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बताया जा रहा है कि पार्टी स्तर पर स्थिति को नाजुक देखते हुए आरएसएस के पानीपत स्थित कार्यालय में भाजपा की प्रदेशस्तरीय आपातकालीन बैठक बुलाई गई। जिसमें रविवार रात करीब 2 घंटे तक मंथन किया गया। हालांकि बैठक में पार्टी के चुनिंदा नेताओं को ही बुलाया गया था। इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल, प्रदेश प्रभारी बिप्लब देब, चुनाव प्रभारी सतीश पूनिया और चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक राज्यसभा सांसद सुभाष बराला मौजूद रहे। बैठक में करनाल से भाजपा सांसद संजय भाटिया नहीं पहुंचे। बता दें कि पार्टी ने लोकसभा चुनाव में संजय भाटिया की टिकट काटकर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को दी है।
बताया जा रहा है कि बैठक में आरएसएस ने भाजपा के नेताओं से जुबानी दावों के बजाय ग्राउंड रिपोर्ट ली। जिसके बाद तय किया गया कि अब प्रदेश की सभी 10 सीटों पर आरएसएस के कार्यकर्ता भी सतर्क नजर आएंगे। जहां-जहां पार्टी और प्रत्याशी का विरोध चल रहा है, वहां आरएसएस अपने स्तर पर मामले को सुलझाने का प्रयास करेगी।
बता दें कि लोकसभा चुनाव को लेकर आरएसएस के साथ संगठन और सरकार के मंथन में सिर्फ बड़े चेहरों को ही एंट्री दी गई। केंद्र के गेट पर बैठे कर्मचारियों को इसके लिए एक लिस्ट दी गई थी। जिसमें बैठक में शामिल होने वाले नेताओं के ही नाम थे, अन्य को अंदर प्रवेश नहीं दिया गया। बताया जा रहा है कि हरियाणा प्रदेश की महामंत्री डॉ. अर्चना गुप्ता भी लोकसभा चुनाव प्रभारी सतीश पूनिया के साथ अंदर चली गई, लेकिन बाद में उन्हें बाहर भेज दिया गया। संघ की ओर से की गई बैठक प्रांत संघचालक पवन जिंदल, संघ प्रचारक अरूण मौजूद रहे।
इस दौरान लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 10 सीटों पर जीत का दावा करने वाली भाजपा की इंटरनल रिपोर्ट में हॉट सीट रोहतक और सिरसा में सबसे कड़ा मुकाबला प्रकाश में आया। पंचकूला में 3 दिन पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की लोकसभा प्रभारियों और संयोजकों के साथ बैठक हुई थी। जिसमें जेपी नड्डा को एक रिपोर्ट सौंपी गई। साथ ही रिपोर्ट में अन्य 8 लोकसभा सीटों पर जीत में मुश्किलें बताई गई। इसके अलावा जाट बाहुल्य इलाकों में लोकसभा प्रभारियों की रिपोर्ट बेहद खराब बताई गई है।