India News Haryana (इंडिया न्यूज), Russia-Ukraine War – Ravi Matour : रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच लापता चल रहे 22 वर्षीय युवा रवि मटौर की करीब पांच माह बाद परिवार के लोगों को मौत की खबर मिली है। दुख और बेबसी का पहाड़ परिवार पर उस समय टूट पड़ा, जब दूतावास ने शव को परिजनों के सुपुर्द करने के लिए पहचान के तौर पर युवा की माता की डीएनए रिपोर्ट मांगी है। जबकि वे दुनिया में नहीं है। पिता के बेहद बीमार होने की स्थिति में बड़े भाई अजय मौण डीएनए के लिए आगे आए हैं। सुरजेवाला ने ट्विटर हैंडल पर भाजपा सरकार को घेरा।
जानकारी मुताबिक हरियाणा के कैथल जिले के गांव मटौर के छह युवा जिन्हें एजेंट ने अच्छी नौकरी का लालच देकर युवा रूस यूक्रेन युद्ध में धकेले दिया था। उनमें से एक युवक रवि की मौत की खबर आई है, जिसकी जानकारी मास्को एंबेसी ने ईमेल के जरिए परिवार को दी है। बताया जा रहा है कि हरियाणा के कैथल जिले के गांव मटौर का रवि रूस यूक्रेन युद्ध में मारा गया है। रवि 12 मार्च के बाद से युद्ध के मैदान में लापता था, जिसकी तलाश में घर वाले सरकार से गुहार लगा रहे थे। अब ईमेल के जरिए इस मौत की पुष्टि हुई है और शव के मिलान के लिए डीएनए टेस्ट रिपोर्ट मांगी गई है।
रवि खेती की जमीन बेचकर अच्छे रोजगार की तलाश में रूस गया था। जिसे एजेंट ने सेना में ट्रांसपोर्ट के काम का हवाला दिया था। लेकिन वहां पर उससे जबर्दस्ती रशियन भाषा में कॉन्ट्रैक्ट साइन करने का दबाव बनाया गया और बात न मानने पर दस साल की जेल का डर दिखाया गया और 15 दिन की ट्रेनिंग देकर फ्रंट लाइन में यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उतार दिया।
ऑडियो में डरे और सहमे रवि ने अपने परिवार को एक ऑडियो मैसेज भेजा, जिसमें वो चारों तरफ से फसने की बात कह रहा है। वहीं रवि ने अपने भाई अजय को 12 मार्च को आखिरी बार मैसेज कर बताया था कि वो युद्ध में जा रहा है और बात करने के लिए उन्हें एक मिनट का समय मिला है। जिसके बाद से रवि लापता बताया जा रहा था। शुक्रवार को आई ईमेल ने रवि के परिवार को झकझोर कर रख दिया।
मेरा भाई रवि 13 जनवरी को रूस गया था। एजेंट ने उसे ट्रांसपोर्ट का काम दिलवाने के लिए उसे रूस भेजा था। उसको भेजने के लिए हमने एक एकड़ खेती की जमीन बेची है। उसे भेजने के लिए हमारे साढ़े 11.50 लाख रुपए लगे थे। एजेंट ने ट्रांसपोर्ट की बजाए सेना में भर्ती करवा दिया। मेरे भाई के साथ जोर जबरदस्ती करके रसियन भाषा में कॉन्ट्रैक्ट साइन करवा लिया। कुछ दिन बाद हमने देखा कि वो रसियन सेना की वर्दी पहने हुए था। उसे 15 दिन की ट्रेनिंग करवाई गई। उसके बाद उसे फ्रंट लाईन पर ले जाया गया।
12 मार्च को हमारी उससे बात हुई उसके बाद हमारा उससे संपर्क टूट गया। कुछ दिन पहले मेरे पास मॉस्को एंबेसी से फोन आया और बताया कि मेरे भाई रवि की मौत हो चुकी है। मैंने उनसे लिखित में मांगा। जिसको लेकर मैने पिछले सप्ताह उनसे लिखित में उनकी मौत की पुष्टि का जवाब मांगा। कल उनका जवाब आया कि रवि की मौत हो चुकी है। उसके पासपोर्ट नंबर से उसकी मौत की पुष्टि हुई है। हमें हमारे भाई की डेड बॉडी चाहिए। हमारे पास उसकी डेड बॉडी लाने के पैसे नहीं है। मोदी सरकार से हमारी अपील है कि मेरे भाई के शव को भारत लाया जाए।
वहीं रणदीप सुरजेवाला ने एक्स हैंडल पर लिखा कि रूस में कलायत, कैथल निवासी रवि मटौर की मौत की खबर हृदयविदारक है। ये हरियाणा की भाजपा सरकार के निकम्मेपन व मोदी सरकार की आपराधिक अनदेखी का जीता जागता सबूत है। क्या इससे भी दुःख की कोई बात हो सकती है कि 7 अप्रैल, 2024 को मैंने विदेश मंत्री, भारत सरकार को रवि मटौर व अन्य रूस में फंसे युवाओं बारे पूरी स्थिति की लिखित जानकारी दें दी थी।
उनकी घर वापसी की गुहार लगाई थी और आश्वासन भी दिया गया था पर फिर भी ये दुखद दिन देखना पड़ा? क्या ये सही नहीं कि भाजपा ने ये प्रचारित किया कि प्रधानमंत्री अपनी रूस यात्रा के दौरान वहां के राष्ट्रपति पुतिन से हमारे बच्चों की घर वापसी की बात कर आए हैं और ये जल्द से जल्द हो जाएगा?
उन्होंने कहा कि क्या ये सही है कि हम तो मोदी सरकार के दरवाजे खटखटाते रहे पर मनोहर लाल खट्टर और नायब सैनी “मौन” धारण करते रहे? ये लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे, जबकि हरियाणा के बच्चे आखिरी सिसकियां लेते रहे? क्या हरियाणा सरकार, खट्टर व सैनी की कोई जिम्मेवारी नहीं? क्या भाजपा के विधायक व सांसद की कोई जबाबदेही नहीं?
क्या अब हरियाणा सरकार व नायब सैनी रवि मटौर का पार्थिव शरीर वापस कैथल लाने का इंतजाम करेंगे? क्या परिवार के आंसू पोछेंगे? क्या परिवार को आर्थिक सहायता व राहत देंगे? क्या अपने मंत्री को रुस भेजकर रवि को वापस लाएंगे? या फिर अखबार में इश्तेहार दें, चंद दिनों की सरकार पर इतराने का काम ही करते रहेंगे? जान लें कि जनता आपको माफ नहीं करेगी।
इस संबंध में उन्होंने शनिवार को भारतीय दूतावास मास्को रूस को पत्र लिखा है। इसका जवाब मिलने के बाद ही शव को स्वदेश लाने की कार्यवाही को आगे बढ़ाया जा सकेगा। संकट की घड़ी से घिरे अजय मौण ने बताया कि 13 जनवरी 2024 को रोजगार की तलाश में उनका भाई रवि गांव के अन्य छह युवाओं के साथ विदेश गया था। वहां एजेंट ने उन्हें वाहन चालक की नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया था, लेकिन उसके भाई को रूस-यूक्रेन युद्ध में झोंक दिया गया।
अंतिम बार 12 मार्च को उनका भाई से संपर्क हुआ। उस दौरान उसने बताया था कि 6 मार्च से उन्हें लड़ाई में उतारा गया है। अब दोबारा उन्हें युद्ध क्षेत्र में जाना पड़ेगा। उसके बाद से उनका भाई निरंतर लापता चल रहा था। इसको लेकर उन्होंने स्थानीय प्रशासन से लेकर केंद्रीय विदेश मंत्री तक संपर्क साधा। आखिरकार अब दूतावास से रवि की पासपोर्ट के नंबर का सबूत पेश करते हुए मृत्यु की जानकारी दी गई है।
बताया गया है कि दूतावास ने परिवार के सदस्यों के अनुरोध के अनुसार संबंधित रूसी अधिकारियों से संपर्क साधते हुए रवि के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई है। इसमें रूसी पक्ष ने मौत की पुष्टि की है। शव की पहचान के लिए उन्हें उसके करीबी रिश्तेदारों से डीएनए टेस्ट की जरूरत है।
खासकर उसकी मां से डीएनए टेस्ट की। इसलिए भारत में पंजीकृत अस्पताल/सरकारी अस्पताल से मां का डीएनए परीक्षण कराया जाए और रिपोर्ट मॉस्को में भारतीय दूतावास के साथ साझा की जाए। उपरांत शव की पहचान के लिए रिपोर्ट को संबंधित रूसी अधिकारियों के साथ सांझा किया जाएगा। मृतक रवि के बड़े भाई अजय मौण ने बताया कि उनके पास भाई का शव लाने के लिए कोई संसाधन नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार लगाई है।
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