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Political Tussle in Devi Lal Family : सत्ता और वर्चस्व की जंग में आमने-सामने देवीलाल परिवार की कई पीढ़ी

• LAST UPDATED : June 14, 2023
  • राजनीतिक जंग में पड़ पौत्र, पौत्र और बेटे आमने-सामने

  • चाचा-भतीजे भी एक दूसरे पर हमलावर तो भाई-भाई में भी  छिड़ी जुबानी जंग

डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज), Political Tussle in Devi Lal Family, चंडीगढ़ : हरियाणा में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम दलों ने अपनी कमर कस ली है। प्रदेश के बड़े राजनीतिक घराने भी लगातार सत्ता में बने रहने या इसमें वापसी के लिए तमाम प्रयास कर रहे हैं। प्रदेश के मुख्य राजनीतिक घरानों में से एक पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल परिवार के तमाम लोग भी सियासी गलियारों में अपनी चहलकदमी बढ़ा रहे हैं।

देवीलाल का परिवार पिछले कुछ समय से कई खेमों में बंटा हुआ है। सत्ता की लड़ाई में परिवार के लोग अलग-अलग दलों से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। कुछ सत्ता में हैं तो कुछ सत्ता में आने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। सत्ता की इस लड़ाई में देवीलाल के पड़ पौत्र, पौत्र और बेटे आमने-सामने हैं और राजनीतिक फायदे के लिए एक-दूसरे पर निरंतर हमलावर हैं।

जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, सबकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा बलवती होती जा रही है और वर्चस्व की जंग में एक-दूसरे पर हमला बोलने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा। बता दें चौधरी देवीलाल के चार बेटे और एक बेटी थी। सबसे बड़े बेटे हैं ओमप्रकाश चौटाला। इसके बाद प्रताप चौटाला, रणजीत सिंह चौटाला और जगदीश चौटाला हैं। ओपी चौटाला और रणजीत चौटाला तो अब तक सक्रिय हैं और राजनीति में अपनी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

चाचा रणजीत और भतीजा अभय आमने-सामने

रानियां के बणी गांव में परिवर्तन यात्रा के दौरान जब अभय चौटाला ने अपने चाचा कैबिनेट मिनिस्टर रणजीत चौटाला को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति स्वर्गीय चौधरी देवीलाल से रिश्ता नहीं निभा सका, वह लोगों के साथ अपना रिश्ता क्या निभाएगा। उन्होंने देवीलाल की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया और सत्ता के नशे में वर्करों को अपमानित करने का प्रयास कर रहा है। हमारी लड़ाई मंत्री पद की नहीं है, बल्कि मुख्यमंत्री की है। सरकार व नुमाइंदे की जिम्मेवारी बनती है कि वह प्रदेश व हलके में भाईचारे का माहौल बनाने का काम करें, लेकिन यहां तो ऐसे लोग चुनकर आ गए हैं जो सारा दिन भाईचारा तोड़ने में लगे रहते हैं।

वहीं इसको लेकर रणजीत ने अभय पर हमलावर होते हुए कहा कि चौधरी देवीलाल का सुपुत्र हूं। जब अभय के पिता ओमप्रकाश हांगकांग से लौटे थे तो अगले दिन चौधरी देवीलाल ने कहा कि ओमप्रकाश मेरा बेटा नहीं है। मेरे बारे में उन्होंने कभी कुछ नहीं कहा है। बणी सरपंच के मामले में मुख्यमंत्री से विधानसभा में माफी मंगवाने के अभय सिंह के बयान पर बिजली मंत्री ने कहा कि सदन में कोई व्यक्ति किसी को अपमानित नहीं कर सकता। अभय ऐसा कुछ करने की कोशिश करेंगे तो स्पीकर उन्हें बाहर कर देंगे। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा सत्र में स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने अभय को नेम कर सदन से बाहर करवा दिया था।

जजपा और रणजीत में सामंजस्य, दोनों की अभय से नहीं बनती

वहीं यह भी बता दें कि रणजीत सिंह को निर्दलीय होने के बाद भी भाजपा ने अपने कोटे से कैबिनेट मिनिस्टर बनाया और उनको बिजली व जेल जैसे महत्वपूर्ण महकमे दिए। वहीं भाजपा से गठबंधन के बाद दुष्यंत डिप्टी सीएम बने। रणजीत की सरकार में खासी पूछ है और खुद सीएम मनोहर लाल उनकी बात को तवज्जो देते हैं। वहीं दुष्यंत के डिप्टी होने के चलते वो खुद सरकार में पावर पिलर हैं। ऐसे में दोनों के एक परिवार से होने व सत्ता में होने से सामंजस्य व संतुलन होना लाजिमी है।
उधर, अभय चौटाला जब भी सरकार को घेरते हैं तो दोनों का सरकार के पक्ष में बोलना लाजिमी है। सदन में कई दफा रणजीत सिंह और अभय चौटाला में बहस हो चुकी है। एक बार तो रणजीत सिंह ने अभय चौटाला के खिलाफ प्रिविलेज मोशन लाने की भी मांग की थी। हालांकि दोनों के बीच ज्यादा गर्मागर्मी तो कम ही देखने को मिली, लेकिन तल्खी कई दफा महसूस की गई है।

डिप्टी सीएम, उनकी मां, भाई व पिता के साथ अभय की बढ़ती तल्खी

इनेलो में विभाजन के बाद जजपा अस्तित्व में आई। इसके बाद से अभय चौटाला और अजय चौटाला का परिवार एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। पिता ओपी चौटाला छोटे बेटे अभय के साथ हैं। अभय की अपने बड़े भाई अजय चौटाला, उनकी पत्नी नैना चौटाला व बेटों दुष्यंत और दिग्विजय के साथ कतई नहीं पटती।  शायद ही कोई ऐसा दिन जाता हो जब दोनों तरफ से एक-दूसरे पर हमला नहीं बोला जाता।

सदन के अंदर और बाहर दोनों ही जगह अभय और दुष्यंत में जमकर खींचतान देखने को मिली है। कई दफा अभय ने नैना चौटाला पर जुबानी हमला बोला। कुल मिलाकर दोनों ही पक्ष सत्ता और वर्चस्व की इस लड़ाई में एक-दूसरे को राजनीतिक रूप से गर्त में धकेलने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे।

विधानसभा में चौटाला परिवार से 5 विधायक

वहीं रानियां विधानसभा सीट से देवीलाल के बेटे निर्दलीय रणजीत सिंह जीते और मंत्री बने। जननायक जनता पार्टी के प्रमुख दुष्यंत चौटाला ने उचाना कलां से जीत दर्ज की है, जबकि उनकी मां नैना चौटाला बाढड़ा विधानसभा सीट से निर्वाचित हुई हैं। नैना चौटाला पिछले विधानसभाचुनाव में डबवाली से इनेलो की टिकट पर जीती थीं। वहीं इनेलो के अभय चौटाला ऐलनाबाद से विधायक हैं।

किसान आंदोलन के समर्थन में विधायकी से इस्तीफा दिया और बाद उपचुनाव जीतकर फिर विधानसभा पहुंचे। देवीलाल परिवार के एक और सदस्य अमित सिहाग कांग्रेस से विधायक हैं, उनके पिता डॉक्टर केवी सिंह कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री के ओएसडी भी रह चुके हैं। डॉक्टर केवी सिंह के पिता का नाम गणपत राम था, वो साहब राम के बेटे थे।। इन्होंने देवी लाल के सबसे छोटे पुत्र जगदीश के पुत्र आदित्य चौटाला को हराया।

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