डॉ. रविंद्र मलिक, India News Haryana (इंडिया न्यूज), Hooda and Manohar Lal’s Reputation: लोकसभा चुनाव होने के बाद सभी दलों की नजरें अब 4 जून को आने वाले चुनावी नतीजों पर हैं। लोकसभा चुनावी दंगल में मुकाबला मुख्य रूप से दो ही दलों सत्ताधारी भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के बीच माना जा रहा है। इस चुनावी रण में कई पार्टियों के दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है और चुनावी हार-जीत के ऊपर ही काफी हद तक उनका राजनीतिक भविष्य निर्भर रहेगा।
इस चुनावी रण में दो विरोधी दलों के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा और राजनीतिक भविष्य दोनों निर्भर कर रहे हैं। भाजपा दिग्गज मनोहर लाल और कांग्रेस हैवीवेट भूपेंद्र सिंह हुड्डा दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने चुनाव जीतने के लिए पूरा जोर लगा रखा है। इस बार के चुनाव में भाजपा की तरफ से कमान मनोहर लाल और कांग्रेस की तरफ से हुड्डा ने संभाल रखी थी। चूंकि दोनों ही दो बार मुख्यमंत्री रहने के चलते राजनीतिक रूप से काफी अनुभवी हैं तो अब चुनावी नतीजों के जरिए एक तरह से उनकी परीक्षा है।
ये किसी से छिपा नहीं है कि अबकी बार कांग्रेस ने पार्टी दिग्गज हुड्डा को खुली छूट दे रखी थी। फिलहाल कांग्रेस में हुड्डा का एकतरफा वर्चस्व दिख रहा है जिसकी झलक टिकट वितरण में भी देखने को मिली। इंडी गठबंधन के तहत एक सीट आम आदमी पार्टी के हिस्से गई तो बाकी 9 सीटों पर कांग्रेस लड़ रही है। अगर उनकी धुर विरोधी रही कुमारी सैलजा की टिकट को छोड़ दें तो बाकी 8 सीटों पर पर हुड्डा समर्थकों को ही चुनावी रण में उतारा गया है। हालांकि इसके चलते एसआरके धड़े को लीड कर रहे कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी की नाराजगी भी सामने आई लेकिन पार्टी हाईकमान ने हुड्डा को ही पूरी कमान दे दी।
उदाहरण के लिए कांग्रेस ने भाजपा छोड़कर आए चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे और हिसार लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद बृजेंद्र सिंह को टिकट नहीं दिया। क्योंकि चौधरी बीरेंद्र सिंह जब कांग्रेस में थे तो उन्हें हुड्डा का विरोधी माना जाता था। इसके अलावा हुड्डा विरोधी खेमे की माने जाने वाली किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को भी पार्टी ने भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से उम्मीदवार नहीं बनाया। ऐसे में अब चुनाव के नतीजों पर हुड्डा के लिए काफी कुछ निर्भर है क्योंकि अच्छी परफोरमेंस रहने की स्थिति में हुड्डा पर पार्टी हाईकमान का विश्वास बढ़ेगा और आशानुरूप परिणाम नहीं रहने पर हुड्डा को विधानसभा चुनाव में झटका लग सकता है।
मनोहर लाल और हुड्डा दोनों ही फिलहाल भाजपा व कांग्रेस में मजबूत चेहरे हैं। उनकी पार्टी में मजबूत स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश में कोई राजनीतिक फैसला लेने से पहले उनकी पार्टी द्वारा उनकी रायशुमारी जरूरी समझी जाती है। ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 में हरियाणा में कांग्रेस और बीजेपी को अपने पूर्व मुख्यमंत्रियों से बहुत उम्मीदें हैं।
कांग्रेस की ओर से भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने चुनाव प्रचार अभियान संभाला तो मनोहर लाल ने बीजेपी के उम्मीदवारों के लिए जमकर पसीना बहाया। इसी कड़ी कांग्रेस ने हरियाणा में टिकट बंटवारे में जहां भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पसंद को अहमियत दी वहीं बीजेपी ने मनोहर लाल की पसंद का ख्याल रखा है। मनोहर लाल जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुराने दोस्त और वफादार हैं तो दूसरी तरफ भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं और गांधी परिवार का भरोसेमंद और करीबी माना जाता है।
बेशक मनोहर लाल को मार्च में मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया, लेकिन मंत्रिमंडल गठन, विस्तार और फिर इसके बाद लोकसभा चुनाव की रणनीति तय करने में उनकी अहम भूमिका रही। एक तरह से कहें तो बेशक नायब सिंह सैनी प्रदेश के सीएम हैं, लेकिन नेपथ्य के पीछे से मनोहर लाल केंद्रीय भूमिका निभा रहे हैं।
भाजपा उम्मीदवारों के नाम फाइनल करने से लेकर उनकी चुनावी प्रचारण संबंधी रणनीति तय करने में मनोहर लाल ने मुख्य भूमिका निभाई। ऐसे में अब कहीं न कहीं मनोहर लाल की प्रतिष्ठा भी लोकसभा चुनाव के नतीजों से जुड़ गई है। अगर परिणाम भाजपा के पक्ष में रहे तो निश्चित तौर हाईकमान की नजर में उनका कद बढ़ेगा लेकिन अगर भाजपा के लिए नतीजे नकारात्मक रहे तो पार्टी दूसरे विकल्पों पर विचार कर सकती है।
दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों में एक बात पूरी तरह से साफ है कि दोनों का अपनी-अपनी पार्टी में एकतरफा होल्ड है और पार्टी में तथाकथित विरोधी धड़े के नेताओं पर दोनों पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और हुड्डा भारी हैं। कांग्रेस में हुड्डा के सामने एसआरके गुट के नेताओं के अलावा चौधरी बीरेंद्र सिंह की स्थिति कमजोर है, कमोबेश ऐसा ही कुछ नजारा भाजपा में पिछले कुछ समय में देखने को मिला है जब पार्टी ने मनोहर लाल के सामने पार्टी के दिग्गज नेताओं ओपी धनखड़, अनिल विज और कैप्टन अभिमन्यु समेत कई अन्य नेताओं को खास तवज्जो नहीं दी। साथ में मनोहर लाल के समर्थकों को ऊंचे ओहदों पर भी बैठाया गया। ऐसे में अब लोकसभा चुनाव के नतीजे काफी हद तक अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी उनकी भूमिका तय करेंगे।
यह भी पढ़े : Nafe Singh Rathi’s Family Security : नफे सिंह राठी के परिवार की सुरक्षा बढ़ी, मिले 25 सुरक्षा कर्मी
यह भी पढ़ें : Haryana Weather Update : प्रदेश में तेज गर्मी, आज से मौसम में दिखेगा बदलाव
India News Haryana (इंडिया न्यूज), Rail Roko Protests : किसानों का रेल रोको प्रदर्शन शुरू…
पवन शर्मा, India News Haryana (इंडिया न्यूज), Congress Chandigarh Protest : हरियाणा में विधानसभा चुनाव…
यूरिक एसिड हमारे शरीर में बनने वाला एक नैचुरल वेस्ट प्रोडक्ट है, जो प्यूरीन नामक…
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और तनावपूर्ण माहौल में हृदय संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़…
सोहना नगरपरिषद चेयरपर्सन अंजू देवी की माननीय हाईकोर्ट ने दायर याचिका को खारिज कर दिया…
India News Haryana (इंडिया न्यूज), Jammu Kashmir : जम्मू और कश्मीर के कुपवाड़ा में भारतीय…