Archery : तीरंदाजी में रिद्धि ने गोल्ड पर किया कब्जा

इशिका ठाकुर, Haryana (Archery) : अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज रिद्धि के बारे में जैसा सोचा था, उसने वैसा ही सच कर दिखाया है। जी हां, हरियाणा के लिए करनाल की बेटी रिद्धि ने रिकर्व राउंड मुकाबले में गोल्ड जीतकर बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। पंचकूला में गोवा के साथ पहले मुकाबले में इस होनहार खिलाड़ी ने 6-0 के अंतर से शानदार जीत दर्ज की। दूसरा मुकाबला मध्यप्रदेश के साथ हुआ, जिसमें 6-0 से जीत दर्ज कर बेहतर प्रदर्शन किया।

तीसरे मुकाबले में झारखंड को 6-0 से मात दी और चौथा मुकाबला हरियाणा के साथ हुआ, जिसमें 6-4 से बढ़त बनाकर सोना हासिल किया। तीसरा मुकाबला गुवाहाटी, चौथा मुकाबला पंचकूला और अब 5वां मुकाबला मध्यप्रदेश के जबलपुर में संपन्न हुआ, जहां पर भी रिद्धि ने गोल्ड मेडल हासिल किया है।

रिद्धि ने प्रदेश का नाम राष्ट्रीय स्तर पर चमकाया

करनाल में पत्रकारों के साथ बातचीत में पिता मनोज ने कहा कि रिद्धि का खेलो इंडिया मुकाबलों में गोल्ड जीतना तय था। रिद्धि ने जो काम किया है, उस पर बहुत गर्व महसूस हो रहा है। रिद्धि ने अपने जिले का ही नहीं, बल्कि प्रदेश का भी नाम राष्ट्रीय स्तर पर चमकाया है। हम चाहते हैं कि वह इसी तरह से मेहनत करती रहे और देश का नाम दुनिया में रोशन करती रहे।

रिद्धि पढ़ाई और और खेल दोनों में अव्वल

यह बहुत ही साधना और ध्यान का खेल है। जो गेम खेलता है वह बच्चा पढ़ाई में भी अव्वल रहता है। रिद्धि पढ़ाई और और खेल दोनों में अव्वल है। मनोज ने कहा कि उन्हें आगे बढ़ने के लिए घरौंडा विधायक हरविंदर कल्याण के साथ प्रशासन दोनों का पूरा सहयोग मिला है।

बेटी 10 अंतरराष्ट्रीय मेडल हासिल कर चुकी

बेटी ने अब तक 10 अंतरराष्ट्रीय मेडल हासिल किए हैं और लगातार दो बार चैंपियन बनी है। उसने 57 बार राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं। मां-बाप के लिए इससे बड़ी और खुशी कोई नहीं होती कि उन्हें उनके बच्चे के नाम से जाना जाए। दूसरे खिलाड़ियों को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि वे मेहनत करें और लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ते रहें सफलता जरूर मिलेगी। उन्होंने कहा कि बेटा हो या बेटी दोनों ही सभी क्षेत्रों में अच्छा मुकाम हासिल कर सकते हैं।

स्वर्ण पिता को किया समर्पित

रिद्धि ने जीते स्वर्ण को अपने पिता को समर्पित करते हुए कहा कि मैं अपनी सफलता का श्रेय पिता को देती हूं। उन्होंने बताया कि जब वह तीरंदाजी से जुड़ गई तो उनके पिता खेल को घर ले आए। घर की छत पर ही सुविधाएं मुहैया करवाईं। उन्हें विभिन्न प्रतियोगिताओं के अनुसार धनुष और तीर लाकर दिए। पिता मनोज को तीरंदाजी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन वे इसमें रुचि रखते थे। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से उन्हें तैयार करने के लिए कड़ी मेहनत की, क्योंकि करनाल और उसके आसपास कोई कोच नहीं था।

गौरतलब है कि बीते नवंबर में बंगलादेश के ढाका में 22वीं अंतरराष्ट्रीय एशियन चैंपियनशिप के दौरान तीरंदाज रिद्धि ने रजत पदक जीता था। वर्ष-2018-19 में फिलीपींस एशिया कप में दो ब्रांज, ताईवान में सिल्वर व ब्रांज और बंगलादेश में सिल्वर मेडल जीत चुकी तीरंदाज रिद्धि ने 2012 में शुरूआती ट्रेनिंग के बाद 2014 में आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा में आयोजित अंडर-14 मुकाबलों में गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी है। हवा का रुख भांपकर अचूक निशाना साधने वाली तीरंदाज रिद्धि फोर के अलावा खेलो इंडिया में करनाल से 16 खिलाड़ी वालीबाल, बाक्सिंग, फुटबाल, कुश्ती के लिए चयनित किए गए थे।

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