इंडिया न्यूज, Haryana (Death anniversary of Baba Jahar Giri Maharaj) भिवानी : श्रीश्री 1008 परमहंस बाबा जहरगिरी महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर स्थानीय हालुवास गेट स्थित सिद्धपीठ बाबा जहरगिरी आश्रम में 31 दिसंबर को वार्षिक भंडारे का आयोजन किया जाएगा। इस वार्षिक भंडारे की खास बात यह होगी कि भंडारे में बनने वाला संपूर्ण प्रसाद गंगाजल में बनेगा, जिसके लिए सवा लाख लीटर गंगाजल हरिद्वार से मंगवाया गया है।
यह जानकारी देते हुए आश्रम के प्रवक्ता सुरेश सैनी ने बताया कि सवा लाख लीटर गंगाजल स्थानीय हालुवास गेट स्थित सिद्धपीठ बाबा जहररिगरी आश्रम में पहुंच चुका है तथा प्रसाद बनने का कार्य शुरू हो चुका है। उन्होंने बताया कि वार्षिक भंडारे में देश भर से साधु-संत एवं श्रद्धालुगण पहुंचेंगे तथा प्रसाद ग्रहण करेंगे। सैनी ने बताया कि बाबा जहरगिरी की स्मृति में हर वर्ष इस भंडारे का आयोजन किया जाता है तथा यह भंडारा उत्तर भारत का सबसे अधिक भंडारा होता है।
इस मौके पर आश्रम के पीठाधीश्वर अंतर्राष्ट्रीय श्रीमहंत जूना अखाड़ा डॉ. अशोक गिरी महाराज ने गंगाजल का महत्व बताते हुए कहा कि गंगाजल को सबसे पवित्र माना जाता है। गंगा का पानी गंगा जल हर तरह के कामों में काम आता है, चाहे वह पूजा हो या फिर घर की शुद्धि आदि के लिए। वैदिक ग्रंथों में शुभ कामों में गंगा जल का प्रयोग होता हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि मां गंगा में नहाने व पूजा आदि करने से कई तरह के पाप कटते हैं।
गंगा के पानी में कई प्रकार के औषधिय गुण पाए जाते हैं, जिसमें नहाने से कई प्रकार के रोग खत्म हो जाते हैं। गंगा जल को हमेशा घर पर रखने से सुख और संपदा बनी रहती है। इसलिए एक पात्र में हमेशा गंगा जल भरकर रखें। श्रीमहंत ने कहा कि सर्वमान्य तथ्य है कि युगों पहले भागीरथ जी गंगा की धारा को पृथ्वी पर लाये थे, भागीरथ जी गंगा की धरा को हिमालय के जिस मार्ग से लेकर मैदान में आए वह मार्ग जीवनदायनी दिव्य औषधियों व वनस्पतियों से भरा हुआ है। इस कारण भी गंगा जल को अमृततुल्य माना जाता है।
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