पलवल/ऋषि भारद्वाज
पलवल में किसानों का धरना प्रदर्शन तीन महीने पूरे हो चुके हैं. लेकिन किसान कृषि कानूनों को रद्द कराये बिना और एमएसपी पर कानून बनवाये बिना घर वापसी को तैयार नहीं हैं. जैसे-जैसे किसान आंदोलन लंबा खिंचता जा रहा है किसान नेता भी लगातार अपनी रणनीति बदलते जा रहे हैं. आज पलवल के धरना स्थल पर चौपाई व रागनी प्रतियोगिता का आयोजन किया। धरना स्थल पर हजारों की संख्या में किसान भी चौपाई व रागनियां सुनने को पहुंचे । आपको बता दें कि दिन के समय रोजाना धरना स्थल पर सैकडों की संख्या में किसान धरने पर पहुंचते हैं और जनसभा किसान नेता कृषि कानूनों का विरोध करते हैं वहीं धरना स्थल पर आज कई गावों की चौपाई टीमों ने अपने -अपने जौहर दिखाकर लोगों का मनोरंजन को किया ही साथ ही कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार पर खूब निशाना साधा। सभा कलाकारों ने कृषि कानूनों को रद्द कर एमएसपी पर कानून बनाने की मांग की और किसानों से अपील करते हुए कहा कि जब तक कानून वापिस नहीं होते हैं और एमएसपी पर कानून नहीं बनता है किसान लगातार आंदोलन करते रहें एक दिन निश्चित तौर पर सरकार झुकेगी और किसानों की जात होगी। चौपई देखने के लिये सैकडों की संख्या में महिलाएं भी धरना स्थल पर पहुंची और गीत -संगीत के कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इस मौके पर किसान नेताओं और 52 वालों के प्रधान अरूण जेलदार ने कहा कि किसान आंदोलन को तीन महीने पूरे होने को हैं और शांतिपूर्वक यह आंदोलन चल रहा है इस तरह के चौपाई कार्यक्रमों से समाज में जागरूता लाई जाती है वैसे तो किसान कृषि कानूनों के नुकशानों को लेकर पहले से ही जागरूक हैं लेकिन हम चाहते हैं कि किसी न किसी तरह से किसानों की आवाज सरकार तक पहुंचे और सरकार अपनी जिद छोड़कर तुरंत कृषि कानूनों को रद्द करे और एमएसपी परल कानून बनाये ताकि किसान अपने घरों को वापिस लौट जायें। चौपाई कार्यक्रम में कलाकारों ने अपनी प्रस्तुती से लोगों का खूब मनोरंजन किया है। किसानों का आंदोलन मजबूती के साथ चल रहा है वहीं सरकार भी अपने नेताओं को किसानों के पास भेज रही है ताकि किसानों को बहकाया जा सके कि कृषि कानून किसानों के लिये फायेमंद हैं लेकिन उनकी जनसभाओं में किसान नहीं भाजपा के कार्यकर्ता पहुंच रहे हैं। सरकार के लोगों द्वारा किसानों गुमराह नहीं करना चाहिये। कृषि कानूनों की वजह से भाजपा नेताओं का जगह-जगह विरोध हो रहा है। वहीं उन्होने बताया कि अभी हमारे इलाके में किसानों द्वारा 100 रुपये किलो दूध बेचने का कोई फैसला नहीं लिया है। यहां संयुक्त किसान मोर्चा के आदेश पर पहले पालों के पंचों की मीटिंग की जाती हैं फिर कोई फैसला सरकार पर दबाव बनाने के लिये लिया जाता है पिछले दिनों खड़ी फसलों को आग लगाने की बात कही गई लेकिन पलवल जिले में किसी भी किसान ने फसलों को आग नहीं लगाई न ही खड़ी फसलों को जोतने का काम किया। क्योंकी फसलों को आग लगाना अन्न का अपमान होता है हमने यहां धरना स्थल पर फैसला लिया था कि वो सरकार के विरोध में अन्न का अपमान नहीं करेंगे बल्कि अपनी फसलों को गऊशालाओं में दान कर देंगे या गरीबों को बांट देंगे, तालाबों में मछलियों को खिला देंगे लेकिन सरकार का बेचेंगे नहीं। यहां का धरना 52 पालों के नेत्रत्व में चल रहा है। वहीं उन्होने कहा कि जब तक कृषि कानून रद्द नहीं होते एमएसपी पर कानून नहीं बनता किसान घर वापसी नहीं करेगा और आने वाले दिनों में निश्चित तौर पर किसानों की जीत होगी और आगे भी इसी तरह अलग-अलग तरह के कार्यक्रम सरकार के विरोध में किसानों के धरने पर आयोजित किये जाते रहेंगे।