इंडिया न्यूज नई दिल्ली।
Pollution Solution दिल्ली सहित भारत के कई राज्यों में पॉल्यूशन बढ़ता ही जा रहा है। इसको लेकर कई तरह के प्रयास भी किए जा रहे है कि कैसे भी हो पॉल्यूशन खात्मा किया जाए। अगर पूरी विश्व की बात कि जाए तो पॉल्यूशन आज आज एक विकराल समस्या बन चुका है। कई देशों मे पॉल्यूशन से निटपटने इससे निपटने के लिए कई देश नए-नए तरीके अपना रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर सहित समूचे उत्तर भारत में वायु प्रदूषण हमेशा सर्दी शुरू होते ही जानलेवा हो जाता है। दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के बाद से हवा में प्रदूषण गुणवत्ता बहुत खराब हो जाती है। गंगा के मैदानी इलाकों में बढ़ते प्रदूषण ने हवा को जहरीला बना दिया है। पॉल्यूशन के खात्मे को लेकर कई देशों ने अपने-अपने तरीके अपनाए हैं। आइए जाने वो तरीके।
यूएन ने भी बीजिंग के एयर पॉल्यूशन से निपटने के तरीके को अपनाकर दुनिया के कई देश लाभ उठा सकते हैं। दरअसल, वहां इंधन के तौर पर कोयले के प्रयोग और अधिक गाड़ियां होने की वजह से प्रदूषण फैल रहा था। बीजिंग ने कुछ प्रमुख प्रदूषणकारी तत्वों जैसे कार्बन मोनोक्साइड और सल्फर डाइक्साइड के हवा में स्तर को नियंत्रित किया। बीजिंग ने कोयले से जलने वाले बॉयलर को नियंत्रित किया। घर-घर तक साफ घरेलू र्इंधन पहुंचाने की व्यवस्था की। उद्योगों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित किया। सख्त कानून बनाए। जिसके कारण पीएम लेवल 35% कम हो गया।
फ्रांस की राजधानी पेरिस के कई जिलों में वीकएंड पर घर से कारें निकालने की सख्त पाबंदी है। कई इलाकों में आड ईवन फॉर्मूला लागू रहता है तो कई बार जब प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है तो वहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट फ्री कर दिया जाता है। यहां के सीन नदी के किनारे सड़क को कार फ्री घोषित किया गया है। इन सारे उपायों से पेरिस ने अपने यहां के प्रदूषण पर काबू पाया है।
नीदरलैंड में प्रदूषण कम करने के लिए साइकिल के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्ष 2025 के बाद पेट्रोल-डीजल कारों की बिक्री पर रोक लगाने का विचार चल रहा है। इसकी जगह यहां हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली कारें उतारी जाएंगी।
जर्मनी के शहर फ्रीबर्ग में 500 किलोमीटर लंबा बाइक रूट बनाया गया है। इस रूट पर ट्राम चलती है। यहां कारों की र्पाकिंग काफी महंगी कर दी गई है, ताकि लोग पर्सनल कारें न रखें। जर्मनी की तरह डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में कार के बदले बाइक रखने के लिए प्रेरित किया जाता है। कोपेनहेगेन में लोगों की जनसंख्या से ज्यादा साइकिलों की संख्या है। यहां के बड़े इलाके में गाड़ियां रखने पर पाबंदी है। यहां 2025 तक अपने शहर को कार्बन न्यूट्रल करने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा नार्वे में कार फ्री जोन बन रहे हैं।
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