोशनी कम न हो तो बाहर के नजारों का मजा ले। वो बावली इश्क में कमाल कर गई इजहार करना था एक को वो सैंड टू आॅल कर गई। दिखने में दिखती है चाहे उम्र 65 की भीतर से फिर भी जवानी बरकरार है प्यार का हक नौजवानों को ही नहीं बूढ़ा भी तो हकदार है।
सबसे पहले झज्जर से आए हास्य कवि मास्टर महेन्द्र ने हास्य विनोद करते हुए कहा कि जब कैमरा मैन आए तो पोजिशन ले लेनी चाहिए। कैमरा मैन वही बनता है जो दूसरो के घर तांक झांक करता है। कोई घर में फंक्शन हो तो सबसे पहले कैमरामेन आता है। बेइज्जती भी कैमरामैन करवाते हैं। उन्होंने किस्सा सुनाया शादीशुदा मांग क्यूं भरती है, ताकि सामने वाले को पता लग सके कि प्लाट की रजिस्ट्री हो चुकी है पर पुरुष मांग क्यों नहीं भरते क्योंकि शामलात जमीन की रजिस्ट्री नहीं होती, तीन गूदड़ी, दादी का घाघरा आदि अनेक हास्य व्यंग्य से भरपूर किस्से सुनाए जिस पर उन्होंने खूब वाह-वाह लूटी।
भिवानी से हास्य कवि वीएम बेचैन ने अजीब सी हालत है तेरे ते दिल लगाने के बाद मन्नै भूख कौनी लागती खाना खान के बाद और मेरे पास चार समोसे थे जिने मैं खा गया दो तेरे आन ते पहले दो तेरे जान के बाद पर खूब तालियां बटोरी। चाकू से हाथ पर डार्लिंग का नाम गलत लिखा गया, किसे के कम किसे के ज्यादा खुड़के कर राखे से मोहब्बत ने हर मानस के बुडके भर राखे से, कोई साची नहीं बतावे तो उसकी अपनी मर्जी वरना जिंदगी ने कान के नीचे जिंदगी सबके धर राखे, हर रिश्ता वफादारी चाहेवे से आदि अनेक हास्य कविताओं के माध्यम से सबका मनोरंजन किया।
सोनीपत से हास्य व्यंग्य के बड़े कवि अशोक बतरा ने बताया कि उन्होेंने 43 वर्ष पहले कुवि से एमफिल में दाखिला लिया था और आज भी विश्वविद्यालय पहले ही की तरह जवान है। व्यंग्य करते हुए उन्होंने कहा कि निर्मिति का अरमान है शिक्षक होता बहुत महान शिक्षक अर्जुन जैसा शिष्य मिले तो स्वयं कृष्ण भगवान है शिक्षक, ससुराल में साली नहीं रही, पत्नी के पर्यायवाची दारा, बेगम, वधू बताए। आदमी के गृह जब भारी होते आदि अनेक व्यंग्य रचनाएं सुनाई।
फरीदाबाद से हास्य कवि दिनेश रघुवंशी ने वीर शहीदों को याद करते हुए कहा कि हमेशा तन गए आगे जो तोपों के दहानों के, कोई कीमत नहीं होती क्या प्राणों की जवानों के, बडे लोगों की औलादें तो कैंडल मार्च करती हैं जो अपने प्राण देते हैं वो बेटे हैं किसानों के गाकर सबको तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया। वतन के वास्ते उसको इरादे देख फौलादी, कहा बेबे ने मेरे लाल अब तो तू कर ले शादी, दुल्हन तो लाउंगा पर नाम उसका होगा आजादी आदि अनेक देशभक्ति से ओत-प्रोत कविता सुनाकर खूब वाह-वाह लूटी। मंच संचालन डॉ. विवेक चावला ने किया।
इस मौके पर कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा, डॉ. चंद्र त्रिखा, अनिता कुंडू, प्रो. शुचिस्मिता, डॉ. आरपी सैनी, डॉ. महासिंह पूनिया, डॉ. दीपक राय बब्बर, डॉ. अनिल गुप्ता, डॉ. हरदीप जोशी, डॉ. गुरचरण सिंह सहित शिक्षक, विद्यार्थी व दर्शक मौजूद रहे।
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